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संसद का विशेष सत्र क्यों बुलाया गया? मोदी सरकार ने दिया जवाब

 

टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री:सह-संपादक की रिपोर्ट

नई दिल्ली। लोकसभा सचिवालय के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल से बताया गया है कि बाक़ी कार्यवाही से अलग सत्र के पहले दिन 18 सितंबर को दोनों सदनों में संसद के 75 साल के सफ़र पर चर्चा की जाएगी. इसके तहत संविधान सभा से लेकर संसद की उपलब्धियों, अनुभवों और यादों की चर्चा की जाएगी.
द हिंदू की रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार का एजेंडा इस ओर इशारा करता है कि संसद का विशेष सत्र पुरानी से नई संसद में जाने के लिए बुलाया गया है. नई संसद का पीएम नरेंद्र मोदी ने 28 मई को उद्घाटन किया था. लेकिन मॉनसून सत्र संसद की पुरानी इमारत में ही हुआ था. नई संसद को 970 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है. ये सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का हिस्सा है.
संसद: केंद्र सरकार ने 18-22 सितंबर तक क्यों बुलाया विशेष सत्र? 10 से अधिक विधेयकों के पेश
अभी सरकार की तरफ से संसद का विशेष सत्र बुलाने के बारे में विस्तार से कुछ नहीं बताया गया है। लोकसभा सचिवालय सूत्रों को भी इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।
जरूरत पड़ने पर देश के राष्ट्रपति को संसद का विशेष सत्र बुलाने का अधिकार है। केंद्र सरकार ने इसी प्रावधान का प्रयोग करते हुए राष्ट्रपति से संसद का विशेष सत्र बुलाने की सिफारिश की और मंजूरी भी ले ली। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने पांच दिन के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाए जाने की जानकारी दी है। यह बैठक संसद के नए भवन में होने की जानकारी है। इस दौरान करीब 10 विधेयक पेश किए जा सकते हैं। केंद्रीय सचिवालय के अधिकारियों और राजनीतिक दलों को इतने भर से संतोष नहीं हो रहा है। सभी को लग रहा है कि सरकार कुछ बड़ा करने वाली है।
यूपी के एक बड़े राजनीतिक दल ने संसद के पांच दिन के विशेष सत्र के बारे में जानने की कोशिश की। वह मीडिया में भी लोगों को फोन कर रहे हैं। आशंका भी जता रहे हैं कि सरकार दिसंबर-जनवरी तक प्रस्तावित लोकसभा चुनाव कराने की दिशा में कदम बढ़ा सकती है। यह भी संभव है कि लोकसभा के साथ देश में सभी विधानसभा चुनावों को कराने की घोषणा हो जाए? मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के नेता भी इसकी टोह लेने में लगे हैं।
बसपा के एक सांसद का कहना है कि भाजपा ने हेलीकाप्टर, होटल आदि सब पहले ही बुक कर लिया है। एआरओ और आरओ की ट्रेनिंग आदि की तैयारी चल रही है। यह तैयारियां चुनाव को पहले कराने से जुड़ी हैं। हालांकि कांग्रेस पार्टी के एक केंद्रीय मंत्री को अभी इस तरह के आसार नहीं नजर आते। सूत्रों का कहना है कि विपक्षी दलों की एकता ने सत्ताधारी दल और गठबंधन को तंग कर दिया है। एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) को विपक्ष के गठबंधन (आईएनडीआईए) से पूरी चुनौती मिलती दिखाई दे रही है। इसलिए संभव है कि सरकार लोगों का ध्यान भटकाने के लिए किसी नई कोशिश में जुटी हो?

*सरकार गोपनीयता का पालन करना जानती है*

समाजवादी पार्टी के एक बड़ नेता कहते हैं कि जी-20 का शिखर सम्मेलन 9-10 सितंबर को है। 18-22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र आहूत होना है। मानसून सत्र में तो मणिपुर के मुद्दे पर काफी हंगामा हुआ। इसलिए सरकार कुछ बचे काम को निपटाना तथा उद्घाटन के बाद संसद के नए भवन में संसदीय कार्यवाही को पूरा कराना चाहती है।
अखिलेश यादव के रणनीतिकारों में शामिल नेता के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दौर में सरकार गोपनीयता बनाए रखने में सफल है। इसलिए संसद के विशेष सत्र के बारे में केवल कयास भर लगाए जा सकते हैं। सरकार के घटक दल के एक नेता का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी कभी छोटा नहीं सोचते। वह कभी भी कोई शुरुआत बिना पूरी तैयारी और होमवर्क के नहीं करते। निश्श्चित रूप से यहां भी राष्ट्रहित से जुड़ा कोई बड़ा प्रयास हो सकता है। सूत्र का कहना है कि उन्हें संसद का विशेष सत्र बुलाए जाने की जानकारी मीडिया के माध्यम से ही मिली है।

*विशेष सत्र बुलाने का कोई कारण नहीं बताया*

अभी सरकार की तरफ से संसद का विशेष सत्र बुलाने के बारे में विस्तार से कुछ नहीं बताया गया है। लोकसभा सचिवालय सूत्रों को भी इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। सचिवालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक संसद का विशेष सत्र पहली बार 1970 के दशक में बुलाया गया था। इसके बाद से कई बार संसद के विशेष सत्र का आयोजन किया जा चुका है।

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