अफगानिस्तान और पाकिस्तान से भारत में ड्रग्स तस्कर सक्रिय
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
नई दिल्ली। भारतवर्ष की आर्थिक राजधानी मायानगरी मुंबई तथा भारत पाकिस्तान सीमा वाले पंजाब मे आफगानिस्तान और पाकिस्तान के ड्रग्स तस्कर और स्मगल सक्रिय होने से देश को खतरे की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है। इन अंतरराष्ट्रीय मजबूत नेटवर्क एजेंसियों से भारत की सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क रहना होगा?
पिछले दिनों पंजाब में पाकिस्तान से ड्रग्स तस्करी के कारण वहां के तमाम युवा नशीले पदार्थों के लती होकर अपनी जिंदगी तबाह कर चुके हैं। ड्रग्स के चलन का असर राजस्थान और हरियाणा के साथ अन्य राज्यों में भी दिखने लगा है।
पिछले दिनो दिल्ली पुलिस ने बड़ी मात्रा में नशीले पदार्थों की खेप पकड़ी थी।
पिछले लगभग एक-डेढ वर्ष में नारकोटिक्स विभाग और विभिन्न राज्यों की पुलिस ने बड़ी मात्रा में हेरोइन, कोकीन और अन्य नशीले पदार्थों की खेप पकड़ी है। इससे यही पता चलता है कि भारत ड्रग्स तस्करों के निशाने पर है। देश में ज्यादातर ड्रग्स अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों के जरिये लाई जा रही है। ड्रग्स तस्कर किस तरह बंदरगाहों के माध्यम से मादक पदार्थ लाने का दुस्साहस कर रहे, यह तब उजागर हुआ था, जब गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह पर बड़ी मात्रा में ड्रग्स बरामद की गई थी।
हजारों वर्षों से मानव खुशी का अहसास पाने के लिए नशीले पदार्थों का सहारा लेता चला आ रहा है। नशे का सेवन व्यक्ति को उसका लती बना देता है। पहले लत लगने में समय लगता था, लेकिन आज के आधुनिक नशीले पदार्थ लोगों को कहीं शीघ्र लती बना देते हैं। जब किसी को नशे की लत लग जाती है तो उसकी शारीरिक एवं मानसिक स्थिति, दोनों पर बुरा असर पड़ता है। इससे उसके आस-पास के लोगों और खासतौर पर उसके परिवार के सदस्यों पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।
नशे की लत से अपराध को भी बढ़ावा मिलता है, क्योंकि नशा लोगों के सोच को प्रभावित करता है और उसे बुरी आदतों का शिकार बना देता है। जिस तरह ड्रग्स का चलन बढ़ रहा है, वह चिंता का विषय इसलिए भी है, क्योंकि एक तो यह लोगों की सेहत खराब करता है और दूसरे, उसकी बिक्री से मिलने वाला पैसा आतंकी-अपराधी संगठनों की जेबों में जाता है। ऐसे कई संगठन भारत में भी सक्रिय हैं। वे हर तरह का नशा लोगों तक पहुंचा रहे हैं। सस्ता नशा गरीबों तक पहुंचाया जाता है और महंगा अमीरों तक। अफीम और उससे बनी ड्रग्स के साथ गांजा और भांग का भी चलन बढ़ रहा है।
हालांकि हेरोइन और कोकीन जैसे नशीले पदार्थ दुनिया भर में प्रतिबंधित हैं, लेकिन शराब और तंबाकू प्रतिबंध से करीब-करीब मुक्त हैं, जबकि वे भी हानिकारक हैं। जहां हेरोइन और कोकीन का सेवन कम लोग करते हैं, वहीं शराब और तंबाकू का सेवन बड़े पैमाने पर होता है। चूंकि शराब और तंबाकू की बिक्री से सरकारों को अच्छी-खासी आय होती है, इसलिए वे उन पर प्रतिबंध नहीं लगातीं। इसका एक कारण यह भी है कि ऐसे प्रतिबंध कारगर साबित नहीं होते और पाबंदी के बाद भी उनकी खरीद-बिक्री रुकती नहीं।
शराबबंदी न तो अमेरिका में सफल हुई और न ही भारत में, फिर भी गुजरात, बिहार आदि राज्यों में उस पर प्रतिबंध लागू है। कुछ अन्य देशों में भी समय-समय पर शराब पर प्रतिबंध लगा, लेकिन वह कारगर नहीं हुआ। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आकड़ों पर गौर करें तो ड्रग्स से होने वाली मौतें शराब से होने वाली मौतों के मुकाबले कहीं कम हैं।
शराब का सेवन भी सेहत पर बुरा असर डालता है। उसकी लत से प्रभावित होकर परिवार के परिवार तबाह हो जाते हैं। समाज पर भी इसका विपरीत असर पड़ता है, लेकिन ड्रग्स की लत शराब से कहीं अधिक खतरनाक होती है। ड्रग्स के सेवन को सामाजिक रूप से हेय माना जाता है, लेकिन शराब और तंबाकू समाज में एक तरह से सहज स्वीकार्य हैं। चूंकि अब ड्रग्स की कुछ किस्में बहुत कम पैसे में उपलब्ध हो जाती हैं, इसलिए गरीब आदमी उन्हें ही पसंद करता है।
ये सस्ते मादक पदार्थ उसे उससे कहीं ज्यादा नशे का अहसास कराते हैं, जो उसे शराब से मिलता है। शराब पर कहीं अधिक पैसे भी खर्च करने पड़ते हैं और उसे खरीदने के लिए निश्चित दुकानों पर जाना पड़ता है। इसके विपरीत ड्रग्स कम पैसे में कहीं पर भी मिल जाती है और उसे बच्चे एवं किशोर भी हासिल कर सकते हैं। वास्तव में इसी कारण उनकी खपत बढ़ती जा रही है।
केवल ड्रग्स के कारोबार में लिप्त तत्वों और प्रतिबंधित नशीले पदार्थों के सेवन के बढ़ते चलन के खिलाफ ही सख्ती आवश्यक नहीं है। आवश्यक यह भी है कि ड्रग्स तस्करों के अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय नेटवर्क को तोड़ा जाए, क्योंकि इन तस्करों का संबंध आतंकी संगठनों और मफिया से है। एक ऐसे समय जब कुछ एजेंसियां यह मान रही हैं कि भारत ड्रग्स तस्करी का केंद्र बन गया है, तब नारकोटिक्स ब्यूरो और पुलिस को और सतर्क रहना होगा, क्योंकि इसके साफ संकेत मिल रहे हैं कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान में सक्रिय ड्रग्स तस्करों ने भारत में अपना मजबूत नेटवर्क बना लिया है। इस नेटवर्क में कई ऐसे तत्व हैं, जो आतंकी गतिविधियों में लिप्त हैं और देश के लिए खतरा बने हुए हैं।