आज भी देश का असली दलित है ब्राह्मण समाज? केंद्रीय मंत्री गडकरी का अभिकथन

आज भी देश का असली दलित है ब्राह्मण समाज? केंद्रीय मंत्री गडकरी का अभिकथन

टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

नई दिल्ली । सत्य में देखा जाए तो आज भी देश का असली दलित ब्राह्मण समाज को देखा जा सकता है: पह जानकारी स्वयं केन्द्रिय मंत्री नितीन गडकरी जी ने ट्विटर पर पोस्ट की है पढ़े और महत्व को समझ ने की जरुरत है

श्री गडकरी ट्वीट करके कहा है कि आज के जमाने में असली दलित ब्राह्मण हैं। उन्होंने अपनी बात को बल देने के लिए, फ्रांसीसी पत्रकार फ्रांसिस गुइटर की रिपोर्ट भी शेयर की है जिसके मुख्य बनबिंदु निम्नलिखित हैं :

 

दिल्ली के 50 शुलभ शौचालयों में तकरीबन 325 सफाई कर्मचारी हैं। यह सभी ब्राह्मण वर्ग के हैं।

दिल्ली और मुंबई के 50% रिक्शा चालक ब्राह्मण हैं। इनमें से अधिकतर पांडे, दुबे, मिश्रा, शुक्ला, तिवारी यानी पूर्वांचल और बिहार के ब्राह्मण हैं।

 

दक्षिण भारत में ब्राह्मणों की स्तिथि अछूत सी है कुछ जगहों पर। बाकी जगहों पर लोगों के घरों में काम करने वाले 70% बावर्ची और नौकर ब्राह्मण हैं। ब्राह्मणों में प्रति व्यक्ति आय मुसलमानों के बाद भारत में सबसे कम हैं। यहां और अधिक चिंता का विषय यह है कि 1991 की जनगणना के बाद से मुसलमानों की प्रति व्यक्ति आय सुधर रही है लगातार वहीं ब्राह्मणों की और कम हो रही है।

 

ब्राह्मण भारत का दूसरा सबसे बड़ा कृषक समुदाय है। पर इनके पास मौजूद खेती के साधन अभी 40 वर्ष पीछे हैं। इसका कारण ब्राह्मण होने की वजह से इन किसानों को सरकार से उचित मुआवजा, लोन और बाकी रियायतें न मिलना रहा है। अधिकतर ब्राह्मण किसान कम आय की वजह से आत्महत्या या जमीन बेचने को मजबूर हैं। ब्राह्मण छात्रों में “ड्रॉप आउट” यानी पढ़ाई अधूरी छोड़ने की दर अब भारत में सबसे अधिक है। वर्ष 2001 में ब्राह्मणों ने इस मामले में मुसलमानों को पीछे छोड़ दिया और तब से टॉप पर कब्जा किये बैठे हैं।

 

ब्राह्मणों में बेरोजगारी की दर भी सबसे अधिक है। समय पर नौकरी/रोजगार न मिल पाने की वजह से 14% ब्राह्मण हर दशक में विवाह सुख से वंचित रह रहे हैं। यह दर भारत के किसी एक समुदाय में सबसे अधिक है। यह ब्राह्मणों की आबादी लगातार गिरने का बहुत बड़ा कारण है। आंध्र प्रदेश में बड़ी संख्या में ब्राह्मण परिवार 500 रुपये प्रति महीने और तमिलनाडु में 300 रुपए प्रति महीने पर जीवन यापन कर रहे हैं। इसका कारण बेरोजगारी और गरीबी है। इनके घरों में भुखमरी से मौतें अब आम बात है।

 

भारत में ईसाई समुदाय की प्रति व्यक्ति आय तकरीबन 1600 रुपए, sc/st की 800 रुपए, मुसलमानों की 750 के आस पास है। पर ब्राह्मणों में यह आंकड़ा सिर्फ़ 537 रुपये है और यह लगातार गिर रहा है।ब्राह्मण युवकों के पास रोजगार की कमी, प्रॉपर्टी की कमी के कारण सबसे अधिक ब्राह्मण लड़कियों के अरेंज विवाह दूसरी जातियों में हो रहे हैं।

 

उपरोक्त आकंड़े बता रहे हैं कि ब्राह्मण कुछ दशकों में वैसे ही खत्म हो जाऐंगे। जो बचे खुचे रहेंगे उन्हें वह जहर खत्म कर देगा जो सोशल मीडिया पर दिन रात ब्राह्मणों के खिलाफ गलत लिखकर नई पीढ़ी का ब्रेनवाश करके उनके मन में ब्राह्मणों के प्रति अंध नफरत से पैदा किया जा रहा है। महाशय हम कहाँ जा रहे हैं,ध्यान देना होगा हमे अपने भविष्य पर।

ब्राह्मणों से सात यक्ष प्रश्न

1-ब्राह्मण एक कैसे होंगे और कब होंगे?

2- ब्राह्मण एक दूसरे की सहायता कब करेंगे?

3-ब्राह्मण संगठनों में एकता कैसे होगी?

4-ब्राह्मण अपना वोट एक जगह कब देंगे?

5- ब्राह्मण ब्राह्मण का गुणगान कब करेंगे?

6-उच्च पदों पर बैठे अफसर, ब्राह्मण मंत्री, mp, MLA अपने निहित स्वार्थ से ऊपर उठ कर ब्राह्मणों की बिना शर्त सहायता कब करेंगे?

7-गरीब ब्राह्मणों की सहायता करने के लिए ब्राह्मण महाकोष का गठन कब होगा?

इसका उत्तर एक कट्टर ब्राह्मण चिंतक प्राप्त करना चाहता है

इतना ही नहीं अपनी दो जून की भूख मिटाने के लिए ब्राह्मण घर-घर भीख मांगता और लोगों को तिलक लगाते देखा जा सकता है।

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