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बीजेपी ने हरियाणा की तर्ज पर बनाई महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की रणनीति

बीजेपी ने हरियाणा की तर्ज पर बनाई महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की रणनीति

टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

मुंबई : महाराष्ट्र राज्य में विधानसभा चुनाव जीतने के लिए बीजेपी ने हरियाणा में आजमाई हुई रणनीति को ही यूज करने की योजना बनाई है। इसमें हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण मुख्य अजेंडा है। इस योजना को अमली जामा पहनाने के लिए महाराष्ट्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की धुंआधार प्रचार सभाएं आयोजित करने की योजना है। यह सारी योजना लोकसभा चुनावों में बीजेपी को आशातीत सफलता न मिल पाने और प्रतिकूल परिस्थितियों में भी हरियाणा की सत्ता पर बीजेपी की वापसी के लिए अपनाई गई रणनीति को ध्यान में रखकर बनाई गई है।

भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक मोदी-शाह-योगी की महाराष्ट्र में 70 से ज्यादा सभाएं आयोजित किए जाने की खबर है। सूत्रों का कहना है कि इन 70 सभाओं में मोदी की 18 और शाह तथा योगी की 26-26 सभाएं आयोजित की जा सकती हैं।

हिंदू एकता पर जोर

इसके अलावा महाराष्ट्र के गांवों में ओबीसी बनाम मराठा फैक्टर को लेकर उपजे जातिगत संघर्ष को ठंडा करने के लिए आरएसएस के स्वयंसेवकों को उतारकर ‘हिंदू एकता’ का डोज पिलाया जाएगा। वैसे तो महाराष्ट्र में 44 हजार से ज्यादा गांव हैं, लेकिन आरएसएस का फोकस मराठवाड़ा के 8000 और तकरीबन विदर्भ के 15000 गांवों पर रहेगा।

गांवों पर रहेगा फोकस

आरएसएस के भरोसेमंद सूत्र के मुताबिक, शहरों के कॉस्मोपॉलिटन कल्चर में रहने वाले पढ़े-लिखे नौकरीपेशा वोटरों की तुलना में ग्रामीण वोटरों का ध्रुवीकरण आसान होता है, इसलिए आरएसएस का सारा फोकस गांवों पर है। इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि शिवसेना (यूबीटी) हो या शिंदे की शिवसेना, राज ठाकरे की मनसे हो या प्रकाश आंबेडकर की वंचित बहुजन आघाडी हो, इन सभी का जनाधार शहरी है।

कांग्रेस का ग्रामीण जनाधार है, लेकिन बीजेपी की ताकत बढ़ने के साथ वह कमजोर हुई है। एनसीपी का भी ग्रामीण जनाधार है, लेकिन वह ज्यादातर पश्चिम महाराष्ट्र तक सीमित है। जहां आरएसएस की दाल नहीं गलती। इसलिए उसे आरएसएस की फोकस लिस्ट में ज्यादा महत्व नहीं दिया गया है।

वहीं दूसरी तरफ लोकसभा चुनाव के नतीजों ने यह साबित कर दिया है कि शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी के वोट बीजेपी को ट्रांसफर होने के बजाय मूल पार्टी और बागी पार्टी में ही बंट गए। इसलिए भी बीजेपी इस विधानसभा चुनाव में शिंदे और अजित पवार पर कम और अपनी ताकत बढ़ाने पर ज्यादा फोकस कर रही है

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