राज्य स्तरीय वन सब्जी महोत्सव: प्रकृति का उपहार
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
सौसर:सायखेडा स्थित जीएच रायसोनी विश्वविद्यालय के ‘स्कूल ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेस’ राज्य स्तरीय ‘वन सब्जी महोत्सव’ का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य प्राकृतिक रूप से उपलब्ध और स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक लाभकारी वन सब्जियों के महत्व को उजागर करना था।
कलेक्टर ने कहा कि कोरोना काल में हर किसी को स्वस्थ जीवन का महत्व समझ में आया। वन सब्जियों के उपयोग को प्रोत्साहित करके उन्हें आम लोगों तक पहुँचाने के प्रयास किए जा रहे हैं। रायसोनी यूनिवर्सिटी परिसर में इसके लिए स्थायी स्टॉल उपलब्ध कराने के प्रयास किए जाने चाहिए। महोत्सव में विभिन्न प्रकार की वन सब्जियों का प्रदर्शन, बिक्री और उनकी उपयोगिता पर जानकारी दी गई।
इस आयोजन ने किसानों, गृहिणियों, खाद्य प्रेमियों, शिक्षकों, विद्यार्थियों सहित विभिन्न वर्गों का ध्यान आकर्षित किया।
उद्घाटन और प्रमुख अतिथियों की उपस्थिति महोत्सव का उद्घाटन अजयदेव शर्मा, जिलाधिकारी एवं कार्यकारी मजिस्ट्रेट, पांढुर्णा द्वारा किया गया। इस अवसर पर एम. एल. उईके, उप निदेशक बागवानी, छिंदवाड़ा, डॉ. हरगोविंदसिंह पक्षवार, उप निदेशक पशु चिकित्सा विज्ञान, छिंदवाड़ा, डॉ. केतन पांडे, उप मंडल अधिकारी, छिंदवाड़ा, अजय चौरसिया, कृषि विकास अधिकारी, डॉ. मीना राजेश, कुलपति, जीएच रायसोनी विश्वविद्यालय, सायखेडा और डॉ. केविन गवली, अधिष्ठाता, स्कूल ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेस, महोत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
इस दौरान कृषि संस्कृति और पारंपरिक ज्ञान पर बल दिया गया, साथ ही वन सब्जियों के उपयोग से स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने का महत्व भी रेखांकित किया गया।इस समय किसानों के लिए वन सब्जी जानकारी पुस्तिका का विमोचन भी किया गया,
विविध वन सब्जियाँ और उनके लाभ महोत्सव में विभिन्न प्रकार की कड़वी, तीखी, मीठी और स्वादिष्ट वन सब्जियाँ देखने को मिलीं। इनमें करेला, चिवल, मायाक, केना, आघाडा, अंबाडी, कुंदरू, शेवगा, धोपा, हजारदाना, अंगली चवलाई, जंगली चुकंदर, तरोरा, गिलोय जैसी दुर्लभ वन सब्जियाँ शामिल थीं। इन सब्जियों के पोषण मूल्य और औषधीय गुणों को जानने के लिए प्रतिभागियों को अवसर प्रदान किया गया। महोत्सव का मुख्य संदेश प्रकृति की विविधता का संरक्षण और स्वास्थ्य के लिए वन सब्जियों का महत्व था।**
आयोजन समिति और आयोजन की सफलता महोत्सव का आयोजन डॉ. केविन गवली, अधिष्ठाता, स्कूल ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेस के मार्गदर्शन में हुआ। आयोजन समिति में प्रो. शुभाशिष रक्षित,डॉ. परेश बावीस्कर, डॉ. चेतन बोंदरे, डॉ. आशिष सारड़ा, डॉ. अयुतोष राजोरिया सहित कई अन्य प्रमुख शिक्षकों का सहयोग रहा। स्कूल ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेस के कर्मचारियों और विद्यार्थियों ने इस महोत्सव को सफल बनाने के लिए अथक परिश्रम किया। डॉ. अयुतोष राजोरिया ने कार्यक्रम का संचालन किया और प्रो. दिवाकर डांगे ने धन्यवाद ज्ञापित किया। महोत्सव ने उपस्थित लोगों के दिलों में वन सब्जियों की महत्ता और उनके औषधीय गुणों के प्रति जागरूकता उत्पन्न की। महोत्सव ने कृषि और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाने के महत्व को भी प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया