बिजली केंद्रों से रिकार्ड उत्पादन के लिए कोल बेल्ट से पत्थर छंटाई प्रक्रिया को अच्छा प्रतिसाद
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री
नई दिल्ली। केंद्र सरकार अधिनस्थ राष्ट्रीय ताप विद्युत निगमNTPC और राज्य सरकार के अधिनस्थ बिजली उत्पादन कंपनियों के ताप विद्युत उत्पादन केन्द्रों TPS से अधिक से अधिक बिजली उत्पादन के प्रयास शुरु हैं.इसके लिए मांगोनुरुप कोयला पानी और अन्य सामग्रियों की आवश्यकता होती है.जिसमे कोयला की भूमिका महत्वपूर्ण होती है.पावर प्लांटों मे आयातित कोयला में से पत्थर छंटाई का कार्य दक्षिण भारत की चाण्डी एण्ड कंपनी, प्रिंस थर्मल इंटरप्राइजेज, प्रिंस ग्रुप आफ कंपनीज और मेसर्स प्रिया टेक इत्यादि कंपनियों ने यह कार्य अपने हाथों मे लिया है. इसमें अधिकांश ताप विधुत केंद्रों को कोल छंटाई द्धारा स्पेशल कोयला प्राप्त होने से रिकार्ड बिजली उत्पादन हो रहा है.
पावर प्लांट में कोल कन्वेयर बेल्ट पर से पत्थर अलग करने के लिए तकनीक तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है। कोयले में पत्थर और धातु जैसी अशुद्धियाँ बॉयलर को नुकसान पहुँचा सकती हैं, इसलिए इन्हें हटाना ज़रूरी होता है। सबसे सरल विधि में, कन्वेयर बेल्ट पर कोयले की गति धीमी करके, श्रमिकों द्वारा हाथ से बड़े-बड़े पत्थरों को अलग किया जाता है।
यह विधि तब तक प्रभावी होती है जब तक पत्थर आकार में बड़े होते हैं।
यह विधि कोयले में मिले धातु के टुकड़ों को हटाने के लिए उपयोग की जाती है। कन्वेयर बेल्ट के ऊपर शक्तिशाली इलेक्ट्रोमैग्नेट लगाए जाते हैं।
जब कोयला और धातु का मिश्रण चुंबक के नीचे से गुजरता है, तो चुंबक धातु के टुकड़ों को अपनी ओर खींच लेता है और एक अलग हॉपर में गिरा देता है। इस प्रक्रिया में, विभिन्न आकार की जाली वाली कंपनशील स्क्रीन का उपयोग किया जाता है।
कन्वेयर बेल्ट से कोयला इन स्क्रीन से होकर गुजरता है। छोटे-छोटे कोयले के टुकड़े जाली से नीचे गिर जाते हैं, जबकि बड़े पत्थर और कोयले के टुकड़े ऊपर ही रह जाते हैं।
बड़े टुकड़ों को क्रशर में भेजा जाता है, जहाँ उन्हें तोड़कर सही आकार में लाया जाता है।
इस विधि में कोयला और पत्थर के घनत्व में अंतर का उपयोग किया जाता है।
कोयले और पत्थर के मिश्रण को एक तरल पदार्थ (आमतौर पर पानी में बारीक मैग्नेटाइट का मिश्रण) में डाला जाता है, जिसका घनत्व कोयले से अधिक और पत्थर से कम होता है।इस प्रक्रिया में, हल्का कोयला तैरकर ऊपर आ जाता है, जिसे हटा दिया जाता है, जबकि भारी पत्थर नीचे बैठ जाते हैं।
आधुनिक पावर प्लांटों में सेंसर तकनीक का भी उपयोग होता है। कन्वेयर बेल्ट के डिस्चार्ज पॉइंट पर सेंसर लगाए जाते हैं, जो पत्थर को पहचान सकते हैं।जब सेंसर किसी पत्थर को पहचानता है, तो एक स्वचालित गेट खुल जाता है और पत्थर को एक अलग जगह पर गिरा दिया जाता है।