पावर प्लांट: बिजली उत्पादन में वाष्पक संधारण बॉयलर का योगदान
टेकचंद्र शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट9822550220
नई दिल्ली। भारतवर्ष की समस्त तापीय बिजली परियोजनाओं मे रिकार्ड बिजली उत्पादन के कार्यों मे वाष्पक संधारण बायलर संयंत्र का बडा ही योगदान है दरअसल में बिजली उत्पादन में वाष्पन संधारण बॉयलर का योगदान मुख्य रूप से ईंधन की रासायनिक ऊर्जा को ऊष्मा ऊर्जा में बदलकर उच्च दाब वाली भाप बनाने का होता है। इसी भाप से टरबाइन घूमती है और जनरेटर को चलाती है, जिससे बिजली बनती है।
थर्मल पावर प्लांट में वाष्पन संधारण बॉयलर की प्रमुख भूमिकाएँ इस प्रकार हैं.
ऊष्मा का उत्पादन के संबंध में ईंधन के दहन से उत्पन्न ऊष्मा को पानी में स्थानांतरित करता है, जिससे पानी भाप में बदलता है। बॉयलर भट्ठी में जलती हुई आग से निकलने वाली ऊष्मा, बॉयलर ट्यूबों में बहने वाले पानी को गर्म करती है।
उच्च दबाव वाली भाप का निर्माण: यह बॉयलर के भीतर पानी को गर्म करके उच्च दबाव वाली भाप उत्पन्न करता है। इस भाप में इतनी शक्ति होती है कि यह टर्बाइनों को घुमा सके।
दक्षता में सुधार के संबंध में टरबाइन को चलाने के बाद, इस्तेमाल की गई भाप को कंडेनसर (एक अन्य उपकरण) में फिर से पानी में बदल दिया जाता है, और फिर बॉयलर में वापस भेज दिया जाता है। यह चक्र पानी के संरक्षण में मदद करता है और बिजली संयंत्र की दक्षता को बढ़ाता है। बॉयलर की वाष्पीकरण दर सीधे टर्बो-जनरेटर सेट के भार को प्रभावित करती है। एक बॉयलर प्रति घंटे जितना अधिक भाप उत्पन्न करता है, उतना ही अधिक बिजली उत्पादन संभव होता है।
बॉयलर संयंत्र में पानी का सर्कुलेशन दर, थ्रूपुट की तीन से चार गुना होती है, जिससे यह लगातार ऊष्मा को अवशोषित करके भाप में बदलता रहता है। संक्षेप में, वाष्पन संधारण बॉयलर ताप विद्युत संयंत्र में सबसे महत्वपूर्ण घटकों में से एक है, जो पूरी प्रक्रिया के लिए आवश्यक भाप की आपूर्ति करता है।जो भाप बनकर टर्बाइन जनरेटर के रोटर चक्र को अत्याधिक तेज रफ्तार से घुमाने का कार्य करती है.जहां से बिजली बनती है.और उत्पादित बिजली को विधुत पारेषण के सब स्टेशन के माध्यम से अति उच्चदाब पारेषण लाईन के माध्यम से महावितण कंपनी मर्यादित को आपूर्ति किया जा रहा है.
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