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4 लाख करोड़ रुपए कर्ज में डूबी मध्यप्रदेश सरकार, चुनावी वादों को पूरा करने के लिए फिर मांगा लोन

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4 लाख करोड़ रुपए कर्ज में डूबी मध्यप्रदेश सरकार, चुनावी वादों को पूरा करने के लिए फिर मांगा लोन

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टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

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भोपाल। शपथ ग्रहण करने के दो हफ्ते के भीतर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने राज्य के खर्चों को पूरा करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से 2,000 करोड़ रुपये का ऋण मांगा है. इसके साथ ही मध्य प्रदेश कर्ज के बोझ तले दबता नजर आ रहा है. दरअसल, वर्तमान मुख्यमंत्री मोहन यादव को पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लगभग 4 लाख करोड़ का कर्ज विरासत में मिला है.
चार लाख करोड़ रुपए के कर्ज में डूबी एमपी सरकार, चुनावी वादों को पूरा करने के लिए फिर मांगा लोन
चुनाव जीतने के लिए किए गए लोकलुभावन वादों को लोकसभा चुनाव से पहले पूरा करना पूरा करना मध्य प्रदेश की सरकार के लिए बड़ी चुनौती है. एक तरफ सरकार पर वादों को पूरा करने के लिए जनता और विपक्ष का दबाव है. वहीं, राज्य की आर्थिक स्थिति खस्ताहाल है. हालात ये है कि मोहन यादव सरकार को सत्ता संभालते ही आरबीआई से कर्ज लेने की जरूरत पड़ गई है. मध्यप्रदेश की भाजपा
सरकार आरबीआई से लेगी 2000 रुपए का कर्जा

कर्नाटक के मंत्री की

कर्नाटक के मंत्री की “किसानों की सूखे की इच्‍छा” वाली टिप्पणी पर खड़ा हुआ विवाद, BJP ने निशाना साधा है। मध्य प्रदेश में मंत्रिमंडल का विस्तार आज, 28 मंत्री शपथ लेनेवाले हैं लेंगे
मध्य प्रदेश मंत्रिमंडल का आज अपराह्न साढ़े तीन बजे होगा विस्तार: मुख्यमंत्री मोहन यादव
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दरअसल, शपथ लेने के दो हफ्ते के भीतर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने राज्य के खर्चों को पूरा करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से 2,000 करोड़ रुपये का ऋण मांगा है. इसके साथ ही मध्य प्रदेश कर्ज के बोझ तले दबता नजर आ रहा है. दरअसल, वर्तमान मुख्यमंत्री मोहन यादव को पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लगभग 4 लाख करोड़ का कर्ज विरासत में मिला है.

कर्ज लेकर शुरू की गई लाडली बहना योजना
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की जिस लाडली बहना योजना को भाजपा की बड़ी जीत की वजह माना जाता है. इसके लिए राज्य को बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है. दरअसल, शिवराज सिंह चौहान सरकार ने अकेले 2023 में 44,000 करोड़ रुपए का उधार लिया था. इसमें चुनाव आचार संहिता लागू होने के दौरान लिए गए 5,000 करोड़ रुपए का कर्ज भी शामिल है. माना जाता है कि इसका बड़ा हिस्सा लाडली बहना योजना पर खर्च किया गया. अब, नई सरकार आने के बाद, राज्य सरकार का खजाना खाली है. वहीं, उसके पास चुनावी वादों की एक लंबी फेहरिस्त भी है. ऐसे में भाजपा को डर सता रहा है कि अगर इसे पूरा नहीं किया गया, तो लोकसभा चुनाव पर इसका बुरा असर पड़ेगा और अगर पूरा करती है, तो राज्य और भी बड़े कर्ज के बोझ तले दब जाएगा.

मुख्यमंत्री ने आर्थिक कंगाली से किया इनकार
हालांकि, मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने विधानसभा में आश्वासन दिया है कि राज्य में “कोई आर्थिक संकट नहीं” है. इसके साथ ही उन्होंने भरोसा दिया है कि कोई भी कल्याणकारी योजना धन की कमी की वजह से नहीं रुकेगी. उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने मुद्दे उठाए हैं और कहा है कि योजनाएं बंद हो जाएंगी. इसे खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि यह एक अनावश्यक डर है. उन्होंने कहा कि लाडली लक्ष्मी योजना सहित कोई भी योजना बंद नहीं की जाएंगी. सीएम यादव ने कहा कि भाजपा का घोषणापत्र रामायण और गीता जैसा है. उन्होंने नए वादों को पूरा करने के साथ ही आश्वासन दिया कि पिछली सरकार की सभी योजनाएं भी जारी रहेंगी.

कर्ज पर गरमाई राजनीति

वहीं, राज्य पर बढ़ते कर्ज को लेकर विपक्षी कांग्रेस ने सरकार को अलर्ट किया है. पार्टी प्रवक्ता अब्बास हफीज ने कहा कि मध्य प्रदेश का हर नागरिक कर्ज में डूबा हुआ है. “मध्य प्रदेश में जन्म लेने वाला हर बच्चा अब 40,000 रुपए के कर्ज में है. उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा लगातार मध्य प्रदेश को दिवालियापन की ओर धकेल रही है. इसके साथ ही उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि वे कब समझेंगे? हफीज ने कहा कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है और सरकार बनाती, तो वह राजस्व उत्पन्न करने के नए स्रोत खोजने की कोशिश करेगी.
वहीं, कांग्रेस के आरोपों पर उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस को कर्ज के मामले में सरकार पर निशाना साधने के बजाय अपनी करारी हार पर आत्ममंथन करना चाहिए. उन्होंने कहा कि हमें उधार लेने की ज़रूरत पड़ी, तो हम सड़क निर्माण, सिंचाई परियोजनाओं जैसे विकास कार्यों के लिए उधार लेंगे. इसके साथ ही देवड़ा ने आरोप लगाया कि राज्य की पिछली कांग्रेस सरकारों ने भी कर्ज लिया था, लेकिन उसका उपयोग विकास में नहीं किया. उन्होंने आरोप लगाया कि इसके बजाय, उन्होंने धन की हेराफेरी की.

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