Breaking News

जनसंख्या में वृद्धि और मुफ्तखोरी की वजह से मंहगाई की मार झेल रहे है लोग

नई दिल्ली। सरकार जब भी बजट प्रस्तुत करती हैं मंदी और महंगाई से आम लोगों को न केवल राहत देने की बात करते हैं, बल्कि आदमी जन संख्या का बोझ कम करने , मुफ्तखोरी और भ्रष्टाचार कम करने की बात भी करते हैं, लेकिन होता इसके विपरीत है। और यही कारण है कि आज भारत में महंगाई चर्चित मुद्दा बनी हुई है, जिसका प्रभाव न केवल गरीब वर्ग पर पड़ता है बल्किा इसका प्रभाव मध्यम एवं उच्च आय वर्ग के लोगों को भी प्रभावित करता है। किन्तु इस महंगाई का मार सबसे अधिक गरीब तबकों पर पड़ती है और यदि यह कहा जाय कि आज इन गरीबों को दो जून की रोटी जुटाना मुश्किल हो गया तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नही होगी, किन्तु यह भी यच है कि सरकार इस महंगाई को रोकने में कोई कसर नहीं छोड़ी है, लेकिन महंगाई कम होने का नाम ले रही है। जिसके अनेक कारण हैं –
ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा जैसे कार्यक्रमों के चलते गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों की आय में वृद्धि की गई है, जिसके चलते खाद्य पदार्थों की माँग बढ़ी है। वही इसकी तरफ खेती के रबके का उतना ही बने रहना और फसलों का पैदावार न बढ़ना भी महंगाई बढ़ने का एक कारण है यदि हम पिछले चार वर्षों के प्रमुख खाद्य फसलों के उत्पादन स्थिति से हमें पता चलता है कि वर्ष 2006-07 की तुलना में वर्ष 2010 में चावल, अनाज, तिलहन, गन्ना के उत्पादन में कमी देखी गयी है। जिसमें चावल के उत्पादन में 19.6 प्रतिशत, कमी आई इससे स्पष्ट होता है कि एक तरफ उत्पादन में कमी और दूसरी तरफ लोगों की बढ़ती माँग महंगाई को बढ़ाने में सहायक हुआ है।
आज वर्तमान परिवेश मे महंगाई का ठीकरा जिन आर्थिक घटकों के सिर फोड़ा जा रहा है उनमें सबसे अधिक वैश्विक महंगाई दर है। आज वैश्वीकरण के युग में यदि किसी एक देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है तो वह अन्य प्रदेशों की आर्थिक स्थिति में भी प्रभाव पड़ना स्वभाविक है जिसमें भारत भी एक देश है हालांकि भारत वर्तमान में खाद्यान्न का आयात नहीं कर रहा है किन्तु खाद्य तेल, दालें और खनिज तेल तो बड़ी मात्रा में आयात कर रहा है। अगर अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में इनकी कीमतें बढ़ती है तो उसका असर भारत में बढ़ती महंगाई के रूप मंे पड़ेगा। यही कारण है कि अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में जब भी पेट्रोल की कीमत बढ़ती है, उसका प्रभाव भारत में भी पड़ता है।

*मंहगाई की मुख्य जड है जनसंख्या वृद्धि*

मंहगाई की मुख्य जड है जन संख्या वृद्धि भी एक प्रमुख कारण है जिसकी वर्तमान में बहुत ज्यादा चर्चा नहीं हो रही है यह बहुत दुख की बात है जबकि पिछले दशकों में अधिक जनसंख्या को सारी समस्याओं का जड़ माना जाता था जिसमें महंगाई भी एक समस्या है चुंकि भारत में अब जनसंख्या मानव संसाधन बन चुकी है जिसकी देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका होती है और यदि यह कहा जाय कि चीन की तरह भारत में भी जनसंख्या अर्थव्यवस्था और उत्पादन मे कमि के कारण माँग अधिक बढने से जनसंख्या का अनुपात बढ़ गया है यह भी देश के विकास में बाधाओं की ताकत बन चुकि है तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगा। साथ ही इस सत्य को भी स्वीकारना होगा कि तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या में हुई वृद्धि कई बार विकास में बाधक सिद्ध होती है। आज विशाल जनसंख्या और खर्चा का बढना मुख्य कारण है

*शहरों और ग्रामीण अंचलों के बाजारों मे मुनाफाखोरी*

मुनाफाखोरी भी महंगाई के लिए एक प्रमुख कारण है। इस संदर्भ के योजना आयोग के सदस्य प्रो. अभिजीत सेन के मुताबिक पिछले दो साल से मानसून अच्छा रहा है उत्पादन में भी उतनी कमी नही आई है जितना खाद्य मुद्रा स्फीति में वृद्धि हुई अभी वर्तमान में मुद्रा स्फीति दर. प्रतिशत है। हालाकि इस महंगाई के लिए मुनाफावसूली मुख्य रूप में जिम्मेदार है। साथ ही पहले जो शहरी इलाके के आस-पास सब्जी और दूध का उत्पादन व्यापक रूप से होता था वहां पर अब इन कार्यों के लिए जमीन उपलब्ध नहीं है क्योंकि उस जगह पर रियल स्टेट सेक्टर प्रापर्टी विकसित कर रहा है यह स्थिति शहरी इलाकों के खाद्य पदार्थाें की महंगाई के लिए जिम्मेदार है और मुझे ऐसा लगता है ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा शहरी क्षेत्रों को महंगाई ने अधिक प्रभावित किया है।

*आमदानी कम और खर्चा अधिक*

महंगाई में बढ़ोत्तरी के लिए लोगों की आय कम हुई खर्च मे वृद्धि भी जिम्मेदार है। पिछले तीन साल में लोगों के वेतन मजदूरी में अच्छी खासी बढ़ोत्तरी हुई है। चाहे वह हो अधिकारी जो महंगाई में बढ़ोत्तरी के लिए एक कारण है। परन्तु लोगों की चाहत कमाई से अधिक हो रही है।

*सरकारी व्यय घाटे का वित्त प्रबंधन।*

ग्रामीण पारिवारिक बजट पर प्रभाव उसी दिन से प्रभावित हो गया जिस दिन से भारत सरकार पेट्रोल की कीमत को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कर दिया गया वह दिन था 25 जून 2010 जो पारिवारिक बजट के लिए अभिषाप बना इससे न केवल पेट्रोल, डीजल, केरोसीन और रसोई र्गसे मंहगा हो गया है बल्कि पारिवारिक बजट को बिगाड़ने में आग में घी डालने का काम किया यह अलग बात है कि केन्द्र सरकार ने यह बड़ा कदम सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों के भारी घाटे को कम करने के लिए उठाया है जो देश को इस प्रकार की सुधार की जरूरत भी है। लेकिन यह भी सरकार का दायित्व है कि देश की आम जनता को महंगाई के मार से बचाए यही कारण है कि आम लोगों ने घर से निकलने के लिए प्लालिंग करना पड़ता है ताकि एक समय में बाजार से कई काम कर पेट्रोल के पैसे को बचाया जा सके। जबकि पहले लोग जब चाहे तब घर से निकल लेते थे आम लोगों के मुताबिक आमदानी उस अनुपात से नहीं बढ़ रही है जिस अनुपात से महंगाई बढ़ रही है यही कारण है कि आज बचत की बात करना सपना हो गया है। यहां पर मैं लुधियाना के रिपुदमन सिंह का उदाहरण देना चाहूंगा, जो रोजगार विभाग से बतौर डिप्टी डायरेक्टर रिटायार हो चुके है। जिनकी पेंशन 19000 रूपये मिलते है कुछ समय पहले वे हर माह 4000 रूपये तक बचत कर लेते थे, लेकिन महंगाई के इस दौर में वे अब बचत नहीं कर पाते हैं। इसी प्रकार माह में किचन का बजट 20 दिन बड़ी मुश्किल से चलता है क्योंकि गैस सिलेंडर 360 से 420 रूपये हो चुका है आज सब्जी एवं भाजी भी 40 रूपये से कम नहीं। दाल की कीमत भी लगातार बढ़ रही है ऐसे हालत में आम आदमी को पारिवारिक बजट बनाने में बड़ी समस्या पैदा होती है। और यही कारण है कि उपभोक्ता आज महंगाई के दौर में अपने घर की बजट को नियंत्रित करने के लिए बल्क योजना के अन्तर्गत एक या दो किलो के पैक के बजाय पांच या दस किलो के पैक खरीदते हैं, जिसमें छूट भी मिलती है इससे हम न सिर्फ कुछ पैसे बचा सकते हैं बल्कि बार-बार खरीदारी के सिरदर्द से भी छूटकारा भी मिल जाता है। फिर भी आज के इस महंगाई के दौर में पारिवारिक बजट पर बचत करना एक कल्पना मात्र है।
उपरोक्त कारणों एवं प्रभावों के आधार पर मैं यही कह सकता हूँ कि सरकार की सभी आर्थिक नीति महंगाई को रोकने में विफल रही है। अतः आज आवश्यकता है कि सरकार को अपनी आर्थिक नीति बदलने की ताकि महंगाई से बचा जा सके फिर भी मैं यही कहूँगा कि आज व्यक्ति को थोड़ी महंगाई के साथ जिने की आदत डालनी होगी। और यदि हम ऐसा नहीं कर पाए तो शायद 22वीं सदी में भी हम इसी महंगाई जैसे मुद्दों पर हम चर्चा करेंगे। इसलिए मजबूरी ही नहीं थोड़ी महंगाई के साथ जिने की आदत डालनी होगी और यदि ऐसा हम कर पाते हैं तो शायद हम अपने सपनों का भारत बनाने में सहायक हों सकते हैं।

About विश्व भारत

Check Also

भविष्यवाणी : 2025 च्या सुरुवातीला काय होणार? युरोप मुस्लिमांच्या…!

बाबा वेंगा यांनी त्यांच्या भविष्यवाणीत म्हटले की, 2025 च्या सुरुवातीला विनाश सुरू होऊ शकतो. बाबा …

अंबाबाई नाले में बह रहे थे 500 के ढेर सारे नोट बटोरने टूट पड़े लोग

अंबाबाई नाले में बह रहे थे 500 के ढेर सारे नोट बटोरने टूट पड़े लोग …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *