अलौकिक शक्ति सम्पन्न व्यक्ति की हस्तरेखाएं
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
वाराणासी। हस्तसामुद्रिक ज्योतिष विज्ञान के अनुसार, कुछ विशिष्ट हस्त रेखाएं और हथेली की बनावट अलौकिक शक्तियों के संकेत देती हैं। यदि शनि पर्वत पर क्रॉस का निशान हो और गुरु तथा सूर्य पर्वत उभरे हुए हों, तो ऐसा व्यक्ति छठी इंद्रिय के साथ अलौकिक शक्तियों का स्वामी हो सकता है.
अलौकिक शक्ति के संकेत:
शनि पर्वत पर क्रॉस:
यह संकेत व्यक्ति को तंत्र के क्षेत्र में सफलता दिला सकता है और अलौकिक शक्तियों को जागृत कर सकता है.
गुरु और सूर्य पर्वत उभरे हुए:
ये पर्वत व्यक्ति को उच्च ज्ञान, आत्म-नियंत्रण और नेतृत्व क्षमता प्रदान करते हैं, जो अलौकिक शक्तियों के विकास में सहायक होते हैं.
जीवन रेखा का स्वरूप:
मजबूत और गहरी जीवन रेखा व्यक्ति को दीर्घायु और स्वस्थ जीवन प्रदान करती है, जिससे वह अलौकिक शक्तियों का अभ्यास करने के लिए पर्याप्त समय और ऊर्जा प्राप्त करता है.
माध्यम उंगली के नीचे शनि पर्वत पर क्रॉस:का होना
यह भी अलौकिक शक्तियों के संकेत हो सकते है और व्यक्ति को तंत्र और अन्य अलौकिक शक्तियों का अभ्यास करने में मदद करता है.
छठी इंद्रिय की प्रबलता:
ऐसे व्यक्ति को सामान्य लोगों से ज्यादा महसूस करने की क्षमता होती है, जो उन्हें अलौकिक शक्तियों को महसूस करने में मदद करता है.
अलौकिक शक्ति का अभ्यास:
ध्यान और एकाग्रता:
अलौकिक शक्तियों को जागृत करने के लिए ध्यान और एकाग्रता महत्वपूर्ण है.
मंत्र और तंत्र:अलौकिक शक्तियों के अभ्यास के लिए मंत्र और तंत्र विद्या का उपयोग किया जा सकता है.
आत्म-ज्ञान:अलौकिक शक्तियों को समझने और नियंत्रित करने के लिए आत्म-ज्ञान की आवश्यकता होती है.
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि हस्त रेखा विज्ञान एक अनुमानित विद्या है और यह हमेशा सत्य भी होती है ओर पूर्णज्ञाननहीं होने के कारण असत्य भी हो सकती है.। दरअसल में अलौकिक शक्तियों को जागृत करने के लिए व्यक्ति को अभ्यास और दृढ़ इच्छाशक्ति की आवश्यकता होती है.
अलौकिक शक्तियां प्राप्त करने का मार्ग मुख्य रूप से ध्यान, तपस्या, और मंत्रों के जाप के माध्यम से है। इन शक्तियों को प्राप्त करने का उद्देश्य आत्म-साक्षात्कार और उच्च आध्यात्मिक विकास है।
अलौकिक शक्ति का अर्थ?
दरअसल मे अलौकिक शक्ति एक ऐसी महाशक्ति है जिसका आमतौर पर कथा साहित्य और अन्य साहित्यिक कृतियों, जैसे कि पौराणिक कथाओं में उल्लेख किया जाता है। हिस्टीरिकल ताकत की घटना का एक काल्पनिक प्रतिनिधित्व, यह एक सामान्य मनुष्य के लिए शारीरिक रूप से संभव से परे बल लगाने और वजन उठाने की शक्ति है।
साधारण मनुष्य कहने का मतलब हम आम जन से लेते हैं, आलौकिक शक्तियों का तात्पर्य जो शक्तियां लौकिक नही है, दृश्य नही है से लेते हैं । फिर मूल प्रश्न इन शक्तियों के मानने और उनसे डरने भयभीत होने से है।
मेरा मानना है कि इस संसार , मतलब जिस दुनिया में हम सभी अभी रह रहे हैं उसका संचालन दो तरह की शक्तियों से हो रहा है।एक है लौकिक शक्ति (artificial power) और दुसरा है आलौकिक शक्ति (heavenly power or natural power) । लौकिक शक्तियों का ईजाद हम मनुष्यों के द्वारा किया गया है जैसे बिजली,मोटर, एक्स रे मशीन,सी टी स्कैन मशीन,रेल इंजन आदि। इलेक्ट्रिक पावर का उपयोग हमलोग अपने बहुत सारे कार्यों को करने में करते हैं। लेकिन बिजली का उत्पादन यदि इस धरती में पानी और कोयला नही होता तो क्या हम लोग बिजली बना पाते, नही न । पानी और कोयला हमने नही बनाए। पवन बिजली,सौर ऊर्जा से बिजली, एटोमिक इनर्जी से बिजली भी क्या हवा, सूर्य और रेडियोएक्टिव पदार्थों के बिना बनाना संभव हो पाता है। हमने इनको भी नही बनाया है, बल्कि इनका इस्तेमाल किया है। बिजली का करेंट इलेक्ट्रॉन के बहाव के विपरीत दिशा में होता है और उसी के कारण हमलोग बिजली का ट्रांसमिशन एक जगह से दूसरी जगह तक कर पाते हैं। हमने इलेक्ट्रॉन भी नही बनाए । ट्रांसमिशन के सुचालक धातुएं अल्युमिनियम,कोपर भी हमने नही बनाए। एक्स रे,गामा रे,बीटा रे , अल्फा रे उत्पन्न करने वाले पदार्थ भी हमने नही बनाए। इनका उपयोग करते हुए हमने एक्स रे मशीन,एटम बम्ब, हाइड्रोजन बम आदि बनाए।इन वस्तुओं पदार्थों का निर्माण किसी आलौकिक या कहें प्राकृतिक शक्तियों के द्वारा ही किया गया है। हम प्यास बुझाने के लिए पानी ही पीना चाहेंगे,दुध , धी या कोई दूसरा द्रव नही क्यों कि पानी में ही प्यास बुझाने की शक्ति है दुसरे द्रव में नही। पानी हमने नही बनाए। हम खेतों में फसल और अन्न उगाने के लिए बीज डाल सकते हैं।बीज हमने नही बनाए और एक बीज से सैकड़ों हजारों बीज भी हमने नही उगाए, कोई आलौकिक शक्तियों के माध्यम से ही यह सब संभव होता है।
आलौकिक शक्तियों को सिर्फ साधारण मनुष्य ही नही मानते बल्कि असाधारण, शिक्षित मनुष्य भी मानते हैं। आइन्सटाइन ने भी कहा था कि जब मैं अपने अंगूठे को देखता हूं तो लगता है कि ईश्वर है जिसने बहुत सोच समझ कर हमें डिजाइन किया है।
नासा भी अब डार्क मैटर और डार्क एनर्जी की बात करता है और कहता है ब्रह्माण्ड में 95 प्रतिशत डार्क मैटर और एनर्जी है जिसके बारे में हम सब को अभी कुछ भी पता नही है।अभी तक विज्ञान जितने मैटर और एनर्जी को जान समझ पाया है वह मात्र 5 प्रतिशत हीं है।
आलौकिक शक्तियों को तो मानना ही चाहिए। लेकिन जहां तक उनसे डरने का सवाल है, इसके दो कारण हैं – पहला जो भी प्राणी के रूप में इस धरती पर है चाहे वो मनुष्य हो, जानवर पशु पक्षी,सांप बिच्छू, कीड़े मकोड़े हीं क्यों न हो,भुख , प्यास और नींद सभी की जरूरत है। भुख , प्यास और नींद की पूर्ति के बाद प्राणी अपनी सुरक्षा चाहता है। इसलिए हमलोग घर बनाते हैं । जब घर बनाना नही जानते थे तो गुफाओं में, पेड़ों में चढ़कर अपने को सुरक्षित करते थे। पक्षी भी अपने लिए घोंसले बनाते हैं। चींटियां,चुहे, सांप, बिच्छू सभी अपने अपने घर बनाते हैं सुरक्षा के लिए। क्योंकि जो प्राणी है उसे अपने प्राण के खो जाने का भय प्राकृतिक रूप से मिला है। डर सिर्फ मनुष्यों में ही नही दिखता है बल्कि सभी प्राणियों में डर का भाव जन्मजात होता हीं है।
जहां तक साधारण मनुष्यों द्वारा आलौकिक शक्तियों से डरने की बात है तो इसके सामाजिक कारण हैं। जैसे कि शिक्षा का अभाव, समाज में व्याप्त अंधविश्वास, अल्पज्ञानी पंडित पुजारी, कथा वाचक,मुल्ला मौलवियों द्वारा अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए लोगों का भय दोहन। आलौकिक शक्तियां हमारी सहायता करती हैं, भयभीत नही। उनसे भयभीत हमें तो हमारे आसपास की दुनिया करती है।
इसलिए हम आलौकिक शक्तियों को माने, उनका सम्मान करें लेकिन उनसे डरें नही। डॉक्टर भी किसी गंभीर बिमारी का इलाज करता है,ओपरेशन करता है, दवा देता है तो साथ ही मरीज के परिजनों को अपने इष्ट देव से दुआएं मांगने की भी सलाह देता है और कभी-कभी तो दवा से ज्यादा कारगर दुआएं होती हैं