बच्चों में HMPV वायरस का मडराया खतरा
टेकचंद्र शास्त्री:
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दिल्ली। सर्दी-जुकाम या खांसी-बुखार जैसी दिक्कतों को हम लोग अक्सर आम समझने की गलती कर बैठते हैं. बच्चों में खासतौर पर इन बीमारियों को घरों में माता-पिता हल्के में ले लेते हैं. एक स्टडी में बताया गया है कि इन लक्षणों के पीछे कभी-कभी खतरनाक वायरस भी हो सकता है. ऐसे ही एक वायरस ह्यूमन मेटा-न्यूमोवायरस (HMPV) ने इस साल भारत में बच्चों पर सबसे ज्यादा असर किया. ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) एक रेस्पिरेटरी बीमारी है जो हवा के जरिए तेजी से फैल सकती है जिसकी वजह से बेहद खतरनाक साबित हो सकती है.इसमें बुखार, खांसी और सांस लेने में दिक्कत जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, आमतौर पर लोग इसे सर्दी-जुकाम समझकर नजरअंदाज कर देते हैं.
द लैंसेट रीजनल हेल्थ साउथ-ईस्ट एशिया जर्नल में पब्लिश हुई स्टडी में बताया गया है कि HMPV के मामले 1 से 2 साल की उम्र के बच्चों में सबसे ज्यादा सामने आए. स्टडी के मुताबिक, भारत में HMPV के मामले जनवरी 2025 के दूसरे हफ्ते से सामने आने लगे. गुजरात और पुडुचेरी जैसे प्रदेशों में इसकी शुरुआत हुई थी. माना जा रहा है कि ये इंफेक्शन चीन में 2024 के आखिर में फैले मौसमी बीमारियों के प्रकोप से जुड़ा हुआ है. स्टडी में सामने आए ये आकंड़े पर
फैसला साल 2019 से 2023 के बीच 20,000 से ज्यादा लोगों की जांच हुई, जिनमें करीब 3.2% लोग HMPV पॉजिटिव पाए गए. 2024 में 11,000 से ज्यादा टेस्ट में 3.3% लोग पॉजिटिव निकले. 1 से 2 साल की उम्र के बच्चों में सबसे ज्यादा पॉजिटिव केस मिले. लगभग 70% मरीजों में बुखार और खांसी सबसे कॉमन लक्षण पाए गए. ज्यादातर मरीजों को औसतन 11 दिन तक बीमारी रही और करीब 7 दिन हॉस्पिटल में भर्ती रहना पड़ा. एक्सपर्ट का कहना है कि भले ही HMPV कोई नया वायरस नहीं है, लेकिन बच्चों में इसके केस बढ़ रहे हैं. ये गंभीर सांस लेने जरिए फैलने वाली बीमारी के तौर पर उभर रहा है, इसलिए इसकी समय पर पहचान और बचाव बहुत जरूरी है. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) और तमिलनाडु हेल्थ डिपार्टमेंट के रिसर्चर्स ने कहा है कि इस नए वायरस को समझने के लिए सर्विलांस सिस्टम को मजबूत बनाना जरूरी है. इससे न सिर्फ बीमारी को फैलने से रोका जा सकता है बल्कि पब्लिक हेल्थ पॉलिसी बनाने में भी मदद मिलेगी
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