छिन्दवाडा। वेस्टर्न कोल फिल्ड्स लिमिटेड अंतर्गत भाजीपानी खदान परिसर मे पडी सैकडों हेक्टेयर सरकारी बंजर भूमि में अवैध कोयला उत्खनन से सरकार को सरकार को करोड़ों की चपत लगाई जा चुकी है। इस प्रकरण मे वेकोलि तथा राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से सारा खेल हो रहा है।
सरकार को ही करोड़ो का चूना लगाकर खदान में अवैध उत्खनन का मामला सामनें आया था, खास बात यह है कि इस मामले में प्रदेश सरकार के खदान प्रबंधन एवं खनिज विभाग तथा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भोपाल के अधिकारियों की संलिप्तता पायी गई है। Eow की जांच में ये बात सामने आयी है कि अधिकारियों की मिलीभगत से ही यह सारा खेल हुआ है। जिसमें लाखों टन कोयले का अवैध रूप से उत्खनन कर शासन को करोड़ों रुपये की हानि पहुंचाई गई है।
: इस मामले में मध्यप्रदेश के लोकायुक्त एक्शन, 3 हजार की रिश्वत लेते दबोचे गए रोजगार सहायक दबोचा गया था।
ईओडब्ल्यू के अनुसार वेस्टर्न कोल फील्ड लिमिटेड भाजीपानी, छिंदवाड़ा में वर्ष 2004 से 2011 तक डब्ल्यूसीएल द्वारा भाजीपानी खदान से 423864 मिट्रिक टन कोयले का उत्पादन व डिस्पेच प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से वायु एवं जल सम्मति के बिना किया गया था। इसके लिये वायु एवं जल सम्मति नहीं ली गई थी, जबकि इसके लिये 1,00,000 रुपये तथा प्रतिवर्ष नवीनीकरण शुल्क 80,000 रुपये निर्धारित है। वहीं राज्य शासन एवं क्षेत्रीय कार्यालय मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जबलपुर निर्देशित किया गया था कि वायु एवं जल सम्मति प्राप्त किए बिना खदान संचालन न हो, परन्तु जिला छिंदवाड़ा में पदस्थ खनिज अधिकारियों एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों द्वारा उक्त आदेशों की अवहेलना करते हुए उक्त खदान में उत्खनन रोकने हेतु कोई प्रयास नहीं किए गए तथा पद का दुरूपयोग कर खनन हेतु पिट पास जारी किए गये। बताया जाता है कि सरकारी बंजर भूमि पर अवैध उत्खनन की वजह से सरकार को करोडों रुपए का चूना लग चुका है।यह जानकारी वेकोलि के ऐक सेवानिवृत्त अधिकारी ने अपना नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर बतलाया है।