अनपरा (सोनभद्र) उत्तरप्रदेश के कृष्णशिला रेलवे कोल साइडिंग के समीप एनसीएल की भूमि पर बगैर अनुमति के लाखों टन भंडारण किए गए कोयले में रविवार को अचालक आग लग गई। इस घटना से भयावह स्थिति बन गई है। कोल विक्रेता एवं ट्रांसपोर्टरों में खलबली मची है। पर्यावरण प्रदूषण का खतरा बढ़ने से लोग संशकित हैं। बिना किसी अनुमति के कोयला भंडारण करने पर सवाल उठने लगे है। मामले की जांच चल रही है।
प्रदूषण व पर्यावरण को लेकर अपर जिलाधिकारी सहदेव प्रसाद मिश्र ने खनन, प्रदूषण, राजस्व, वनविभाग समेत ककरी व बीना परियोजना के जीएम के साथ कोलयार्ड में स्थलीय निरीक्षण कर हालात का जायजा लिया। लगभग 32 बीघा में बगैर अनुमति के भंडारण किए गए 10 लाख टन कोयले को जब्त किया गया। कहा कि जब्त किए गए कोयले से संबंधित प्रपत्र प्रस्तुत कर सात दिनों के अंतराल में कोयले को यार्ड से हटा लें अन्यथा पर्यावरण के लिए काफी खतरनाक होगा।
सोनभद्र में मिल सकता है कच्चे तेल और गैस का भंडार,
कोयले की नीलामी कर पर्यावरण क्षतिपूर्ति की जाएगी। इस दौरान स्थानीय पुलिस को निर्देशित किया गया कि एनसीएल की भूमि पर बनाए गए कोलयार्ड में कोयले की आपूर्ति एवं शिफ्टिंग समेत कोई भी गतिविधि संचालित नहीं की जाएगी। निर्देश के अनुपालन में रेलवे साइडिंग पर पुलिस की पिकेट ड्यूटी लगाई गई है। जिला प्रशासन के इस आदेश से कोल क्रेता व ट्रांसपोर्टर काफी परेशान हैं। उनका कहना है कि एनसीएल से कोयला खरीद कर रेल रैक से भेजने के लिए डंप किया गया है। रेल रैक उपलब्ध नही होने से कोयला प्रेषण नही हो पा रहा है। कोयले में आग लगी है, जो निरंतर जल रहा है।
कोयले में मिलावट से रेलवे साइडिंग सुर्खियों में
रेलवे साइडिंग पर वर्षों से एनसीएल की भूमि पर कोयला भंडारण किया जा रहा है। संबंधित परियोजना की उदासीनता से कोल ट्रांसपोर्टर बेखौफ होकर मनमाने ढंग से कोलयार्ड का दायरा बढ़ाते गए। इसी दौरान कुछ ट्रांसपोर्टर कोयला में हेराफेरी करने के लिए मिलावट का खेल शुरू किए। विभिन्न उद्योगों के अपशिष्ट (छाई) रेल रैक से लाकर कोयले में मिलावट को एक उद्योग के रूप में शुरू किया गया। धीरे-धीरे यह अवैध कारोबार सुर्खियों में आने लगा है।