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राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शिवसेना में फूट के बाद बदले सियासी समीकरण

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राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शिवसेना में फूट के बाद बदले सियासी समीकरण

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टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

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मुंबई। भाजपा-शिवसेना ने साल 2019 के लोकसभा चुनाव में 48 में से 41 सीटों पर जीत हासिल की थी। इनमें से भाजपा को 23 सीटों पर जीत मिली थी तो वहीं अविभाजित शिवसेना को 18 सीटों हासिल हुई थी। हालांकि इस बार महाराष्ट्र के सियासी समीकरण बदल गए हैं। NCP और शिवसेना में पड़ी फूट के बाद वोटरों के बिखरने का खतरा है।

 

महाराष्ट्र में इस बार काफी दिलचस्प होगा लोकसभा चुनाव। शिवसेना, एनसीपी में फूट के बाद बदला सियासी गणित

लोकसभा चुनाव की तारीखों का एलान हो गया है। महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों पर पांच चरणों में मतदान होगा। हालांकि, साल 2019 के मुकाबले इस बार महाराष्ट्र की सियासत भी रोचक हो गई है। राज्य के प्रमुख राजनीतिक दल शिवसेना और NCP में फूट ने महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों के लिए लड़ाई को और अधिक दिलचस्प बना दिया है।

भाजपा-शिवसेना को 41 सीटों पर मिली थी जीत

दरअसल, भाजपा-शिवसेना ने साल 2019 के लोकसभा चुनाव में 48 में से 41 सीटों पर जीत हासिल की थी। इनमें से भाजपा को 23 सीटों पर जीत मिली थी तो वहीं अविभाजित शिवसेना को 18 सीटों हासिल हुई थी। इसके अलावा अविभाजित NCP चार सीटों पर विजयी हुई थी और कांग्रेस को राज्य में एक सीट पर जीत मिली थी।

 

NCP और शिवसेना में पड़ी फूट

हालांकि, 2019 लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा-शिवसेना अलग हो गए और बाद में शिवसेना में फूट गई पड़ी। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना को असली पार्टी के रुप में चुनाव आयोग द्वारा मान्यता मिली और उन्होंने बीजेपी के साथ मिलकर राज्य में नई सरकार बनाई। वहीं, शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी में भी फूट पड़ गई और अजित पवार गुट, एकनाथ शिंदे-भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल हो गया।

 

कितने हैं वोटर?

बता दें कि महाराष्ट्र में आगामी लोकसभा चुनाव में कुल 9.2 करोड़ मतदाता है। जिनमें से 50 हजार बुजुर्ग मतदाताओं की संख्या है।

 

क्या है महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति?

कोंकण: इस क्षेत्र में महाराष्ट्र की छह लोकसभा सीट आती हैं। इसमें देश की आर्थिक राजधानी मुंबई भी शामिल है। इस क्षेत्र के प्रमुख मुद्दे परिवहन, आवास और नौकरियों से संबंधित हैं।

पश्चिमी महाराष्ट्र: राज्य के सबसे विकसित क्षेत्रों में से एक है। यहां सूचना प्रौद्योगिकी केंद्रों के साथ-साथ चीनी मिलों, इथेनॉल संयंत्रों स्थापित हैं। इस क्षेत्र में पर्याप्त वर्षा होती है, जिस वजह से लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

इस क्षेत्र में मजबूत दावेदार NCP और शिवसेना है। हालांकि, दोनों दलों में विभाजन के बाद से नए लोकसभा चुनाव में समीकरण बदल सकते हैं।

2019 चुनावों में भाजपा ने पांच सीटें जीतीं, जबकि शिवसेना और शरद पवार द्वारा स्थापित राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने इस क्षेत्र से तीन-तीन सीटें जीतीं

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