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(भाग:329) समुद्र मंथन से उत्पन्न हुआ कल्पवृक्ष स्वर्गलोक का एक विशेष वृक्ष

(भाग:329) समुद्र मंथन से उत्पन्न हुआ कल्पवृक्ष स्वर्गलोक का एक विशेष वृक्ष

टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

पौराणिक धर्मग्रंथों और हिन्दू मान्यताओं के अनुसार यह माना जाता है कि इस वृक्ष के नीचे बैठकर व्यक्ति जो भी इच्छा करता है, वह पूर्ण हो जाती है, क्योंकि इस वृक्ष में अपार सकारात्मक ऊर्जा होती है। पुराणों के अनुसार समुद्र मंथन के 14 रत्नों में से एक कल्पवृ‍क्ष की भी उत्पत्ति हुई थी।

कल्पवृक्ष : कैसा है, कहां है, क्या-क्या चमत्कार कर सकता है? सब जानिए यहां…

वेद और पुराणों में कल्पवृक्ष का उल्लेख मिलता है। कल्पवृक्ष स्वर्ग का एक विशेष वृक्ष है। पौराणिक धर्मग्रंथों और हिन्दू मान्यताओं के अनुसार यह माना जाता है कि इस वृक्ष के नीचे बैठकर व्यक्ति जो भी इच्छा करता है, वह पूर्ण हो जाती है, क्योंकि इस वृक्ष में अपार सकारात्मक ऊर्जा होती है।

पुराणों के अनुसार समुद्र मंथन के 14 रत्नों में से एक कल्पवृ‍क्ष की भी उत्पत्ति हुई थी। समुद्र मंथन से प्राप्त यह वृक्ष देवराज इन्द्र को दे दिया गया था और इन्द्र ने इसकी स्थापना ‘सुरकानन वन’ (हिमालय के उत्तर में) में कर दी थी। पद्मपुराण के अनुसार पारिजात ही कल्पतरु है।

लेकिन अब सवाल यह उठता है कि क्या सचमुच ऐसा कोई वृक्ष था या है? यदि था तो क्या आज भी वो है? यदि है तो वह कैसा दिखता है और उसके क्या फायदे हैं? आओ जानते हैं अगले पन्नों पर…

कैसा दिखता है कल्पवृक्ष

ओलिएसी कुल के इस वृक्ष का वैज्ञानिक नाम ओलिया कस्पीडाटा है। यह यूरोप के फ्रांस व इटली में बहुतायत मात्रा में पाया जाता है। यह दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में भी पाया जाता है। भारत में इसका वानस्पतिक नाम बंबोकेसी है। इसको फ्रांसीसी वैज्ञानिक माइकल अडनसन ने 1775 में अफ्रीका में सेनेगल में सर्वप्रथम देखा था, इसी आधार पर इसका नाम अडनसोनिया टेटा रखा गया। इसे बाओबाब भी कहते हैं।

वृक्षों और जड़ी-बूटियों के जानकारों के मुताबिक यह एक बेहद मोटे तने वाला फलदायी वृक्ष है जिसकी टहनी लंबी होती है और पत्ते भी लंबे होते हैं। दरअसल, यह वृक्ष पीपल के वृक्ष की तरह फैलता है और इसके पत्ते कुछ-कुछ आम के पत्तों की तरह होते हैं। इसका फल नारियल की तरह होता है, जो वृक्ष की पतली टहनी के सहारे नीचे लटकता रहता है। इसका तना देखने में बरगद के वृक्ष जैसा दिखाई देता है। इसका फूल कमल के फूल में रखी किसी छोटी- सी गेंद में निकले असंख्य रुओं की तरह होता है।

 

पीपल की तरह ही कम पानी में यह वृक्ष फलता-फूलता हैं। सदाबहार रहने वाले इस कल्पवृक्ष की पत्तियां बिरले ही गिरती हैं, हालांकि इसे पतझड़ी वृक्ष भी कहा गया है।

 

यह वृक्ष लगभग 70 फुट ऊंचा होता है और इसके तने का व्यास 35 फुट तक हो सकता है। 150 फुट तक इसके तने का घेरा नापा गया है। इस वृक्ष की औसत जीवन अवधि 2500-3000 साल है। कार्बन डेटिंग के जरिए सबसे पुराने फर्स्ट टाइमर की उम्र 6,000 साल आंकी गई है।

औषध गुणों के कारण कल्पवृक्ष की पूजा की जाती है। भारत में रांची, अल्मोड़ा, काशी, नर्मदा किनारे, कर्नाटक आदि कुछ महत्वपूर्ण स्थानों पर ही यह वृक्ष पाया जाता है। पद्मपुराण के अनुसार परिजात ही कल्पवृक्ष है। यह वृक्ष उत्तरप्रदेश के बाराबंकी के बोरोलिया में आज भी विद्यमान है। कार्बन डेटिंग से वैज्ञानिकों ने इसकी उम्र 5,000 वर्ष से भी अधिक की बताई है।

समाचारों के अनुसार ग्वालियर के पास कोलारस में भी एक कल्पवृक्ष है जिसकी आयु 2,000 वर्ष से अधिक की बताई जाती है। ऐसा ही एक वृक्ष राजस्थान में अजमेर के पास मांगलियावास में है और दूसरा पुट्टपर्थी के सत्य साईं बाबा के आश्रम में मौजूद है।

 

यह एक परोपकारी मेडिस्नल-प्लांट है अर्थात दवा देने वाला वृक्ष है। इसमें संतरे से 6 गुना ज्यादा विटामिन ‘सी’ होता है। गाय के दूध से दोगुना कैल्शियम होता है और इसके अलावा सभी तरह के विटामिन पाए जाते हैं।

इसकी पत्ती को धो-धाकर सूखी या पानी में उबालकर खाया जा सकता है। पेड़ की छाल, फल और फूल का उपयोग औषधि तैयार करने के लिए किया जाता है।

कल्पवृक्ष के कितने फायदे…

सेहत के लिए : इस वृक्ष की 3 से 5 पत्तियों का सेवन करने से हमारे दैनिक पोषण की जरूरत पूरी हो जाती है। शरीर को जितने भी तरह के सप्लीमेंट की जरूरत होती है इसकी 5 पत्तियों से उसकी पूर्ति हो जाती है। इसकी पत्तियां उम्र बढ़ाने में सहायक होती हैं, क्योंकि इसके पत्ते एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं। यह कब्ज और एसिडिटी में सबसे कारगर है। इसके पत्तों में एलर्जी, दमा, मलेरिया को समाप्त करने की शक्ति है। गुर्दे के रोगियों के लिए भी इसकी पत्तियों व फूलों का रस लाभदायक सिद्ध हुआ है।

इसके बीजों का तेल हृदय रोगियों के लिए लाभकारी होता है। इसके तेल में एचडीएल (हाईडेंसिटी कोलेस्ट्रॉल) होता है। इसके फलों में भरपूर रेशा (फाइबर) होता है। मानव जीवन के लिए जरूरी सभी पोषक तत्व इसमें मौजूद रहते हैं। पुष्टिकर तत्वों से भरपूर इसकी पत्तियों से शरबत बनाया जाता है और इसके फल से मिठाइयां भी बनाई जाती हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार हमारे शरीर में आवश्यक 8 अमीनो एसिड में से 6 इस वृक्ष में पाए जाते हैं।

पर्यावरण के लिए : यह वृक्ष जहां भी बहुतायत में पाया जाता है, वहां सूखा नहीं पड़ता। यह रोगाणुओं का डटकर मुकाबला करता है। इस वृक्ष की खासियत यह है कि कीट-पतंगों को यह अपने पास फटकने नहीं देता और दूर-दूर तक वायु के प्रदूषण को समाप्त कर देता है। इस मामले में इसमें तुलसी जैसे गुण हैं।

पानी के भंडारण के लिए इसे काम में लिया जा सकता है, क्योंकि यह अंदर से (वयस्क पेड़) खोखला हो जाता है, लेकिन मजबूत रहता है जिसमें 1 लाख लीटर से ज्यादा पानी की स्टोरिंग केपेसिटी होती है। इसकी छाल से रंगरेज की रंजक (डाई) भी बनाई जा सकती है। चीजों को सान्द्र (Solid) बनाने के लिए भी इस वृक्ष का इस्तेमाल किया जाता है।

 

कैसे उपयोग करें कल्पवृक्ष को औषधि के रूप में…

पत्तों का उपयोग : हमारे दैनिक आहार में प्रतिदिन कल्पवृक्ष के पत्ते मिलाएं 20 प्रतिशत और सब्जी (पालक या मैथी) रखें 80 प्रतिशत। आप इसका इस्तेमाल धनिए या सलाद की तरह भी कर सकते हैं। इसके 5 से 10 पत्तों को मैश करके परांठे में भरा जा सकता है।

 

कल्पवृक्ष का फल आम, नारियल और बिल्ला का जोड़ है अर्थात यह कच्चा रहने पर आम और बिल्व तथा पकने पर नारियल जैसा दिखाई देता है लेकिन यह पूर्णत: जब सूख जाता है तो सूखे खजूर जैसा नजर आता

अपने घर की ऊर्जा बढ़ाने के लिए कल्पवृक्ष वृक्ष का उपयोग करें

अपने घर की ऊर्जा बढ़ाने के लिए कल्पवृक्ष वृक्ष का उपयोग करें

कल्पक वृक्ष वास्तु शास्त्र की प्राचीन भारतीय पद्धति में एक अवधारणा है, जो पारंपरिक वास्तुकला और डिजाइन का एक रूप है। इसे विकास और प्रचुरता का प्रतीक माना जाता है और अक्सर हिंदू पौराणिक कथाओं में इसे एक पेड़ के रूप में चित्रित किया गया है जो उन लोगों की इच्छाएं पूरी करता है जो इसका आशीर्वाद चाहते हैं।

 

कल्पवृक्ष वृक्ष वास्तु

चीजें जो हमने आपके लिए कवर कीं+

इस लेख में, आप वास्तु शास्त्र में कल्पक वृक्ष के पीछे के सिद्धांतों और प्रतीकवाद के बारे में जानेंगे, साथ ही पारंपरिक भारतीय वास्तुकला और डिजाइन में इसके महत्व और भूमिका के बारे में जानेंगे।

 

कल्पवृक्ष वृक्ष क्या है?

कल्पक वृक्ष ( शाब्दिक संस्कृत अर्थ: आयु-वृक्ष ) एक पौराणिक वृक्ष है जिसका उल्लेख कई भारतीय धर्मों और ग्रंथों में किया गया है और इसे विश्व वृक्ष या जीवन के वृक्ष के रूप में वर्णित किया गया है। पेड़ के प्रतीक और चित्र विशाल शाखाओं और हरे-भरे पत्तों वाले एक विशाल पेड़ का प्रतिनिधित्व करते हैं।

जीवन के पौराणिक वृक्ष का रूपांकन कुछ ऐसा है जो आपको दुनिया भर और संस्कृतियों में मिलेगा। कल्पवृक्ष, जीवन के वृक्ष की तरह ही शाश्वत जीवन और नवीकरण की अवधारणा से जुड़ा है।

कल्पवृक्ष वृक्ष को सभी इच्छाओं को पूरा करने वाला और सभी इच्छाओं को पूरा करने वाला कहा जाता है, जबकि यग्द्रसिल को एक सदाबहार वृक्ष के रूप में वर्णित किया गया है जो लगातार शाश्वत यौवन के वसंत से भर जाता है।

आप देखेंगे कि कल्पक वृक्ष (वैदिक पौराणिक कथा), यग्द रसिल ( नॉर्स पौराणिक कथा) और बोधि वृक्ष (बौद्ध पौराणिक कथा) के बीच आश्चर्यजनक समानताएं हैं।

कल्पक वृक्ष वृक्ष की भौतिक विशेषताएं

भारत के विभिन्न राज्यों में विशिष्ट वृक्ष हैं जिन्हें कल्पवृक्ष कहा जाता है।

बरगद का पेड़, जिसे न्यग्रोध वृक्ष भी कहा जाता है, पूरे देश में उगता है, इसे कल्पवृक्ष या कप्लाप्टरु कहा जाता है क्योंकि इसकी छाया, भोजन और दवा जैसी मानवीय जरूरतों को पूरा करने की क्षमता है और इसकी पत्तियों और जड़ों का उपयोग धार्मिक कार्यों में किया जा सकता है। समारोह.

इसी तरह, नारियल के पेड़ को कभी-कभी “कल्पवृक्ष” भी कहा जाता है क्योंकि इसका हर भाग किसी न किसी तरह से उपयोगी होता है, जिसमें भोजन, पेय, तेल, रस्सी, झोपड़ियाँ, पंखे, चटाई, चीनी, नाव और बहुत कुछ शामिल है।

अश्वत्थ वृक्ष, जिसे पवित्र अंजीर का पेड़ भी कहा जाता है, कल्पवृक्ष के नाम से जाना जाता है और कहा जाता है कि इसमें देवताओं और ब्रह्मा का वास होता है।

आदिवासी लोगों के क्षेत्रों में पाया जाने वाला महुआ का पेड़ आदिवासी लोगों के दैनिक जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है और कल्पवृक्ष कल्पवृक्ष के समान है।

देश के रेगिस्तानी इलाकों में पाए जाने वाले और अजमेर या जांत के नाम से जाने जाने वाले शमी वृक्ष को स्थानीय बोली में कल्पवृक्ष कहा जाता है। पेड़ की जड़ें 17-25 मीटर की गहराई तक गहरी होती हैं, यह रेतीली मिट्टी के कटाव को रोकने में मदद करता है, सूखे की स्थिति के दौरान हरा रहता है और जानवरों के लिए भोजन का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।

वास्तु शास्त्र में कल्पवृक्ष वृक्ष की भूमिका

कल्पवृक्ष वृक्ष के लाभ: कल्पवृक्ष वृक्ष का वास्तु

वास्तु शास्त्र का दावा है कि कल्पकटरु पांच तत्वों को संतुलित कर सकता है और घर या भवन में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह में सुधार कर सकता है।

स्थान की समग्र समृद्धि और कल्याण को बढ़ाने के लिए पेड़ को घर या भवन के डिजाइन में शामिल किया जा सकता है। कल्पवृक्ष वृक्ष शाश्वत जीवन और नवीकरण की अवधारणा से भी जुड़ा हुआ है और कहा जाता है कि यह सभी इच्छाओं को पूरा करता है और सभी इच्छाओं को पूरा करता है।

कल्पवृक्ष के पेड़ का उपयोग सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को बढ़ाने और घर या भवन के निवासियों के लिए समृद्धि और खुशहाली लाने के लिए किया जा सकता है।

घर के लिए कल्पवृक्ष का पेड़ आदर्श स्थान है

पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में

क्योंकि ये धन और समृद्धि की दिशाएं मानी जाती हैं।

आप अपने घर में जितनी चाहें उतनी संख्या में कल्पवृक्ष के पेड़ लगा सकते हैं।

 

अपने घर की ऊर्जा बढ़ाने के लिए कल्पवृक्ष वृक्ष का उपयोग कैसे करें

यहां कुछ तरीके दिए गए हैं जिनसे आप अपने घर में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को बेहतर बनाने के लिए कल्पवृक्ष के पेड़ का उपयोग कर सकते हैं-

घर में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को बेहतर बनाने के लिए कल्पवृक्ष के पेड़ का उपयोग करने का सबसे महत्वपूर्ण तरीका इसे सही स्थान पर रखना है।

वास्तु शास्त्र कहता है कि घर के पूर्व और उत्तर-पूर्व कोने धन और समृद्धि की दिशा हैं। घर के पूर्व या उत्तर-पूर्व कोने में कल्पवृक्ष का पेड़ लगाने से वहां रहने वाले लोगों को सौभाग्य और प्रचुरता मिल सकती है।

ऐसा पेड़ का आकार चुनें जो आपके घर के अनुकूल हो

कल्पवृक्ष वृक्ष के आकार का उपयोग किसी स्थान की ऊर्जा को बढ़ाने के लिए भी किया जा सकता है। ऐसा कहा जाता है कि एक बड़ा पेड़ एक छोटे पेड़ की तुलना में अधिक शक्तिशाली होता है और इसका उपयोग बड़े क्षेत्र, जैसे कि लिविंग रूम या पिछवाड़े की ऊर्जा को बढ़ाने के लिए किया जा सकता है।

आपको पूरा पेड़ लगाने के लिए जगह नहीं होने के बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। यह कल्पवृक्ष की आकृति है जो आपको वास्तु लाभ दिलाएगी।

आप कल्पवृक्ष ट्री हाउस डिज़ाइन को जोड़कर शामिल कर सकते हैं

कल्पवृक्ष वृक्ष की छवि

या एक बोनसाई कल्पक वृक्ष

या कांस्य कल्पकवृक्ष वृक्ष

कुछ विशेषज्ञ समान लाभ प्राप्त करने के लिए आपके बगीचे में पौधों के गमलों को कल्पक वृक्ष के पैटर्न में व्यवस्थित करने की सलाह देते हैं।

कल्पक वृक्ष वृक्ष का रखरखाव

कल्पवृक्ष वृक्ष की उचित देखभाल और रखरखाव यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है कि यह स्वस्थ रहे और आपके घर की ऊर्जा को बढ़ाता रहे। इसका मतलब यह हो सकता है कि पेड़ को पर्याप्त पानी और धूप देना, कीटों और बीमारियों को उससे दूर रखना और आवश्यकतानुसार उसकी छंटाई करना।

लेकिन यदि आप पीतल का कल्पवृक्ष वृक्ष स्थापित कर रहे हैं, तो आपको रखरखाव की चिंता करने की आवश्यकता नहीं है।

कल्पवृक्ष वृक्ष के लिए प्रार्थना और अनुष्ठान अभ्यास

वास्तु शास्त्र के अनुसार, कल्पवृक्ष के पेड़ के नीचे पूजा करने और अनुष्ठान करने से पेड़ और आसपास के क्षेत्र की सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने में मदद मिल सकती है। वास्तु शास्त्र कहता है कि कल्पवृक्ष के पेड़ के नीचे प्रार्थना करने और अनुष्ठान करने से पेड़ और आसपास के क्षेत्र की सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने में मदद मिल सकती है। इसमें अधिक सकारात्मक ऊर्जा होती है।

व्यावसायिक भवनों में कल्पवृक्ष वृक्ष की भूमिका

व्यावसायिक संपत्तियों में, पेड़ का उपयोग सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को बढ़ाने और व्यवसाय में समृद्धि और सफलता लाने के लिए किया जा सकता है। हालाँकि, कल्पवृक्ष वृक्ष की सही प्रजाति का चयन करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि कुछ प्रजातियों को दूसरों की तुलना में अधिक शुभ माना जाता है।

यह अनुशंसा की जाती है कि पेड़ को व्यावसायिक भवन के पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में लगाया जाना चाहिए क्योंकि ये व्यवसाय और वित्तीय विकास के लिए शुभ दिशा मानी जाती हैं। इसके अलावा, इसे रिसेप्शन क्षेत्र में या इमारत के सामने रखा जा सकता है, जो इमारत की ऊर्जा को बढ़ाने और ग्राहकों को आकर्षित करने में मदद कर सकता है।

कल्पवृक्ष का वानस्पतिक नाम: 7 वृक्षों को कल्पक वृक्ष माना जाता है

यहां कुछ ऐसे पेड़ हैं जिन्हें उनके अंग्रेजी नामों और वानस्पतिक नामों के साथ कल्पवृक्ष के नाम से जाना जाता है।

 

1. बरगद का पेड़

माना जाता है कि यह पेड़ घर में समृद्धि, शांति और स्थिरता लाता है। इसे अक्सर घर के पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में लगाया जाता है।

 

वैज्ञानिक नाम: फिकस बेंघालेंसिस

 

फल: बरगद के पेड़ के फल छोटे और गोल होते हैं, आमतौर पर लगभग 1 सेमी व्यास के होते हैं। इन्हें आम तौर पर इंसानों द्वारा नहीं खाया जाता बल्कि पक्षियों और अन्य जानवरों द्वारा खाया जाता है।

 

बीज: बरगद के पेड़ के बीज फल के भीतर मौजूद होते हैं और इन्हें नए पेड़ उगाने के लिए प्रचारित किया जा सकता है।

 

लकड़ी: बरगद के पेड़ की लकड़ी कठोर और मजबूत होती है और इसका उपयोग निर्माण और फर्नीचर बनाने में किया जाता है।

 

पत्तियां: बरगद के पेड़ की पत्तियां बड़ी होती हैं और पारंपरिक आयुर्वेदिक चिकित्सा में विभिन्न बीमारियों के लिए प्राकृतिक उपचार के रूप में उपयोग की जाती हैं।

 

2. नारियल का पेड़

नारियल का पेड़

नारियल का पेड़

माना जाता है कि नारियल का पेड़ घर में वित्तीय स्थिरता और सकारात्मक ऊर्जा लाता है। इसे अक्सर घर के पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में लगाया जाता है।

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