पार्टी प्रचार याचिका दायर कर्ता पर भड़के चीफ जस्टिस भूषण गवई
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई की अगुवाई वाली बेंच ने सुनवाई से ही इनकार कर दिया। चीफ जस्टिस की बेंच ने कहा कि यह जनहित से ज्यादा प्रचार हित याचिका लगती है। ऐसी चीजों पर हम सुनवाई नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि जनहित याचिकाओं के नाम पर हम प्रचार हित याचिकाओं (पब्लिसिटी इंट्रेस्ट लिटिगेशन) की अनुमति नहीं दे सकते।
नई दिल्ली।मुझे तेवर मत दिखाना, प्रचार याचिका डाली है आपने; किस पर भड़के चीफ जस्टिस बीआर गवई
उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया, जिसमें राज्य चुनाव आयोगों को राजनीतिक दलों की ऐसी कथित अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए कदम उठाने के निर्देश देने की मांग की गई थी, जो ‘देश की संप्रभुता, अखंडता और एकता’ को कमजोर कर सकती हैं। इस पर चीफ जस्टिस बीआर गवई की अगुवाई वाली बेंच ने सुनवाई से ही इनकार कर दिया। चीफ जस्टिस की बेंच ने कहा कि यह जनहित से ज्यादा प्रचार हित याचिका लगती है। ऐसी चीजों पर हम सुनवाई नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि जनहित याचिकाओं के नाम पर हम प्रचार हित याचिकाओं (पब्लिसिटी इंट्रेस्ट लिटिगेशन) की अनुमति नहीं दे सकते।
इसके अलावा बेंच ने सीधे उच्चतम न्यायालय जाने की प्रथा पर भी नाराजगी जताई। घनश्याम दयालु उपाध्याय नाम के एक व्यक्ति ने केंद्र और निर्वाचन आयोग के खिलाफ याचिका दायर की, लेकिन प्रधान न्यायाधीश ने उन्हें चेतावनी देते हुए पूछा, ‘क्या इसे मुंबई उच्च न्यायालय में नहीं उठाया जा सकता? यह एक प्रचार हित याचिका के अलावा और कुछ नहीं है।’ उन्होंने कहा, ‘नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए जनहित याचिकाएं जरूरी हैं, लेकिन यह याचिका केंद्र या निर्वाचन आयोग के नीतिगत मामलों से संबंधित है और अनुच्छेद 32 के तहत सीधे उच्चतम न्यायालय में आने को उचित नहीं ठहराती।’
इसके बाद पीठ ने याचिकाकर्ता को जनहित याचिका वापस लेने और वैकल्पिक उपाय अपनाने की अनुमति दे दी। सुनवाई के अंत मेंचीफ जस्टिस बीआर गवई याचिकाकर्ता के वकील से नाराज हो गए और कहा, ‘मुझे ये तेवर मत दिखाओ। मुझे आपको यह याद दिलाने की जरूरत नहीं है कि मुंबई उच्च न्यायालय में क्या हुआ था। मैंने आपको पहले भी अवमानना से बचाया है।’ याचिका में सभी राज्य निर्वाचन आयोगों को देश भर में राजनीतिक दलों की गैरकानूनी गतिविधियों पर नजर रखने और उन्हें रोकने के लिए एक संयुक्त योजना बनाने के निर्देश देने की मांग की गई थी