जिद्दी लुगायां आपरै पूर्व प्रेमी रै वास्तै आपरै ससुराल सूं लड़ै अर आपरै मां-बाप रै घरां रैवै।
टेकचंद्र शास्त्री: सह-संपादक, रिपोर्ट, 9822550220
नागपुर, विदर्भ अर महाराष्ट्र समेत देस भर रै कई समुदायां रै मांय, कई होनहार युवा महिलावां आपरै पूर्व प्रेमी री देखभाळ रै मांय रैवण री बजाय आपरै माता-पिता रै घरां रैवण रो विकल्प चुण री है। होनहार विवाहित महिलावां रै वास्तै पालक घरां मांय रैवणो भावनात्मक, सामाजिक अर कानूनी पहलुवां समेत कई दृष्टिकोणां सूं अनुचित मानीजै है। एक ब्याव री लुगाई रो आपरै पूर्व प्रेमी रै प्रति प्रेम ब्याव रै बारै में उणरी भावनावां में असंतोष या भ्रम नै दरसावै है। घणकरी बार, एक नूंवी दुल्हन नै आपरी सासू रै वातावरण, व्यवहार अर परिवार रा सदस्यां रै अनुकूल होवण में दिक्कत आवै है। सास अर भाभी रै बीच झगड़ा तनाव रो एक आम हिस्सो है जिको अक्सर रिश्ता री सीमावां नै पार कर जावै है, जिणसूं मनमुटाव अर झगड़ा पैदा होवै है। जे कोई ब्याहता लुगाई आपरै पूर्व प्रेमी रै संपर्क में रैवै है तो वा वैवाहिक संबंधां री सीमावां रो उल्लंघन करै है। ऐड़ा मामलां मांय, पति-पत्नी रै बिचाळै रो भरोसो घणो खराब हो सकै है। प्रेमी रै साथै मतभेद वैवाहिक जीवन रै मांय तनाव पैदा कर सकै है, क्यूंकै ऐड़ा मामलां मांय केई सामाजिक मानदण्ड दबाव पैदा करै है। लुगायां नै ब्याव रै बाद आपरै सासरै रै सागै रैवण रो सामाजिक दबाव महसूस हुवै है।
कानूनी मामलां रै मांय, एक पति आपरी घरआळी री इच्छा मुजब कानूनी सहायता ले सकै है। पति हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 9 के तहत जिला न्यायालय में याचिका दायर कर सकता है। जे अदालत नै लागै कै लुगाई रै घर छोडण रो कोई वैध कारण कोनी हो तो वा उणनै आपरी सासू रै घरां पाछी जावण रो आदेश दे सकै है। फेर भी, एक ब्याव री लुगाई नै आपरै माता-पिता रै घरै रैवण रो पूरो अधिकार है अर ओ अधिकार ब्याव रै पछै बां री संपत्ति कोनी बण सकै। मद्रास हाईकोर्ट नै यो भी साफ कर दियो है कै कोई भी कानून लुगाई नै ब्याव रै बाद आपरै माता-पिता रै घर सूं निकळबा सूं रोकै है। ऐड़ा मामलां मांय, केई समाधान उपलब्ध है। पति अर परिवार रा सदस्यां रै बीच खुली अर ईमानदार बातचीत होणी चाइजै। प्रेमी री भावनावां नै समझणो अर बां रै बिचाळै री कलह रा कारणां नै समझणो भी जरूरी है। दोनूं पार्टियां नै साफ अर स्वस्थ सीमावां तय करणी चाइजै। पति-पत्नी रै बीच संतुलित संवाद होणो चाइजै। जे परिवार टूट्यो कोनी है तो पति-पत्नी नै किणी पेशेवर सलाहकार या चिकित्सक सूं मदद लेणी चाइजै। वे उणरी भावनावां नै समझबा अर संवाद नै सुधारबा में मदद कर सकै है। पति नै परिस्थितियां नै परिपक्वता सूं संभाळणी चाइजै अर आपरी घरआळी री जरूरतां रो सम्मान करता थका बां रो पूरो साथ देवणो चाइजै।
ओ समझणो जरूरी है कै इतणी जटिल स्थिति मांय किणी नै सीधो दोषी ठहराणो गलत है। आ समस्या भावनात्मक, सामाजिक अर पारिवारिक संघर्षां रो मिश्रण है, जिणनै सावचेती सूं अर सहयोग सूं सुळझाणो चाइजै।
असल म्हैं, रिश्ता री खास परिस्थितियां रै आधार माथै, ब्याहता लुगायां आपरै पति सूं अलग होबा रा कई तरीका अपना सकै है। आ एक काल्पनिक स्थिति है अर इण रो कोई एक निश्चित जवाब कोनी है। हालांकि, सामान्य परिस्थितियां रै मांय, थनै निम्नलिखित अनुभव हो सकै है:
सचेत रूप सूं, उणरो चरित्र अर उणरो ब्याव एक साथै हो सकै है।
थै उणरै सागै प्रेम कहाणियां अर पुराणी यादां साझा कर सको हो, जिणसूं थनै अतीत रै बारै में सोचण सूं अर आपरी घरआळी नै अनदेखी करण सूं बचण में मदद मिलैला।
वा आपरै पति रै साम्हीं भावनात्मक रूप सूं कमजोर महसूस कर सकै है अर उणरी मदद करण अर उणरै नेड़ै जावण सारू दौड़ सकै है। इणसूं जोड़ा रै बीच जाणबूझ’र गलतफहमी पैदा हो सकै है। वा आपरै पति रै बारै में झूठी कहाणियां फैला सकै है या जाणबूझ’र उणनै कमजोर या हीन महसूस करा सकै है।
वा आपरै पति नै सोशल मीडिया माथै फॉलो कर सकै है अर बां री फोटूवां माथै टिप्पणी कर सकै है।
वा जोड़ा, परिवार रा सदस्य अर दोस्तां रै बीच रा रिश्ता नै सुधारबा री कोशिश कर सकै है।
लारलै दिनां दिल्ली हाईकोर्ट फैसलो दियो कै जे कोई जाणबूझ’र अर धोखे सूं किणी विवाहित जोड़ा रै जीवन मांय दखल देवै तो दूजो पति या पत्नी मुआवजो मांग सकै है।
ओ याद राखणो जरूरी है कै ब्याव करियोड़ा जोड़ां रै बीच रै रिश्तां नै सुधारबा रै वास्तै सगळा तरीका असरदार कोनी हुवै। किणी भी भांत री हस्तक्षेप सूं बचण अर कानूनी मुद्दां नै सुळझाबा रै वास्तै जोड़ा रै बीच खुली अर ईमानदार बातचीत जरूरी है।
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