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भारतीय जनजाति नायक स्वाधीनता सेनानी बिरसा मुंडा की जयंती मनाई गई 

भारतीय जनजाति नायक स्वाधीनता सेनानी बिरसा मुंडा की जयंती मनाई गई

 

टेकचंद्र शास्त्री: 9130558008

 

नागपुर जिला के महादुला- कोराडी मे भारतीय जन नायक भगवान बिरसा मुंडा की जयंती हर्षोल्लास के साथ साथ मनाई गई.भगवान जन नायक भगवान बिरसा मुंडा की फोटो पर पुष्प माल्यार्पण किया गया तत्पश्चात ऊनकी नगरभ्रमण शोभायात्रा निकाली गई.

आदीवासी समाज मंडल महादुला-कोराडी आदिवासी समाज सेवा समिती के संयोजक राहुल टेकाम, मिथुन कोडापे, सागर मडावी ने बताया कि भाजपा के नगर नेता श्री राजेश रंगारी ने भारतीय जननायक बिरसा मुंडा जयंती की शुभकामना दी और कार्यक्रम संयोजकों को सधन्यवाद दिया.बडी संख्या मे महिला-पुरुष उपस्थित थे. बता दें कि जननायक भगवान बिरसा मुंडा एक भारतीय जनजातीय नायक, स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक थे, जिन्होंने १९वीं सदी के अंत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ आदिवासियों के प्रतिरोध का नेतृत्व किया। उन्होंने ब्रिटिश शासन, ज़मींदारों और मिशनरियों के शोषण के खिलाफ जन आंदोलन किया था “उलगुलान” (महाविद्रोह) का नेतृत्व किया, जिसका उद्देश्य आदिवासी पहचान, भूमि और संस्कृति की रक्षा करना था। उन्हें ‘धरती आबा’ (पृथ्वी के पिता) के रूप में भी जाना जाता है और आदिवासी समुदाय द्वारा भगवान के रूप में पूजा जाता है।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

जन्म: 15 नवंबर 1875 को उलिहातू गाँव, रांची जिले (अब झारखंड में) में हुआ था।

परिवार: उनका परिवार किसान था।

शिक्षा: उन्होंने एक मिशनरी स्कूल में शिक्षा प्राप्त की, जहाँ उन्होंने ईसाई धर्म अपना लिया था। बाद में उन्होंने मिशनरी स्कूल छोड़ दिया क्योंकि वे उनके तरीकों से असहमत थे।

आंदोलन और विद्रोह बिरसा मुंडा ने 1890 के दशक में ब्रिटिश नीतियों और जमींदारों के शोषण के खिलाफ विद्रोह शुरू किया, जिसे ‘उलगुलान’ कहा जाता है।

आदिवासी अधिकारों की रक्षा: उन्होंने आदिवासियों को उनकी जमीनें वापस लेने और बाहरी लोगों (दिकुओं) से मुक्ति के लिए संगठित किया।

उन्होंने आदिवासी समाज में धार्मिक और राजनीतिक जागरूकता पैदा की और हज़ारों लोगों को अपने आंदोलन में शामिल किया।

गिरफ्तारी और मृत्यु

गिरफ्तारी: 3 फरवरी, 1900 को चक्रधरपुर के जामकोपाई जंगल से गिरफ्तार किया गया।

मृत्यु: 9 जून, 1900 को 25 साल की उम्र में रांची जेल में हैजा से उनकी मृत्यु हो गई।

विरासत

‘धरती आबा’: आदिवासी समुदाय उन्हें भगवान के रूप में पूजता है और ‘धरती आबा’ के नाम से जानते हैं।

छोटा नागपुर काश्तकारी अधिनियम: उनके आंदोलन के बाद, 1908 में छोटा नागपुर काश्तकारी अधिनियम (CNT) पारित किया गया, जिसने आदिवासी भूमि को गैर-आदिवासियों को हस्तांतरित करने पर रोक लगा दी।

झारखंड राज्य की स्थापना: उनके जन्मदिन, 15 नवंबर को झारखंड राज्य की स्थापना की गई, जो उनकी विरासत का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है।

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