श्रमिक अधिकार हनन के जुर्म मे फर्म मालिक को आर्थिक दण्ड और जेल
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: 9822550220
नई दिल्ली।भारतीय श्रम औधोगिक न्यायालय के निर्णय के मुताबिक लघु उधोग कल-कारखाने और भारी औधोगिक इकाईयों मे कार्यरत अनुबंध ठेका श्रमिकों के हक्क और अधिकार का हनन हो रहा हो तो निर्माता कंपनी मालिक पर आर्थिक दण्ड के साथ सश्रम कारावास की सजा हो सकती है. श्रम कानून के अनुसार भारत में, श्रमिक अधिकार हनन एक गंभीर अपराध है जिसके लिए कंपनी के मालिकों (नियोक्ताओं) को आर्थिक दंड (जुर्माना) और/या जेल की सजा दोनों हो सकती है। सजा की गंभीरता उल्लंघन की प्रकृति और संबंधित विशिष्ट श्रम कानून पर निर्भर करती है।
प्रमुख प्रावधान और दंड के संबंध मे बता दें कि न्यूनतम मजदूरी का भुगतान निर्धारित समय पर न करने, न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के उल्लंघन पर मौद्रिक दंड और कानूनी कार्रवाई हो सकती है। नए वेज कोड, 2019 के तहत, पहली बार उल्लंघन करने पर ₹50,000 तक का जुर्माना और बार-बार उल्लंघन करने पर 3 महीने तक की कैद का प्रावधान है।
काम के घंटे और ओवरटाइम के बारे मे बताया गया है कि यदि कंपनी मालिक श्रमिकों से निर्धारित 8 घंटे से अधिक काम करवाते हैं और ओवरटाइम या ब्रेक नियमों का पालन नहीं करते हैं, तो यह कानून का उल्लंघन है। ऐसे मामलों में कानूनी कार्रवाई, जुर्माना या तीन महीने तक की जेल का प्रावधान है।
सुरक्षा और स्वास्थ्य उल्लंघन के संबंध मे बताते हैं की फैक्ट्री अधिनियम, 1948 और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संहिता, 2020 (OSH Code) के तहत गंभीर सुरक्षा उल्लंघनों के लिए सख्त सजा का प्रावधान है। नियोक्ता पर प्रति उल्लंघन ₹2 लाख तक का जुर्माना और दो साल तक की कैद हो सकती है। यदि उल्लंघन के कारण किसी कर्मचारी की काम के दौरान मृत्यु या गंभीर शारीरिक चोट आती है, तो और भी कठोर दंड का प्रावधान है, जिसमें 7 साल तक की जेल और भारी जुर्माना शामिल है।
अनुचित श्रम प्रथाएं के संबंध मे बताया गया है किऔद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 के तहत अनुचित श्रम प्रथाओं (unfair labour practices) में शामिल पाए जाने पर दोषी व्यक्ति को छह महीने तक की कैद या जुर्माना (₹1,000 तक) या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
बाल श्रम: बाल श्रम (प्रतिषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 के तहत 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को खतरनाक उद्योगों में काम पर रखना एक दंडनीय अपराध है, जिसमें जेल की सजा और जुर्माना दोनों शामिल हैं।
कानूनी प्रक्रिया के संबंध मे बताते हैं कि श्रमिक श्रम विभाग, लेबर कोर्ट या संबंधित अदालत में शिकायत दर्ज करा सकते हैं। अदालतें मामले की गंभीरता के आधार पर जुर्माना लगाती हैं और, कुछ मामलों में, जेल की सजा भी सुनाती हैं। नए श्रम संहिताओं (Labour Codes) के अनुसार, गंभीर और जानबूझकर किए गए उल्लंघनों के लिए आर्थिक दण्ड और कठोर सजा का प्रावधान है.
सहर्ष सूचनार्थ नोट्स:-
*उपरोक्त समाचार श्रमिक हित के दृष्टिकोण से सामान्य ज्ञान पर अधारित है.अधिक जानकारी के लिए औद्योगिक श्रमिक विशेषज्ञ अधिवक्ता से परामर्श और विचार विमर्श कर सकते है.सधन्यवाद*
विश्वभारत News Website