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धर्मगुरुओं का अपमान और कारसेवकों से विश्वासघात करने वाले राम भक्त नही हो सकते

धर्मगुरुओं का अपमान और कारसेवकों से विश्वासघात करने वाले राम भक्त नही हो सकते

टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

वाराणसी।भले ही मर्यादा-पुरूषोत्तम श्रीराम मंदिर निर्माण BJP का सिर्फ राजनैतिक एजेंडा है परंतु अहंकार के वशीभूत भाजपा हाईकमान द्धारा लाखों-करोडों राम भक्तों के साथ विश्वासघात और सनातन धर्मावलंबी दण्डी सरस्वती आचार्य शंकर का अपमान करने वाली BJP राम भक्त कैसे हो सकती है?आचार्य शंंकर शिष्य टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री ने प्राप्त सबूतों के आधार पर कहा है कि अयोध्या में मर्यादा-पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम मंदिर की शिलान्यास और प्राण प्रतिष्ठा समारोह संबंध मे वैदिक सनातन धर्म विधि के विधान के विपरीत किये कार्यक्रम से नैसर्गिक (प्रकृतिक) प्रकोप का असर दिखने को मिलने लगा है? दरअसल में लाखों- करोडों राम भक्तों कारसेवकों का अनादर और सनातन धर्म गुरुओं जिनमें दण्डी सरस्वती संन्यासियों, कुलगुरुओं पुरोहितों और ब्रम्हचारियों का अपमान किया गया है। जिसका नतीजा राजनेताओं को सत्ता पतन की तरफ ढकेलता नजर आने लग रहा है? संपूर्ण भारत वर्ष में सनातन दण्डी सरस्वती सन्यासियों,तपस्वियों, कुलगुरुओं और धर्म गुरुओं के करीबन 45 से 50 करोड शिष्य कार्यरत हैं!

संसार में सदमार्ग का रास्ता दिखाने वाले सनातन धर्मगुरु का कोई भी अपमान करें तो उसे गुरुद्रोह के साथ कभी भी आत्मिक, व्यावहारिक और सांसारिक आध्यात्मिक सुख नहीं मिल सकता है। उसे हर जगह पर धर्म गुरु का अपमान करने का कष्ट उठाना पड़ता है। भूल से भी मनुष्य को कभी भी अपने गुरु का अपमान नहीं करना चाहिए।

व्यक्ति को सदैव अपने से बड़ों का सम्मान करना चाहिए बड़ों का अपमान करने से व्यक्ति को जीवन में सफलता नहीं मिलती। वाल्मीकि रामायण में भी ऐसे लोगों के बारे में बताया गया है, जिनका भूलकर भी अपमान नहीं करना चाहिए। इनका अपमान करना महापाप माना जाता है। इन लोगों का अपमान करने पर पूजा-पाठ, दान पुण्य का फल नहीं मिलता और न ही पाप मिटता है। व्यक्ति को जीवन में असफलताओं का सामना करना पड़ता है।

“मातरं पितरं विप्रमाचार्य चावमन्यते।”

“स पश्यति फलं तस्य प्रेतराजवशं गतः।।”

 

मां को भगवान का दर्जा दिया गया है। हर व्यक्ति को मां का आदर सत्कार करना चाहिए। उनका भूलकर भी अपमान नहीं करना चाहिए। सभी धर्म ग्रंथों में भी मां को सम्मान करने व उनका अपमान नहीं करने को कहा है। मां की सेवा करने से व्यक्ति को जीवन में सफलता मिलती है। यदि व्यक्ति मां का अपमान करता है तो उनसे भगवान नाराज हो जाते हैं और उनके जीवन में दुखों का साया मंडराने लगता है। इसके अतिरिक्त उन्हें पुण्य कर्मों का भी फल नहीं मिलता। इसलिए कभी भी मां का अपमान नहीं करना चाहिए।

व्यक्ति को अपने पिता का सम्मान करना चाहिए। जो लोग अपने माता-पिता का अपमान करते हैं, उनका कहना नहीं मानते उन्हें पशु के समान माना जाता है। माता-पिता का अपमान करने वाले लोग जीवन में कभी तरक्की नहीं कर पाते और न ही उन्हें समाज में मान-सम्मान मिलता है। किसी को भी अपने माता-पिता का अपमान नहीं करना चाहिए।

अध्यात्म धर्म गुरुओं से हमें शिक्षा- संस्कार और आत्म ज्ञान की प्राप्ति होती है। माता-पिता के बाद धर्म गुरु ही एक ऐसा व्यक्ति है जो व्यक्ति को ज्ञान प्रदान करता है। इसलिए धर्मगुरुओं का अपमान नहीं करना चाहिए। जो लोग आध्यात्म गुरु का सम्मान नहीं करते, उनके द्वारा दी शिक्षा का अनादर करते हैं उन्हें जीवन में कभी भी सफलता नहीं मिलती। गुरु का अपमान करने से पाप लगता है। जिसका प्रायश्चित किसी भी तरह नहीं किया जा सकता है। व्यक्ति को सदैव गुरु का सम्मान करना चाहिए।

सनातन धर्म के अनुसार पंडितों और व ज्ञानियों को देवतुल्य माना जाता है। ज्ञानी लोगों की संगति करने से व्यक्ति को विविध प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। ज्ञानी व्यक्ति अपनी सूझ-बूझ से हमारी हर परेशानी का हल निकाल सकता है। ऐसे लोगों का अपमान महापाप माना जाता है। इनका अपमान करने पर व्यक्ति को कई दुष्परिणामों का सामना करना पड़ता है। इसलिए ऐसे लोगों का सदैव सम्मान करना चाहिए।संसार में सनातन धर्मगुरुओं को प्राकृतिक परमात्मा की अहैतुक कृपा की देन माना जाता है!धर्मशास्त्रों के अनुसार गुरुदेव के अपमान को भगवान भी माफ नहीं करता है?

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