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छिन्दवाडा में स्थापित जलवायु अनुकूल नया कृषि केंद्र

छिन्दवाडा में स्थापित जलवायु अनुकूल नया कृषि केंद्र

टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

 

छिंदवाड़ा: ग्राम सेजवाड़ा खुर्द विकासखंड अमरवाड़ा में आयोजित प्रक्षेत्र दिवस ने किसानों के जीवन में एक नई किरण जगा दी है। जलवायु परिवर्तन की बढ़ती चुनौतियों के बीच, इस कार्यक्रम ने किसानों को न केवल नवीनतम कृषि तकनीकों से अवगत कराया, बल्कि उन्हें जलवायु अनुकूल कृषि की ओर भी प्रेरित किया।

नई तकनीकों ने दिखाया रास्ता: यह कार्यक्रम उपसंचालक कृषि जीतेन्द्र कुमार सिंह और बिसा जबलपुर के वैज्ञानिक डॉ. पंकज कुमार एवं डॉ. महेश मस्के के नेतृत्व में संचालित किया जा रहा है। इन विशेषज्ञों ने किसानों को हैप्पी सीडर मशीन और जीरो टिलेज तकनीक का उपयोग करके मक्का की बुवाई के फायदे बताए। इन तकनीकों से सिंचाई के पानी की बचत होती है, मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और प्रदूषण कम होता है।

किसानों की आवाज: कार्यक्रम में शामिल किसानों ने इस पहल का स्वागत करते हुए अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। राजकुमार डहेरिया ने कहा, “हमने आज बहुत कुछ सीखा है। हैप्पी सीडर मशीन और जीरो टिलेज तकनीक हमारे लिए नई थी। हम इन तकनीकों को अपनी खेती में अपनाकर पानी की बचत कर पाएंगे और मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहेगी।” नेमी चंद डहेरिया ने कहा, “नरवाई जलाना हमारी पुरानी आदत थी, लेकिन अब हम समझ गए हैं कि इससे मिट्टी को कितना नुकसान होता है। हम अब नरवाई को खेत में ही छोड़ देंगे।”

जलवायु परिवर्तन और जलवायु अनुकूल कृषि: छिंदवाड़ा के किसान भी जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से अछूते नहीं रहे हैं। अनियमित वर्षा, सूखा, और बाढ़ जैसी घटनाएं उनकी फसलों को नुकसान पहुंचा रही हैं। जलवायु अनुकूल कृषि इन चुनौतियों का सामना करने का एक प्रभावी तरीका है। यह एक ऐसी कृषि पद्धति है जो जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करती है। हैप्पी सीडर मशीन और जीरो टिलेज तकनीक जैसे नवाचारों के माध्यम से किसान पानी की बचत कर सकते हैं, मिट्टी की उर्वरता बढ़ा सकते हैं और कार्बन उत्सर्जन को कम कर सकते हैं।

किसानों में उत्साह का संचार: कार्यक्रम में शामिल अन्य किसानों ने भी इस कार्यक्रम को बेहद उपयोगी बताया। उन्होंने कहा कि उन्हें जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के बारे में पहले से कम जानकारी थी, लेकिन अब वे समझ गए हैं कि जलवायु अनुकूल कृषि क्यों जरूरी है। वे इन नई तकनीकों को अपने खेतों में लागू करने के लिए उत्साहित हैं।

कार्यक्रम मे कृषि विभाग से सचिन जैन (अनुविभागीय कृषि अधिकारी), श्री मति अनीता डहेरिया (वरिष्ट कृषि विकास अधिकारी ) रमेश पंवार (आत्मा परियोजना ) दीपेन्द्र सिंह बीसा जबलपुर से उपस्थित

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