संतान प्राप्ति मे रुकावट बन सकती है वास्तुदोष और अवैध यौन संबंध
टेकचंद्र शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
नई दिल्ली आयुर्विज्ञान- ज्योतिष विज्ञान और मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान के अनुसार संतान की प्राप्ति अवैध और अनैतिक यौन संबंध और वास्तुदोष से मुख्य रूप से रुकावट बनता है.दरअसल में आवश्यक वास्तुदोष दोष में मुख्य रूप से उत्तर-पूर्व (ईशान) कोण में भारी निर्माण, सीढ़ियाँ, या टॉयलेट का होना शामिल है. इसके अलावा, घर के मुख्य द्वार की दिशा, पूर्व दिशा में बाधाएँ, और बेडरूम में गलत चीज़ें रखना भी बाधाएँ पैदा कर सकता है. इन वास्तु दोषों को दूर करने के लिए योग्य वास्तुकार से परामर्श करना, घर के ईशान कोण को साफ़ रखना, और दक्षिण-पश्चिम या उत्तर-पश्चिम कोने में शयन कक्ष बनाना जैसे उपाय किए जा सकते हैं. संतान प्राप्ति में बाधा डालने वाले वास्तु दोष
ईशान कोण (उत्तर-पूर्व):इस दिशा में कोई भारी निर्माण, सीढ़ियाँ, शौचालय, या कटा हुआ स्थान होना संतान सुख में धा डालता है.
पूर्व दिशा:इस दिशा में भारी पानी की टंकी, बड़ा पेड़, या रोशनी बाधित करने वाली चीजें होना संतान प्राप्ति में परेशानी का कारण बन सकता है.
मुख्य द्वार:मुख्य द्वार के गलत स्थान पर होने से भी संतान प्राप्ति में रुकावट आ सकती है. शयन कक्ष:बेडरूम में टीवी, हिंसक या मायूस तस्वीरें नहीं होनी चाहिए. पति-पत्नी के लिए सोने की गलत दिशा और छत की बीम के नीचे सोना भी हानिकारक है.
वास्तु उपाय ईशान कोण की सफाई इस दिशा को साफ़ और अव्यवस्थित न रखें.
शयन कक्ष:नवविवाहित जोड़ों के लिए उत्तर-पश्चिम (वायव्य) दिशा आदर्श है, जबकि गर्भधारण के बाद दक्षिण-पश्चिम दिशा सुरक्षित मानी जाती है.
हथी का चित्र:बेडरूम में हाथी का चित्र लगाने से संतान प्राप्ति में मदद मिल सकती है, क्योंकि हाथी को फर्टिलिटी का कारक माना जाता है.
फल और जौ:कमरे में अनार और जौ रखने से भी संतान प्राप्ति में लाभ होता है.
घर की दिशा:घर की दक्षिण और पश्चिम दिशा से पूर्व दिशा ऊंची नहीं होनी चाहिए.
सीढ़ियाँ:घर में सीढ़ियों के नीचे शौचालय या अन्य कोई निर्माण नही करना चाहिए.
आयुर्विज्ञान के अनुसार विवाह पूर्व य पश्चात अवैध और अनैतिक शारीरिक संबंध से बचना चाहिए.इससे रक्तजनित ग्रह व्याधिदोष ग्रस्त होने की वजह से समय पर संतान उत्पन्न होने मे रुकावट आना शामिल है.क्योकि अवैध यौन संबंध की वजह से गर्भधारण न होना य गर्भ धारण के पश्चात गर्भपात हो जाना य गर्भ धारण मे विलंब आ सकता है.इसके अलावा आयू पूर्ण होने के पूर्व असमय संतान की अकाल मृत्यू का खतरा है.इसलिए प्रकृतिक नियममो का पालन अवश्य है.यहां पर गंभीर समस्या प्राकृतिक नियमों के उल्लंघन की वजह से समस्या बनती है.
सहर्ष सूचनार्थ नोट्स:-
उपरोक्त समाचार लेख सामान्य ज्ञान पर अधारित है. जिन्हें संबंधित धर्मशास्त्रों से लिया गया है. अधिक जानकारी के लिए तांत्रोक्त आयुर्विज्ञान चिकित्सकीय विशेषज्ञों. वास्तुविद और ज्योतिषीय विज्ञान विशेषज्ञ से परामर्श जरुरी है