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मातृ दिवस पर विशेष : माता पिता और गुरुजनों की आज्ञा शिरोधार्य करने वाला मनुष्य देवी देवताओं के समान होता है! जानिए पृथ्वी में 33 करोड देवी देवताओं का यथार्थ सत्य

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सारा संसार आज मातृ दिवस मना रहा है। हालकि हमारे भारतीय वैदिक सनातन-हिन्दू संस्कृति में माता पिता और गुरुजनों के मायने ही अलौकिक माने जाते हैं। इसलिए सतयुग मे संपूर्ण संसार में 33 कोटि नर नारियों को देवताओं के समान बताया गया है। मुख्य उद्देश्य अपने पिता द्वारा उनके पालन-पोषण के दौरान किए गए असीम त्याग और उठाए गए अनंत कष्टों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करना है। कहने का तात्पर्य यह है कि सतयुग में सभी 33 कोटी नर नारी माता पिता और गुरुजनों की आज्ञापालन करते थे। इसलिए धर्म शास्त्रों मे 33 कोटि देवी देवताओं का वर्णन मिलता है। हालकि वामपंथी विचारधाराओं से जुडे अल्प ज्ञानी लोग वास्तविकता को जाने बिना व्यर्थ ही सनातन धर्म के बारे में अपवादात्मक अभद्र आलोचना करते थकते नही?
वर्तमान परिवेश मे मनुष्य मंदिरों में दर-बदर जाकर भगवान को ढूंढ़ने की बजाय अगर हम अपने घर में देवी-देवता समान माता-पिता और गुरुजनों की सेवा करें तो वही भगवान की असली भक्ति है। माता-पिता का सम्मान कर उनकी सेवा करने वाले मनुष्य को जीवन में वह सब कुछ स्वतः ही मिलता है जिसे वह अपने जीवन के लिए चाहता है। गुरुग्राम से आए आचार्य हर्ष प्रिय ने यह बात रविवार को झज्जर के आर्य समाज में कही। आर्य समाज में आयोजित मासिक वैदिक यज्ञ भजन व सत्संग कार्यक्रम में आचार्य हर्ष प्रिय बतौर मुख्य वक्ता उपस्थित थे। हर्ष प्रिय ने कहा कि जीवन में माता-पिता और गुरु का सर्वोच्च स्थान है।
माता-पिता के साथ-साथ अपने गुरु की आज्ञा का पालन करने वाला, और गुरु के दिखाए मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति जीवन के हर सुख को प्राप्त करने में सक्षम होता है। आचार्य हर्ष प्रिय ने उपस्थित बच्चों से आह्वान किया कि वे अपने अच्छे संस्कारों को ग्रहण करते हुए माता-पिता व गुरुजनों का भरपूर सम्मान करें, वहीं उन्होंने कहा कि माता-पिता को भी अपने बच्चों को इतने अच्छे संस्कार देने का प्रयत्न करना चाहिए कि वे बड़े होकर न केवल उनका बल्कि समूचे परिवार और राष्ट्र का नाम रोशन कर सकें।
रविवार को हुए कार्यक्रम का आगाज पुरोहित प्रदीप शास्त्री के ब्रह्मत्व में हुए यज्ञ से हुआ जिसके बाद रोहतक से पधारे भजनोपदेशक सतपाल मधुर, डॉक्टर जयकिशन सरदाना व अन्य लोगों ने मधुर भजनों की प्रस्तुति दी। इस मौके पर योगाचार्य बलदेव ने भी योग के महत्व पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम के दौरान आर्य समाज की ओर से आचार्य हर्ष प्रिय व उनकी पत्नी का पटका भेंट कर सम्मान भी किया गया। रविवार को हुए कार्यक्रम में आर्य समाज के महामंत्री प्रकाशवीर आर्य, प्रधान राजीव राठी, सूर्य प्रकाश, राम अवतार, अमित नागपाल, दलीप सिंह आर्य, अनंत मेहता, दीपक आर्य, ऊषा , कृष्ण जांगड़ा व इंद्रजीत उपस्थित रहे
हालकि वैश्विक स्तर पर विशेष दिवस के रूप में अनेक पर्व एवं कार्यक्रम प्रचलित होने लगे हैं, जिनमें से एक ‘पितृ-दिवस’ यानी ‘फादर्स डे’ भी शामिल है। दुनिया में यह अलग-अलग तिथियों को मनाया जाता है। भारत, अमेरिका, श्रीलंका, अफ्रीका, पाकिस्तान, बर्मा, बांग्लादेश, जापान, चीन, मलेशिया, इंग्लैण्ड आदि दुनिया के सभी प्रमुख देशों में इसे जून के तीसरे रविवार को मनाते हैं। भारत में पिछले कुछ वर्षों से ‘पितृ-दिवस’ के प्रति रूझान में बड़ी तेजी से बढ़ौतरी दर्ज की जा रही है। ‘फादर्स डे’ मनाने की शुरूआत पश्चिमी वर्जीनिया के फेयरमोंट में 5 जुलाई, 1908 को हुई थी। इसका मूल उद्देश्य 6 दिसम्बर, 1907 को पश्चिम वर्जीनिया के मोनोंगाह की एक खान दुर्घटना में मारे गए 210 पिताओं को सम्मान देना था। लेकिन, इसके बाद ‘फादर्स डे’ मनाने का सिलसिला धीरे-धीरे बढ़ता चला गया और यह वैश्विक स्तर पर मनाय जाने लगा। बेशक, ‘फादर्स डे’ के मूल में पश्चिमी वर्जीनिया की एक दर्दनाक खान दुर्घटना मौजूद हो, लेकिन भारत में अपने माता-पिता और गुरु को सम्मान देने और उन्हें भगवान समान समझने के संस्कार एवं नैतिक दायित्व चिरकाल से चलते आ रहे है। तदहेतु आज मातृ दिवस पर “विश्वभारत पोर्टल न्यूज सोशल मीडिया” की ओर से सभी भारतवासियों को हमारी शुभकामनाएं एवं हार्दिक अभिनंदन।धन्यवाद

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