मुंबई। विगत 3 माह पूर्व मे महाराष्ट्र में एक तरफ जहां उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे आज शिवसेना स्थापना दिन मन रहे थे। दोनों ही नेता पार्टी के इतिहास में पहली बार अलग-अलग स्थापना दिवस मनाए। तभी भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा था कि शरद पवार और सुप्रिया सुले की वजह से शिवसेना में बगावत हुई थी। पवार सुप्रिया को सीएम बनाना चाहते थे।
NCP चीफ शरदचंद्र पवार अपनी बेेटी सांसद सुप्रिया सुले को महाराष्ट्र का सीएम बनाना चाहते थे
शरद पवार ने उद्धव ठाकरे से सुप्रिया सुले को सीएम बनाने की डील की थी। सांसद सुप्रियाताई सुले को सीएम और आदित्य को डिप्टी सीएम बनाने की डील हुई थी। एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार की इस डील ने शिवसेना के विधायक नाराज थे
महाराष्ट्र बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले के एक दावे से राज्य में फिर सियासत गर्म हो गयी थी। अपने दावे में बावनकुले ने शिवसेना में पिछली साल हुई बगावत की असल वजह बताई थी। उन्होंने कहा था कि महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे और शरद पवार ने एक नया सियासी फॉर्मूला तैयार कर लिया था। जिसके मुताबिक सुप्रिया सुले को साल 2024 में राज्य का मुख्यमंत्री और आदित्य ठाकरे को उपमुख्यमंत्री बनाने की बात तय की गई थी। जब यह बात शिवसैनिकों को पता चली तो उन्होंने इसका कड़ा विरोध किया और बाद में शिवसेना के 40 विधायकों ने बगावत की थी। इसकी वजह से महाराष्ट्र की तत्कालीन महाविकास अघाड़ी सरकार गिर गयी थी। इस डील के विषय में विस्तार से बात करते हुए चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा था कि महाविकास अघाड़ी सरकार में उद्धव ठाकरे पांच साल तक मुख्यमत्री बने रहेंगे।
जबकि साल 2024 के चुनाव के बाद सांसद सुप्रियाताई सुले मुख्यमंत्री बनेंगी और आदित्य ठाकरे को डिप्टी सीएम बनाया जायेगा। बावनकुले के दावे पर यकीन करें तो यह भी कहा गया था कि आगामी चुनाव में शिवसेना के निर्वाचित विधायकों की संख्या भी कम होगी।
शरद पवार के टारगेट से डरे शिवसैनिक?
चंद्रशेखर बावनकुले ने यह दावा भी किया था कि इस काम के लिए महाविकास अघाड़ी के संयोजक शरद पवार ने पार्टी को चुनाव में 100 विधायक चुनकर लाने का टारगेट भी दिया था। उन्होंने कहा था कि जहां एक तरफ उद्धव ठाकरे मंत्रालय नहीं जा रहे थे वहीं अजित पवार बतौर उपमुख़्यमंत्री मंत्रालय में काम कर रहे थे। शरद पवार के इसी टारगेट की वजह से शिवसेना के विधायकों को जीत का डर सताने लगा जो बाद में बगावत के रूप में बदल गया। महाराष्ट्र की सियासत में साल 2022 जून का महीना हमेशा याद रखा जायेगा।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तुरंत बाद सामने आए संजय राउत, पहले ही कहा था कि ये सरकार असंवैधानिक है। इस महीने शिवसेना में बगावत हुई और आखिर में एकनाथ शिंदे और बीजेपी ने मिलकर महाविकास अघाड़ी सरकार को हटाकर शिंदे- फडणवीस सरकार का गठन किया। इस दौरान पार्टी के 40 विधायकों और 13 सांसदों ने भी उद्धव ठाकरे का साथ छोड़ दिया। दोनों तरफ से यह जंग चुनाव आयोग से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लड़ी गई।
उधर नीतीश की उद्धव और पवार से मुलाकात की थी और दोनों जगहों पर उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया था।
उधर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उद्धव को हो गया इस्तीफा देने का पछतावा,बताते हैं कि उद्धव ठाकरे ने शरद पवार की बात नहीं मानी थी? नतीजतन उद्धव ठाकरे को एक और बडा झटका लगा,
शिवसेना के स्थापना दिन के पहले उद्धव ठाकरे को एक और झटका लगा । पार्टी की विधायक मनीषा कायंदे ने एकनाथ शिंदे गुट शामिल हो गयी । इस बात की भनक लगते उद्धव ठाकरे ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया था। वहीं संजय राउत ने कहा था कि मैं पार्टी का एक वफादार सिपाही हूं। और मनीषा कायंदे जैसे किसी कचरे के सामान हैं। जो हवा का झोंका आते ही उड़ जाती हैं। बताते हैं कि शिवसेना के सकुनी सांसद संजय राउत के कटुबचन गर्म सूई की भांंति एकनाथ शिंदे खेमे को चुभने लगी थी?