आदिवासी युवक के सर पर पेशाब कांड क्या शिवराज सरकार को भारी पड़ सकता है? BJP के सामने अब धर्म संकट खडा हो गया है
सीधी में बीजेपी कार्यकर्ता नशे में धुत होकर प्रवेश शुक्ला ने आदिवासी दशमत रावत के ऊपर पेशाब करते वीडियो वायरल हुआ था. इसके बाद प्रदेश की सियासत में हलचल बढ़ गई है.
मध्य प्रदेश के सीधी में हुआ पेशाब कांड क्या शिवराज सरकार के लिये गले की हड्डी बन गया है? जानकार ऐसा सोच रहे हैं कि इस एक घटना ने आदिवासी समाज में सरकार विरोधी माहौल बन गया है, तो वहीं आरोपी पर कड़ी कार्रवाई ने विंध्य इलाके के ब्राह्मणों को नाराज करने का खतरा पैदा कर दिया है.
सीधी से करीब छह सौ किलोमीटर दूर भोपाल में मुख्यमंत्री निवास पर कुर्सी पर दशमत रावत (पीड़ित) को बैठाकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पैर धोया और. माला पहनाई, शॉल और श्रीफल दिए. फिर उन्हें मीठा खिलाया और बैठाकर नाश्ता भी कराया. दशमत पर बीजेपी के कार्यकर्ता और सीधी से बीजेपी विधायक केदार शुक्ला के प्रतिनिधि प्रवेश शुक्ला ने शराब के नशे में सिर पर पेशाब की थी.
भाजपा काआदिवासी वोट बैंक खतरे मे
दशमत के साथ हुई इस घटना ने चुनावी साल में बीजेपी को बैकफुट पर ला दिया है. बीजेपी समझ नहीं पा रही कि इस घटना से कैसे निपटें, पार्टी की छवि को जो धक्का लगा है उससे कैसे उबरें? क्योंकि मध्य प्रदेश में आदिवासी समाज की आबादी 21 प्रतिशत है और विधानसभा की 47 सुरक्षित सीटें आदिवासियों के लिये हैं. ऐसे में इस घटना ने आदिवासियों के वोट में सेंध लगाने की कोशिश कर रही बीजेपी को परेशान कर दिया है.
बीजेपी अलर्ट
इस घटना की भरपाई के लिये बीजेपी का पूरा सिस्टम भिड़ गया है. आरोपी पर सख्त कार्रवाई तो हुयी है, साथ ही पीड़ित के पैर धोकर प्रायश्चित भी किया जा रहा है. मगर साथ ही शिवपुरी में हुयी उस घटना को उभारा जा रहा है जिसमें कुछ दिन पहले दलित लोगों के साथ मुसलमान समाज के लोगों ने मारपीट कर बेइज्जती की थी.
कांग्रेस हूई आक्रामक
उधर कांग्रेस इस मुद्दे पर आक्रामक बनी हुयी है. पीड़ित पक्ष के घर के बाहर उसके परिवार के साथ मिलकर धरना दिया जा रहा है. कांग्रेस इस मुद्दे को ऐसे नहीं जाने देना चाहती. क्योंकि प्रदेश में 47 सुरक्षित आदिवासी सीटों में तीस सीटें उसके पास है. वहीं बीजेपी के पास 16 सीटें हैं.
हालांकि बीजेपी ने आदिवासी वोटरों पर वापसी के लिये काफी मेहनत की है. शहडोल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दौरा के समय रानी दुर्गावती की जयंती मनाकर उनके नाम की यात्राएं निकालना और भोपाल की स्टेशन का नाम कमलापति रखना वगैरह है. मगर पेशाब कांड ने बीजेपी के हालात बिगाड़ दिये हैं
चुनावी साल में आदिवासी वोट को अपने पाले में खींचने के लिये बीजेपी कांग्रेस जोर लगा रही है मगर सत्तारूढ़ पार्टी अब इसमें पिछड़ती जा रही है. आरोपी पर हुई कड़ी कार्रवाई प्रदेश के ब्राह्मण वोटों पर भी असर कर रही है, क्योंकि सीधी, सतना और रीवा में ब्राह्मण वोटर बड़ी संख्या में हैं.
मध्यप्रदेश ब्राह्मण समाज का मानना है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आरोपी शुक्ला पर अट्रासीटी अक्ट तहत कार्रवाई करने का आदेश देना चाहिए था। मुख्यमंत्री ने आदिवासी के पैर धोये और शुक्ला का आशियाना धराशाई करवा दिया।चाहे तो दोषी शुक्ला पर हदपार की कार्रवाई करवा सकते थे? परंतु शुक्ला के बाप का घर क्यों गिराया? आरोपी शुक्ला को आदिवासी से गलती की माफी मागने के लिए बाध्य किया जाना चाहिए था? मुख्यमंत्री ने आदिवासी से माफी मांगी और पैर धोया, माला पहनकया और मिठाई और नास्ता करवाया?