नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आर्टिकल-370 हटाने के खिलाफ दाखिल 23 याचिका पर सुनवाई शुरू की. हालांकि कोर्ट ने सभी पक्षकारों को 25 जुलाई तक अपना पक्ष रखने का समय देते हुए सुनवाई टाल दी है. वहीं शेहला राशिद और शाह फैसले ने अपनी याचिकाएं वापस ले ली हैं.
अनुच्छेद-370 पर पांच जजों की बेंच सुनवाई कर रही है
सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने मंगलवार को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की. पीठ ने इस मामले में सभी पक्षकारों से 25 जुलाई तक अपना जवाब देने के लिए कहा. अब इस मामले में 2 अगस्त से सुनवाई होगी. वहीं सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की. उसने कहा कि वो केंद्र के जम्मू-कश्मीर के हालात पर दाखिल नए हलफनामे को लेकर सुनवाई नहीं करेगा, क्योंकि इसका संवैधानिक प्रश्न से कोई लेना-देना नहीं है. पीठ ने कहा कि वह सिर्फ संवैधानिक मुद्दे पर सुनवाई करेगा.
कोर्ट में अनुच्छेद-370 हटाए जाने के खिलाफ 23 याचिकाएं दाखिल की गई हैं. संविधान पीठ में चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल हैं.
जानकारी के मुताबिक अब सुनवाई सोमवार और शुक्रवार को छोड़कर सुबह 10:30 बजे से होगी. संविधान पीठ ने कहा कि मामले से जुड़ी फाइलें और सभी दस्तावेज पेपर लेस फाइल किए जाएं. सभी पक्ष अपने जवाब इलेक्ट्रॉनिक मोड में फाइल करें.
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जस्टिस कौल ने कहा कि इस मामले की सुनवाई हमारे सामने 3 जजों की बेंच के पास हुई तो मुद्दा यह उठा कि क्या ये मामला 5 जजों के सामने जाना चाहिए. अब मैं परेशान हूं कि अतिरिक्त शपथपत्र की आवश्यकता क्यों है. कुछ नहीं बदला है, मुद्दा वही है.
अब नए नाम से लिस्ट किया जाएगा नाम
सुप्रीम कोर्ट को सुनवाई के दौरान बताया गया कि याचिकाकर्ता शाह फैजल और शेहला रशिद अपनी याचिका वापस ले चुके हैं. वरिष्ठ वकील राजू रामचद्रंन ने बताया कि दोनों के नाम याचिकाकर्ता की लिस्ट से हटाने के लिए चीफ जस्टिस ने रजिस्ट्री को निर्देश दे दिया. अभी तक मामले की सुनवाई में लीड पिटीशन शाह फैजल बनाम भारत सरकार के नाम से लिस्ट की जाती थी. अब नए नाम से यह मामला कॉज लिस्ट में दर्ज किया जाएगा. CJI ने कहा कि अब इसे Re: Article 370 के नाम से कार्यसूची में सूचीबद्ध किया जाएगा.
– एसजी तुषार मेहता ने कहा कि पहले कन्वीनियंस कंपाइलेशन दाखिल करने का निर्देश था, जो दाखिल हो चुका है लेकिन अब उसे अपडेट करने की जरूरत है. एसजी ने कहा कि चूंकि सीजेआई और जस्टिस खन्ना पिछली बेंच में नहीं थे, इसलिए दोनों पक्षों की ओर से एक कंपाइलेशन दाखिल किया गया है. हो सकता है कि वे इसमें कुछ जोड़ना चाहें.
– केंद्र सरकार ने कहा कि अनुच्छेद 370 के प्रावधान शिथिल किए जाने के बाद जम्मू कश्मीर के बदले हालात को लेकर सरकार ने जवाब जरूर दाखिल किया है, लेकिन इसको केस से जुड़े संवैधानिक सवालों के खिलाफ दलील के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जाएगा.
– वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने बताया कि हलफनामे को प्रेस में व्यापक रूप से रिपोर्ट किया गया है. इस पर सीजेआई ने कहा कि प्रेस में जो है, उसे हम नियंत्रित नहीं कर सकते.
– दुष्यंत दवे ने कहा कि हमें हलफनामे की कोई प्रति नहीं मिली है, इस पर एसजी ने कहा कि हम देंगे. वहीं केंद्र सरकार ने कोर्ट से 370 हटने के बाद कश्मीर के हालात में आए बदलावों को लेकर जानकारी दी.
– वरिष्ठ वकील मेनका गुरुस्वामी ने कांग्रेस के कुछ नेताओं को गिरफ्तार किया गया था, इसलिए उन्हें याचिकाओं पर हस्ताक्षर करने की जरूरत है.
– वरिष्ठ अधिवक्ता नित्य रामकृष्णन ने बताया कि जब मामलों की सुनवाई हुई तो कौमी राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता हिरासत में थे. अब वे पक्षकार बनाने की मांग वाली याचिका पर हस्ताक्षर करने में सक्षम हो गए हैं. इस पर सीजेआई ने कहा कि सभी मुद्दे एक जैसे हैं. आप अपना अभियोग दायर करें और एक प्रति सरकार को दें.
2019 में खत्म कर दिया गया था स्पेशल स्टेटस
केंद्र ने 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद-370 के प्रावधानों में बदलाव कर जम्मू-कश्मीर के स्पेशल स्टेटस को खत्म कर दिया था. इसके बाद से जम्मू-कश्मीर अब देश के बाकी राज्यों जैसा हो गया है. पहले केंद्र सरकार का कोई भी कानून यहां लागू नहीं होता था, लेकिन अब यहां केंद्र के कानून भी लागू होते हैं. साथ ही जम्मू-कश्मीर में कई समुदायों को कई सारे अधिकार भी नहीं थे, लेकिन अब सारे अधिकार भी मिलते हैं. जम्मू-कश्मीर अब केंद्र शासित प्रदेश हैं. सरकार का कहना है कि सही समय आने पर जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया जाएगा.