मुंबई : हित साधने के उद्देश्य से NCP चीफ शरदचंद्र पवार साहब तो PM नरेन्द्र मोदी का विस्वास संपादन के लिए बेताब है? NCP चीफ पवार अपना भतीजा अजीतदादा को महाराष्ट्र का CM तथा बेटी सुप्रियाताई को केंद्रीय मंत्रिमंडल मे शामिल करने और DCM देवेन्द्र फड़णवीस को रास्ते से हटवाने के बेताब दिखाई दे रहे है। इसीलिए 3 वर्ष पूर्व ओबीसी प्रवर्ग का मुख्यमंत्री पद के लिए पश्चिम महाराष्ट्र और मराठवाड़ा के महाराष्ट्र विकास अघाडी द्धारा आंदोलन करवाना पडा था? महाराष्ट्र की राजनीति के शातिर खिलाडी मराठा छत्रप शरदचंद्र पवार बडे ही चालाक नेता माने जाते है।
परिणामत: पीएम मोदी और एनसीपी चीफ शरद पवार गत मंगलवार 1 अगस्त को महाराष्ट्र के पुणे में लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह में एक मंच पर दिखे थे.
प्रधानमंत्री मोदी को लोकमान्य तिलक पुरस्कार से सम्मानित करने के लिए आयोजित कार्यक्रम में महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे, डिप्टी सीएम देवेंद्र फड़णवीस, अजित पवार समेत अन्य नेता शामिल हुए. इस दौरान स्टेज पर पीएम मोदी और शरद पवार ने PM का विस्वास संपादन के लिए हाथ मिलाकर कुछ देर हंसते हुए एक दूसरे से बातचीत की.और NCP चीफ शरद पवार ने पीएम मोदी की पीठ भी थपथपायी थी. जिसे लेकर पूरे देश में आश्चर्यजनक वातावरण निर्माण हुआ है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लोकमान्य तिलक पुरस्कार से सम्मानित करने के लिए आयोजित कार्यक्रम में महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे, डिप्टी सीएम देवेंद्र फड़णवीस, अजित पवार समेत अन्य नेता शामिल हुए थे. इस दौरान स्टेज पर पीएम मोदी और शरद पवार ने हाथ मिलाकर कुछ देर हंसते हुए एक दूसरे से बातचीत की. शरद पवार ने पीएम मोदी की पीठ भी थपथपायी.
ज्ञातव्य है कि NCP चीफ शरदचंद्र पवार भाजपा सरकार विरोधी समूूह महागठबंधन (इंडिया) के भी विश्वासपात्र संचालक समझे जा रहे हैं? और दूसरी तरफ मोदी सरकार के भी विश्वासपात्र बने रहना चाहते है? देशवासियों के समक्ष NCP चीफ मोदी सरकार को कम दिमाग का ठहराना चाहते हैं? विगत माह भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने मजाकिया लिहाजे मे NCP चीफ शरद पवार को तांत्रिक करार दिया था?तबसे श्री बावनकुले NCP चीफ शरदचंद्र पवार की आंखों की किरकिरी बने हुए हैं? बताते हैं कि शरदचंद्र पवार बोलते नहीं परंतु समय आने पर किसी के पेट का पानी भी हिलने नहीं देते और खुन्नस का बदला लिए बिना छोडते नहीं है?
हालकि सुनियोजित साजिश के तहत दिखावे के लिए शरद पवार ने पीएम मोदी के साथ मंच साझा न करने के विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया के अनुरोध को स्वीकार नहीं किया है.परंतु शरद पवार की एनसीपी में जुलाई में हुए विभाजन के बाद पीएम मोदी और उनके (शरद पवार) के बीच यह पहली मुलाकात थी. इस कार्यक्रम के बाद शरद पवार ने बयान भी जारी किया है.
हालकि शरद पवार ने कहा है कि मैं प्रधानमंत्री मोदी से कहना चाहता हूं, पुणे शहर का इस देश में एक विशेष महत्व है. छत्रपति शिवाजी महाराज और उनका इतिहास पूरी दुनिया जानती है. शिवाजी महाराज का जन्म इसी जिले के शिवनेरी किले में हुआ था और उनका बचपन पुणे शहर के लाल महल में बीता. देश के जवानों ने देश की रक्षा के लिए एक तरह की सर्जिकल स्ट्राइक की. सर्जिकल स्ट्राइक की चर्चा अभी चल रही थी, लेकिन इस देश की पहली सर्जिकल स्ट्राइक छत्रपति शिवाजी के समय में हुई जब शाहिस्तेखान ने लाल महल पर कब्जा करने की कोशिश की. इस महत्वपूर्ण बात को भुलाया नहीं जा सकता. यहां बहुत कुछ कहा जा सकता है, हम लोकमान्य को याद करने आये हैं.
शरद पवार ने कहा था कि मैं प्रधानमंत्री मोदी से कहना चाहता हूं, पुणे शहर का इस देश में एक विशेष महत्व है. छत्रपति शिवाजी महाराज और उनका इतिहास पूरी दुनिया जानती है. शिवाजी महाराजजी का जन्म इसी जिले के शिवनेरी किले में हुआ था और उनका बचपन पुणे शहर के लाल महल में बीता. देश के जवानों ने देश की रक्षा के लिए एक तरह की सर्जिकल स्ट्राइक की. सर्जिकल स्ट्राइक की चर्चा अभी चल रही थी, लेकिन इस देश की पहली सर्जिकल स्ट्राइक छत्रपति शिवाजी के समय में हुई जब शाहिस्तेखान ने लाल महल पर कब्जा करने की कोशिश की. इस महत्वपूर्ण बात को भुलाया नहीं जा सकता. यहां बहुत कुछ कहा जा सकता है, हम लोकमान्य को याद करने आये हैं.
शरद पवार ने कहा कि 1865 में लोकमान्य के पिता गंगाधर रत्नागिरी छोड़कर पुणे आ गये. पुणे में आगमन के बाद ये केवल आगमन नहीं बल्कि पूर्ण स्वराज की स्थापना के लिए एक प्रकार की चिंगारी, एक मशाल थी. उस काल में दो युग थे, एक तिलक युग और दूसरा महात्मा गांधी का युग. हम यहां उन दोनों के योगदान को कभी नहीं भूल सकते हैं और मुझे यकीन है कि इन दूरदर्शी नेताओं के आदर्श इस देश की नई पीढ़ी को प्रेरित करते रहेंगे और इस संदर्भ में तिलक पुरस्कार का एक अनूठा महत्व है. आज हमने और तिलक मेमोरियल ने इस स्मारक के लिए पीएम मोदी को इस पुरस्कार के लिए चुना.
शरद पवार ने कहा कि 1865 में लोकमान्य के पिता गंगाधर रत्नागिरी छोड़कर पुणे आ गये. पुणे में आगमन के बाद ये केवल आगमन नहीं बल्कि पूर्ण स्वराज की स्थापना के लिए एक प्रकार की चिंगारी, एक मशाल थी. उस काल में दो युग थे, एक तिलक युग और दूसरा महात्मा गांधी का युग. हम यहां उन दोनों के योगदान को कभी नहीं भूल सकते हैं और मुझे यकीन है कि इन दूरदर्शी नेताओं के आदर्श इस देश की नई पीढ़ी को प्रेरित करते रहेंगे और इस संदर्भ में तिलक पुरस्कार का एक अनूठा महत्व है. आज हमने और तिलक मेमोरियल ने इस स्मारक के लिए पीएम मोदी को इस पुरस्कार के लिए चुना.
एनसीपी चीफ ने कहा कि इस पुरस्कार से इंदिरा गांधी, खान अब्दुल गफ्फार खान, बाला साहब देवरस, शंकर दयाल शर्मा, अटल बिहारी वाजपेयी, डॉ. मनमोहन सिंह सहित कई महानुभावों को नवाजा गया है. इन महानुभावों की सूची में आज नरेंद्र मोदी का नाम भी शामिल हुआ. आज हम सभी की ओर से उन्हें यहां दिए गए पुरस्कार के लिए ईमानदारी से बधाई देते हैं. इससे पहले समारोह में अपने संबोधन में शरद पवार ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि शिवाजी महाराज ने कभी किसी की जमीन नहीं छीनी।
इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी रहे लोकमान्य तिलक के नाम पर पुरस्कार मिलना सम्मान की बात है. मैंने पुरस्कार राशि नमामि गंगे परियोजना को दान करने का फैसला किया है. मैं ये पुरस्कार देश के 140 करोड़ लोगों को समर्पित करता हूं. उन्होंने कहा कि एक-दूसरे पर भरोसा ही देश को मजबूत बनाएगा. अगर अविश्वास का माहौल है तो विकास असंभव है. पीएम मोदी ने पुणे के दगडूशेठ हलवाई गणेश मंदिर में पूजा-अर्चना भी की.
इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी रहे लोकमान्य तिलक के नाम पर पुरस्कार मिलना सम्मान की बात है. मैंने पुरस्कार राशि नमामि गंगे परियोजना को दान करने का फैसला किया है. मैं ये पुरस्कार देश के 140 करोड़ लोगों को समर्पित करता हूं. उन्होंने कहा कि एक-दूसरे पर भरोसा ही देश को मजबूत बनाएगा. अगर अविश्वास का माहौल है तो विकास असंभव है. पीएम मोदी ने पुणे के दगडूशेठ हलवाई गणेश मंदिर में पूजा-अर्चना की।
उधर भाजपा PM नरेंद मोदी सरकार विरोधी दल के महाठगबंधन के सभी गणमान्य नेता NCP चीफ शरदचंद्र पवार साहब से सलाह मशविरा के लिए बेताब एवं बेसब्री से प्रतीक्षारत है? जब तक उनके भतीजे DCM अजीत दादा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री नहीं बनते और उनकी बेटी सांसद सुप्रियाताई केंद्रीय मंत्रिमंडल मे शामिल नहीं होंगी बेताब चैन से नहीं बैठेंगे? इतना ही नहीं महाराष्ट्र मे ओबीसी प्रवर्ग का मराठा मानुष स्थाई मुख्यमंत्री का ताज अजीतदादा के सर नहीं पहनाया जाता वे बेफिक्र नींद भर सोते नहीं? वे सपने मे उनकी बेटी सुप्रियाताई को केंद्रीय मंत्री बनने का सपना संजोए हुए हैं।