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DCM अजीत पवार क्यों भडके शरद पवार पर?

 

टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

मुंबई। पूर्व सीएम श्री शरदचंद्रजी पवार साहब ने 1999 में कांग्रेस से अलग होकर NCP बनाई थी। उसके बाद से ही वे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष थे, लेकिन 2 मई 2023 को उन्होंने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। पुराने कांग्रेसियों की माने तो पूर्व सीएम पवार साहब के मन और दिलों दिमाग से कांग्रेस की विचारधारा कूट-कूट कर भरी हूई है।

हाल ही महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम और NCP नेता अजित पवार ने कहा कि शरद पवार खुद ही NCP अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना चाहते थे। लेकिन वे हमसे कहते कुछ और थे, करते कुछ और थे।

अजित ने यह बात शुक्रवार (1 दिसंबर को) रायगढ़ के कर्जत में हुए NCP अधिवेशन में कही। वे बोले कि शरद ने लगातार अपनी भूमिका बदली। इस घटनाक्रम की सारी जानकारी सुप्रिया सुले को थी। अजित ने यह भी बताया कि शरद पवार ने ही उनसे सत्ता में भागीदारी के लिए कहा था।

शरद पवार ने गत 2 मई को NCP अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद अजित पार्टी अध्यक्ष बने थे। हालांकि बाद में शरद ने अपना फैसला वापस ले लिया था और अजित पवार ने अपना अलग गुट बनाकर महाराष्ट्र की शिंदे सरकार में शामिल होने का फैसला किया था। जुलाई 2023 में उन्हें डिप्टी CM बनाया गया।

अजित बोले-श्री पवार साहब ने अलग होने का फैसला उनकी बेटी सांसद सुप्रियाताई को बताया था, उन्होंने 10 दिन मांगे थे
DCP अजितदादा पवार ने बताया कि प्रफुल्ल पटेल, अजित पवार, छगन भुजबल, सुनील तटकरे, जयंत पाटिल, अनिल देशमुख, रामराजे नाइक निंबालकर, दिलीप वलसे पाटिल, हसन मुश्रीफ, धनंजय मुंडे, हम में से 10-12 लोग देवगिरी में बैठे थे। हम सोच रहे थे कि आगे क्या करें। फिर हमने सुप्रिया को बुलाया, क्योंकि हमें लग रहा था कि अगर सीधा शरद पवार को बताया तो वह क्या सोचेंगे। इसलिए पहले सुप्रिया को सब कुछ बताया।
तब सुप्रिया ने 8-10 दिन का वक्त मांगा था और कहा कि ये उन पर छोड़ दीजिए कि करना क्या है, वे शरद पवार को मना लेंगी। अजित समेत बाकी नेताओं ने 8 दिन इंतजार किया। फिर साथ बैठकर फैसला किया कि हमें ही साहब (शरद पवार) से बात करनी चाहिए, क्योंकि विधायकों के कामकाज पर रोक लगा दी गई थी।

NCP चचीफ शरदचंद्र पवार साहब ने अजित को फोन करके कहा था- सरकार में शामिल हो जाओ DCM अजीतदादा पवार ने आगे बताया कि इसके बाद वे सीधा शरद पवार के पास गए और उन्हें अपना फैसला सुना दिया। इसके बाद शरद ने कहा था कि ठीक है। देखते हैं क्या करना है। फिर हम यशवंतराव चव्हाण इंस्टीट्यूट गए। समय बीत रहा था। हमने उनसे कहा कि जल्दी फैसला लीजिए। फिर बोले, ठीक है।
82 साल के हो चुके शरद पवार ने मुंबई के वाईबी चव्हाण सेंटर में 2 मई को अपनी पॉलिटिकल बायोग्राफी ‘लोक भूलभुलैया संगति’ का विमोचन किया था।

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