मध्यप्रदेश में कांग्रेस चुनाव जीती तो कमलनाथ ही बनेंगे मुख्यमंत्री?
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
जबलपुर। कांग्रेस के दिग्गज नेता अरुण यादव ने कुछ दिनों पहले कहा था कि सीएम फेस चुनने की प्रक्रिया दिल्ली से होती है. मुख्यमंत्री कौन बनेगा, कब बनेगा, कैसे बनेगा? यह चुनाव के बाद तय होता कांग्रेस (Congress) में सीएम के चेहरे को लेकर बयानबाजी का दौर जारी है. फिलहाल पार्टी के दो दिग्गज नेताओं अरुण यादव और अजय सिंह राहुल ने नियमों और परंपरा की दुहाई देकर मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ की राह में रोड़े अटकाने का काम किया है. वहीं राजनीतिक जानकर कहते हैं कि मौजूदा हालातों में नेताओं के बयान भले ही आते रहेंगे, लेकिन कमलनाथ को चुनौती देने की हैसियत किसी की नहीं है.
वहीं मध्य प्रदेश में कमलनाथ को मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट करने को लेकर भले ही खींचतान शुरू हो गई है, लेकिन पार्टी के पास उनके अलावा कोई विकल्प भी नहीं है. पिछले दिनों कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने साफ ने कर दिया था कि सीएम फेस चुनने की प्रक्रिया दिल्ली से होती है. मुख्यमंत्री कौन बनेगा, कब बनेगा, कैसे बनेगा? यह चुनाव के बाद तय होता है.
उन्होंने कहा, “आंकड़े आएंगे तो विधानसभा सदस्यों की बैठक होती है. एक व्यवस्था है, विधायक दल मीटिंग करते हैं. उसमें चयन किया जाता है. आलाकमान, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे हैं, सोनिया गांधी हैं, राहुल गांधी हैं, प्रियंका गांधी हैं और भी दिल्ली बैठे हैं. विचार करेंगे, जिसे मेंडेट मिलेगा, वो सीएम बनेगा. मुख्यमंत्री चयन की प्रक्रिया एमपी से तो नहीं होती.”
इसके बाद उन्हें एक और दिग्गज नेता अजय सिंह राहुल का भी साथ मिला. अजय सिंह राहुल ने बयान दिया कि कांग्रेस में परंपरा रही है कि केंद्रीय नेतृत्व और विधायक दल ही सीएम चुनता है. कोई व्यक्ति अपने आप को सीएम बताता भी नहीं है. वहीं मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ ने राज्य में सीएम फेस को लेकर पूछे सवाल पर कहा था कि वह किसी पद के आकांक्षी नहीं हैं. उन्होंने जीवन में सब कुछ पा लिया है. अब उनका लक्ष्य सिर्फ मध्य प्रदेश का भविष्य सुरक्षित करना हैं.
कांग्रेस के सामने ये है चुनौती
अगर नेताओं की बयानबाजी से इतर बात की जाए तो मध्य प्रदेश में कांग्रेस के लिए कमलनाथ मजबूरी है. प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार रविंद्र दुबे कहते हैं कि इस समय कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती विधानसभा चुनाव के लिए फंड एकत्रित करने की है. इस मामले में कमलनाथ के अलावा कोई भी नेता सक्षम नहीं है. इसी तरह संगठन पर भी कमलनाथ की पकड़ मजबूत हो गई है. टिकट वितरण में भी कमलनाथ की ही चलने वाली है.
कमलनाथ ही ले रहे बीजेपी से मोर्चा
कमलनाथ को सबसे बड़ी चुनौती पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से मिल सकती थी, लेकिन कहा जा रहा है कि दिग्विजय सिंह भी फिलहाल कमलनाथ को अपना नेता मान चुके हैं और उनके नेतृत्व में ही चुनाव में जाने की बात करते हैं. इसके अलावा कमलनाथ ही आगे रहकर बीजेपी और शिवराज सिंह चौहान से मोर्चा ले रहे हैं. राजनीतिक जानकार कहते हैं कि पिछले चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मुख्यमंत्री पद की रेस में थे, लेकिन उनके कांग्रेस छोड़कर चले जाने के बाद अब कमलनाथ कांग्रेस के निर्विवाद नेता हैं।
छिन्दवाडा जिला वासी भगवान मानते हैं कमलनाथ को
कांग्रेस के निर्विवाद पूर्व सीएम कमलनाथ को छिन्दवाडा जिला वासी भगवान मानते है। कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता हो पदाधिकारी य नागरिकों के साथ कभी झूठ छल कपट और विश्वासघात नहीं करते जैसे कई अन्य राजनैतीक पार्टी के नेता मुंह में राम ओर बगल में छुरी रखते है। छिन्दवाडा वासियों की माने तो जो अपने आपको को रामभक्त की पार्टी का ढकोसला पीटने वाले नेतागण जुमलेबाजी में अग्रसर रहते हैं। बताते हैं कि भाजपा नेताओं ने लाडली बहना के साथ कितना अन्याय किया गया है। अन्यायग्रस्त ही बतला रहीं है?