महाराष्ट्र सहित देश भर में फर्जी पत्रकारों की भरमार से सरकारी अफसर,व्यवसायी और निर्माता कंपनी हैरान और परेशान
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
मुंबई। महाराष्ट्र राज्य सहित देश भर मे सैकडों फर्जी पत्रकारों का जाल फैला हुआ है। जिनके गैरकानूनी व्यवहारों और गैरकानूनी आचरण और गैरकानूनी कार्य प्रणालियों की वजह से ईमानदार सरकारी अफसरों, ईमानदार व्यवसायियों, ईमानदार कंपनी-ठेकेदारों, ईमानदार उधोग धंदा संचालकों और ईमानदार राजनेताओं का जीवन दुर्भर हो गया है। बताते हैं कि किसी भी पक्ष में उल्टे सीधे प्रश्न और सवाल पूछते हैं और रुपये की मांग करते हैं? मुंहमांगा रुपया नहीं देने पर उनके खिलाफ मामला प्रकाशित करने की धमकियां देते फिरते हैं? उन फर्जीवाड़ा में लिप्त एसे फर्जी मीडिया पत्रकारों से कई जांच-पड़ताल की जाए तो साल-6-6 महिना उनका नियमित अखबार प्रकाशित होता नहीं? और साल छै: महिनाओं में एक य दो मर्तबा दो चार पेज का अखबार प्रकाशित करवा भी लिया तो उनके अखबार में ईमानदार अफसरों और ईमानदार राजनेताओं के खिलाफ मनगढंत झूठे और बेबुनियाद खबरें प्रकाशित करके महिना वसूलने का गोरख धंधा चलता रहता हैं? इससे ईमानदार अफसरों अभियंताओं और ईमानदार व्यवसायियों को काफी परेशानियों और मानसिक तनाव का सामना करना पड रहा है?
गुलाम पत्रकारिता से चौथा स्तंभ संकट मे
सर्वेक्षण के अनुसार देश में जो बडे दैनिक मीडिया के पत्रकार जो हैं वे पथ भ्रष्ट राजनेताओं,अवैध धंदा चालक माफिया, तस्करों के गुलाम बनकर रह गए हैं। विकास निधि मे कमीशनखोरी में लिप्त राजनेता अपने भ्रष्टाचार और काले कारनामों को दफनाने के लिए मीडिया पत्रकारों को पैकेज रिश्वत और मुंह मांगा विज्ञापन देकर चुप करा दिया जाता है? इन बेईमानदार और सरकारी खजाना के लुटेरे भ्रष्ट अफसरों और पथ भ्रष्ट राजनेताओं के काले कारनामों को दफनाने में इन कथित मीडिया पत्रकारों की अहम भूमिका रहती है? बताते हैं कि श्रमिकों का आर्थिक शोषण, अन्याय अत्याचार और भ्रष्टाचार में ये राजनेताओं के आचरण और कार्यप्रणाली अत्याधिक निंदनीय होती है? ये सत्तासुख के भूखे भेडिये नेता लोग राजनेता सत्ता में आने के पूर्व ये विरोधी दल के नेताओं के नामों से जाने जाते हैं? वे इन गुलाम पत्रकारों का विश्वास संपादन करके आसमान छूती मंहगाई और भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन करके सरकार का चलना मुश्किल कर देते हैं? बताते हैं कि और सत्ता में आते ही सत्ता सुख मे मग्न होकर मंहगाई और भ्रष्टाचार भूल जाते हैं। इन पथ भ्रष्ट राजनेताओं की तरफ से गुलाम मीडिया पत्रकारों की समय ⌚ पर अच्छी खासी रसद उपलब्ध होते रहती है।
सच्चे और ईमानदार मीडिया पत्रकारों की जीवन संकटमय
सर्वेक्षण में पाया गया है कि जो सच्चे, ईमानदार और सत्यवादी पत्रकार है वे पथ भष्ट्रनेताओं, भ्रष्ट अफसरों और अवैध धंदा चालक व्यवसायियों की खुन्नस और बदले की राजनीति के शिकार होकर झूठे मामलों में कोर्ट कचहरी के चक्कर लगा रहे होते हैं। बताते हैं कि भारतीय संविधान का चौथा स्तंभ समझी जाने वाली प्रसार पालिका को ईमानदारी से निर्वहन करने वाले अनेक सत्यवादी और ईमानदार पत्रकार का जीवन संकटों से जूझ रहा है। मानों इस देश में ईमानदार और सत्यवादियों को जीने और रहने का अधिकार नहीं है? इस संबंध मे सर्वेक्षण और अध्ययन से पता चलता है कि भारतीय संविधान और मानव अधिकार का खुल्लर खुल्ला उलंघन होता दिखाई दे रहा है।
बिकाऊ और गुलाम पत्रकारिता से स्थिति खतरनाक
देश में विगत 2020-2021 के दौरान कोरोना के प्रकोप से निजात पाने के लिए सरकार की तरफ से लॉकडाउन लगाया गया था?देश लाकडाऊन के दौर से गुजर रहा था। सभी लोग घरों में कैद थे। इमरजेंसी सर्विस से जुड़े लोगों को ही इससे दूर रखा गया था, जिनमें पत्रकार परिवार भी शामिल थे। लेकिन कुछ लोग गलत तरीके से इसका फायदा उठाने लगे थे।
पूरा देश लॉकडाउन के दौर से गुजर रहा था। सभी लोग घरों में कैद हैं। इमरजेंसी सर्विस से जुड़े लोगों को ही इससे दूर रखा गया है, जिनमें पत्रकार भी शामिल थे। लेकिन कुछ लोग गलत तरीके से इसका फायदा उठाने लगे हैं। बताते हैं कि लॉकडाउन के दौरान मुंबई, दिल्ली, कोलकाता , चेन्नई, बेंगलूर, भुवनेश्वर, अहमदाबाद, मेरठ,लखनऊ, भोपाल, देहरादून, पुलिस ने फर्जी पत्रकारों की धरपकड़ के लिए अभियान शुरू किया था और ऐसा इसलिए क्योंकि यहां फर्जी पत्रकारों की बाढ़ सी आ गई है। इस अभियान के तहत पुलिस ने लॉकडाउन का उल्लंघन करने वाले अनेक फर्जी पत्रकारों को गिरफ्तार किया था और बाद में उनका नाम पता दर्ज करके छोड दिया गया?
मेरठ के इंचौली थानाक्षेत्र में चेकिंग के दौरान एक तथाकथित पत्रकार पकड़ा गया था। इस शख्स का नाम फराज है। अपने आपको पत्रकार बता रहा ये शख्स पुलिस से भी बदसलूकी कर रहा था। जब पुलिस ने इससे कड़ाई से पूछताछ कि तो उसने खुद को नोएडा का पत्रकार बताया। हालांकि, कुछ देर बाद पुलिस ने सच उगलवा ही लिया। फिलहाल, इसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। वहीं, इससे पहले मेरठ से दो फर्जी पत्रकारों को गिरफ्तार किया गया था।
उसी प्रकार देश के अनेक शहरों में अनेक तथाकथित पत्रकार शहरों के चौराहे पर बाइक पर प्रेस लिखवाकर घूम रहे हैं। जबलपुर के सदर बाजार पुलिस ने जब इन्हें रोककर पूछा कि वे किस संस्थान के पत्रकार हैं, दोनों कोई जवाब नहीं दे पाए। बाद में इन्होंने पुलिस को बताया कि कुछ रुपए देकर फर्जी पहचान पत्र बनवाया है। वहीं, स्थानीय पत्रकारों ने जब इन फर्जी पत्रकारों से सवाल किए, तो पता चला कि ये दोनों दर्जी का काम करते हैं। साथ ही दोंनों ठीक से शिक्षित भी नहीं है। एक आरोपी पांचवीं और दूसरा आठवीं कक्षा तक की शिक्षा ग्रहण किए हुए है। अजीम और एजाज नाम के इन फर्जी पत्रकारों से जब सामान्य ज्ञान के प्रश्न पूछे गए तो दोनों बगलें झांकने लगे।
इसके पहले, शनिवार को थाना ब्रहमपुरी क्षेत्र में अपर पुलिस महानिदेशक मेरठ जोन मेरठ एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मेरठ पुलिसकर्मियों को सैनेटाईजर व मास्क वितरित कर रहे थे। इस दौरान एक स्पलेन्डर बाइक जिस पर TOP MEDIA 18 LIVE NEWS का स्टीकर लगा था, उस पर दो व्यक्ति सवार थे। उन्होंने कथित प्रेस का आई कार्ड पहन रखा था। जब पुलिस ने उन्हें रोककर पूछताछ की, तो दोनों व्यक्तियों का किसी भी प्रेस से कोई संबंध नहीं पाया गया।
दोनों व्यक्ति फर्जी आई कार्ड लगाकर लॉकडाउन का उल्लंघन करते हुए मीडिया और पुलिस को गुमराह कर रहे थे। पुलिस ने बताया कि दोनों आरोपियों का नाम सुहेल और अहमद है। फिलहाल दोनों को ब्रह्मपुरी पुलिस के हवाले कर दिया था। इसी प्रकार देश के अनेक शहरों महानगरों और देहातों मे अनेक फर्जी पत्रकार अफसरों,समाज के सभ्य सघन लोगों को असलियत से गुमराह करके लूट-खसोट कर रहे हैं? पता चला है कि अनेक नामों से अखबार प्रकाशित करने के नाम पर पंजीयन करवा लिया जाता है? परंतु नियमित अखबार प्रकाशित होता नहीं ऐसे मीडिया पत्रकारों को फर्जी पत्रकार कहते हैं। भुक्तभोगी अफसरों, व्यवसायियों और वरिष्ठ समाज सेवी जनता-जनार्दन ने इसकी शिकायत नजदीकी पुलिस थानों मे दर्ज कराना चाहिए?