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(भाग:188) भगवान गौतम के उपदेश:अपने ऊपर दुख को कभी खुद पर हावी न होने दें

भाग:188) भगवान गौतम के उपदेश:अपने ऊपर दुख को कभी खुद पर हावी न होने दें

टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

भगवान गौतम बुद्ध कहना है कि हर इंसान को ये समझना चाहिए कि कोई भी दुख हमेशा नहीं रहता है, उसको खत्म किया जा सकता है। दुख निवारण का उपाय है: बुद्ध का कहना है कि हर दुख को दूर करने का उपाय मौजूद होता है। निवारण के उपाय भी मौजूद है। दुःख को दूर करने के लिए इंसान को भगवान बुद्ध के बताए गए सद् मार्ग यानी अष्टांगिक मार्ग को जानना चाहिए
हर दुख से छुटकारा पाने का कोई न कोई उपाय जरूर होता है।बुद्ध कहते हैं दुखी होने से परेशानियां खत्म नहीं होती, हर इंसान को दुख से छुटकारा पाने के लिए उससे जुड़ी बातों पर विचार करना चाहिए
भगवान बुद्ध द्वारा दी गई सीख आज भी प्रासंगिक है। गौतम बुद्ध ने सारनाथ में दिए अपने पहले उपदेश में भी दुख के बारे में बात की है। बुद्ध ने कहा है दुख के बारे में अच्छे से जान लेने के बाद ही सुख मिलता है। उन्होंने बताया कि हर इंसान कभी न कभी दुखी होता ही है। हर इंसान को ये जान लेना चाहिए कि दुख का कारण क्या है, क्यों दुख आता है, हर तरह के दुख से छुटकारा पाया जा सकता है। और दुख को खत्म करने के क्या उपाय हैं। इन बातों को जो इंसान समझ लेता है वो किसी भी हालात में परेशान नहीं होता है।
आज हर इंसान किसी न किसी बात को लेकर परेशान है या कहा जा सकता है कि दुखी है। भगवान बुद्ध का कहना है कि दुखी होने से परेशानियां खत्म नहीं होती हैं। हर इंसान को दुख से छुटकारा पाने के लिए उससे जुड़ी बातों पर विचार करना चाहिए। इसके लिए भगवान बुद्ध की सीख से मदद मिलती है।
दुख है: महात्मा बुद्ध की पहली सीख कहती है कि संसार में दुःख है। बुद्ध कहते हैं कि इस संसार में कोई भी प्राणी ऐसा नहीं है जिसे दुःख ना हो। उनके मुताबिक दुख को एक सामान्य स्थिति समझना चाहिए। इसे खुद पर हावी नहीं होने देना चाहिए। इसलिए हर इंसान को दुखी होने पर चिंतित और परेशान नहीं होना चाहिए। इसके उलट खुद को खुश रखने की कोशिश करनी चाहिए।
दुख का कारण है: महात्मा बुद्ध ने अपनी दूसरी सीख में दुख के कारण का जिक्र किया है। बुद्ध का कहना है कि हर दुख की वजह तृष्णा यानी तेज इच्छा है। इसलिए किसी भी चीज के लिए तृष्णा नहीं रखना चाहिए। यानी कहा जा सकता है कि किसी चीज या इंसान से उम्मीद नहीं रखनी चाहिए।
दुख का निवारण है: महात्मा बुद्ध ने तीसरी सीख में बताया है कि किसी भी तरह का दुख हो उसको दूर किया जा सकता है। उनका कहना है कि हर इंसान को ये समझना चाहिए कि कोई भी दुख हमेशा नहीं रहता है, उसको खत्म किया जा सकता है।
दुख निवारण का उपाय है: बुद्ध का कहना है कि हर दुख को दूर करने का उपाय मौजूद होता है। निवारण के उपाय भी मौजूद है। दुःख को दूर करने के लिए इंसान को भगवान बुद्ध के बताए गए सद् मार्ग यानी अष्टांगिक मार्ग को जानना चाहिए। जिससे कभी दुख महसूस नहीं होगा।

गौतम बुद्ध ने दुनिया को शांति का संदेश दिया था. बुद्ध के संदेश आज के जीवन में भी उतने ही प्रासंगिक है। इसीलिए दुनिया भर में बुद्ध पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है. इस अवसर पर पीएम मोदी ने एक वर्चुअल कार्यक्रम को संबोधित किया. इस कार्यक्रम में मोदी ने कहा कि बुद्ध किसी एक परिस्थिति तक सीमित नहीं हैं, वह हर किसी को मानवता के तहत मदद करने का संदेश देते हैं. आज समाज की व्यवस्था बदल चुकी हैं, लेकिन भगवान बुद्ध का संदेश वही है और हमारे जीवन में उसका एक विशेष स्थान रहा है. आइए जानते हैं कि बुद्ध के उन 10 अनमोल संदेश के बारे में जिस पर पीएम मोदी ने लोगों से चलने को कहा है.

1. जीवन में हजारों लड़ाइयां जीतने से बेहतर स्वयं पर विजय प्राप्त करना है. अगर यह कर लिया तो फिर जीत हमेशा तुम्हारी होगी, इसे तुमसे कोई नहीं छीन सकता.

2. किसी भी हालात में इन तीन चीजों को कभी नहीं छुपाया जा सकता है और वो हैं- सूर्य, चन्द्रमा और सत्य.

3. जीवन में किसी उद्देश्य या लक्ष्य तक पहुंचने से ज्यादा महत्वपूर्ण उस यात्रा को अच्छे से संपन्न करना होता है.

4. बुराई को बुराई से खत्म नहीं किया जा सकता. घृणा को सिर्फ प्रेम द्वारा ही समाप्त किया जा सकता है, यह एक अटूट सत्य है.

5. सत्य के मार्ग पर चलते हुए व्यक्ति केवल दो ही गलतियां कर सकता है, पहली या तो पूरा रास्ता न तय करना, दूसरी या फिर शुरुआत ही न करना.

ये भी पढ़ें: क्यों मनाई जाती है बुद्ध पूर्णिमा? जानिए पूजा विधि और महत्व

6. भविष्य के बारे में मत सोचो और अतीत में मत उलझो सिर्फ वर्तमान पर ध्यान दो. जीवन में खुश रहने का यही एक सही रास्ता है.

7. खुशियां हमेशा बांटने से बढ़ती हैं जैसे कि एक जलते हुए दीये से हजारों दीपक रोशन किए जा सकते है, फिर भी उस दीये की रोशनी कम नहीं होती.

8. आप चाहें जितनी भी अच्छी किताबें पढ़ लें, कितने भी अच्छे शब्द सुन लें, लेकिन जब तक आप उनको अपने जीवन में नहीं अपनाते तब तक उसका कोई फायदा नहीं.

9. हमेशा क्रोधित रहना, ठीक उसी तरह है जैसे जलते हुए कोयले को किसी दूसरे व्यक्ति पर फेंकने की इच्छा से खुद पकड़ कर रखना. यह क्रोध सबसे पहले आपको ही जलाता है.

10. क्रोधित होकर हजारों गलत शब्द बोलने से अच्छा, मौन का वह एक शब्द है जो जीवन में शांति लाता है

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