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मिलावटी खाद्य तेल से बने पकवान खाने से नागपूर कोराडी मंदिर के दो दर्जन कर्मियों को फुड पायजन? निजी अस्पताल मे उपचार 

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मिलावटी खाद्य तेल से बने पकवान खाने से कोराडी मंदिर के दो दर्जन कर्मियों को फुड पायजन? निजी अस्पताल मे उपचार

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टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

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नागपुर। कोराडी श्रीमहाक्ष्मी जगदंबा संस्थान में आयोजित मनोकामना अखंड ज्योति महोत्सव शुरु है। गुरुवार को मध्यानकालीन पूजा के पश्चात मंदिर महोत्सव के रखरखाव में जुटे कर्मियों ने स्वादिष्ट भोजन प्रसाद ग्रहण किया पश्चात दो दर्जन कर्मियों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पडने से शरीर में वेदनाएं शुरू हो गई। उन्हे तुरंत नज़दीक निजी नंदिनी अस्पताल में उपचारात्मक भर्ती कराया गया! जहां सभी बीमार कर्मियों के स्वास्थ्य में सुधार है।

चैत्र नवरात्र के त्योहार पर उमंग और उत्साह के साथ खानपान पर भी लोगों का काफी जोर रहता है?

 

मामले की भनक लगते ही अन्न औषध विभाग को मालूमात रहते भी अनदेखा और अनसुना किया जा रहा है! जानकार सूत्रों की माने तो मंदिर मे आयोजित चैत्र नवरात्र पर्व मे अखंड ज्योति प्रज्वलन के लिए नागपुर के बडे थोक तेल व्यापारी के यहां से खाध तेल खरीदा गया था या किसी व्यापारियों ने खाध तेल के डिब्बे निशुल्क भेंट किया था? यही जांच-पड़ताल और कार्यवाई का विषय है? मिलावटखोर व्यापारियों को बडे नेताओं और मंत्रियों का आशीर्वाद बना रहता है? किसी सज्जन समाज सेवी ने इस भ्रष्टाचार के खिलाफ मामला उठाया तो उसकी खैर नहीं है? बिकाऊ मीडिया पत्रकार भी मिलावट खोर व्यापारियों को बचाने के लिए अथक प्रयास करता है? क्योंकि नेता और मीडिया पत्रकार को मुफ्त मेअं कीमती किराना और खाध तेल उपलब्ध हो जाता है। इतना ही नहीं उन्हे अच्छा खासा कमीशन के चक्कर में उच्चतम दर्जे का खाध तेल की जगह निकृष्ट दर्जे का मिलावट और घटिया खाध तेल बेचा जा रहा है? मंदिर संस्थान पदाधिकारियों ने तेल व्यापारी को बताया कि अखंड ज्योति के लिए तेल की जरुरत दोनो नवरात्र मे पडती है? मुनाफाखोर व्यापारी को अपना बिजनेस बढाना जरुरी होता है? हालकि अखंड ज्योति निरंतर प्रज्वलित रखने के लिए कैसा भी तेल चलता है? बावजूद भी अखंड ज्योति के तेल का भोजन पकवान तैयार करना बहुत मंहगा पड रहा है?

मिलावटी खाद्य तेल यानी सेहत से खिलवाड़

 

विगत सन 1990-92 मे शारदा माई मैहर संस्थान में भी अखंड ज्योति के लिए मगाया गया खाध तेल के भोजन पकवान के खाने से सैकडों श्रद्धालुओं मे बीमार होने की अनहोनी घटना टल चुकी है? तुरंत नींबू शर्बत पीने से प्रदूषित खाधान्न का दुष्परिणाम समाप्त हो गया था? तब से शारदा संस्थान सतर्कता वरत रहा है?

 

चैत्र नवरात्र त्योहार पर उमंग और उत्साह के साथ खानपान पर भी लोगों का काफी जोर रहता है। ऐसे में बाजार से लेकर रसोई तक काफी इंतजाम भी किया जाता है। बाजार में रेडीमेट खाद्य तेल और नमकीन, पापड़, चिप्स, गुझिया से लेकर तमाम तरह की चीजें 10-15 दिन पहले ही तैयार हो जाती हैं। ऐसा ही कुछ घरों में भी किया जाता है। त्योहार पर होने वाली कमाई के चक्कर में दूध, खोया, नमकीन के अलावा सबसे अधिक घातक मिलावट खाद्य तेलों में की जा रही। खास बात यह है कि इन दिनों बाजार में बिक रही खाद्य सामग्री में अधिकांश इन्हीं मिलावटी खाद्य तेलों से तैयार की जाती हैं।

 

नवरात्र ,होली और दीपावली के त्योहार का लोगों को वर्ष भर इंतजार रहता है। इस त्योहार पर लोगों में उमंग और उत्साह भी काफी रहता है। इसके लिए बाजार में रेडीमेड खाद्य पदार्थ नमकीन, दालमोट, गुझिया, पापड़, समोसे आदि तैयार मिल रहे हैं। इन खाद्य पदार्थों को तैयार करने में प्रयोग होने वाला तेल या रिफाइंड सब की मांग बढ़ जाती है। इसी को देखते हुए मुनाफाखोर एक का चार बनाने में जुटे जाते हैं। बाजार में थोक में 50 से 60 रुपये प्रति लीटर में मिलने वाले राइस ब्रान आयल और 55 से 65 रुपये प्रति लीटर में मिलने वाला पाम आयल इनमें प्रयोग होता ही है साथ ही इसमें एसेंस (मस्टर्डी एलो) ¨सथेटिक कलर (बटर यलो) मिलाकर 100 से 110 में रुपये प्रति लीटर में बिकने वाले सरसो का तेल भी तैयार कर दो गुना मुनाफा बटोरा जा रहा है।

 

पिराया हुआ महंगा और डिब्बा बंद सस्ता

 

बाजार में सरसों की पिराई करके निकाला गया तेल और बाजार में डिब्बा या बोतल में मिल रहे तेल की कीमत में भी बड़ा फर्क है। पिराया हुआ तेल जहां 110 रुपये लीटर है वहीं पै¨कग में आ रहा तेल 80 से 100 रुपये प्रति लीटर वह भी आकर्षक पै¨कग के साथ है। हो न हो दोनों की कीमतों में फर्क से इस खेल का पता चल जायेगा।

 

मिलावट से मिलेंगी बीमारी :

 

मिलावटी तेल के सेवन को लेकर मुख्य खाद्य सुरक्षाधिकारी कहते हैं कि इस तरह के तेल को तैयार करने में ¨सथेटिक कलर और एसेंस का प्रयोग किया जाता है। जिसे पहचान पाना भी काफी मुश्किल होता है। इसके सेवन से गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। इसे रोकने के लिए सैंप¨लग कर अभियान चलाया जा रहा है। त्योहार को देखते हुए विशेष सतर्कता भी रखी जा रही है।

कोराडी संस्थान के गोपनीय सूत्रों की माने तो 5 साल पूर्व कोराडी मंदिर संस्थान के एक ट्रस्टी की संस्थान में मध्यान कालीन भोजन करने से विष बाधा के कारण मौत की घटना घट चुकी है?

उधर अन्न औषध प्रशासन का मानना है कि जब तक कोई लिखित शिकायत नहीं करता वे कुछ भी नहींङकर सकते हैं? क्योंकि मंदिर संस्थान से अन्न निरीक्षक और आयुक्त को चुनरी प्रसाद नारियल के शिवाय कुछ भी नहीं मिल सकता है?

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