भारतीय संस्कृति में रक्षा बंधन का अर्थ और धार्मिक महत्व

भारतीय संस्कृति में रक्षा बंधन का अर्थ और धार्मिक महत्व

टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

नई दिल्ली। रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को सम्मान देने और उनके प्यार, देखभाल, और आत्म सुरक्षा का प्रतीक है. इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और भाई अपनी बहनों की रक्षा करने का वचन देते हैं. यह त्योहार सिर्फ़ रक्त संबंधों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि चचेरे भाई-बहनों, बहनों और भाभी, चाची (बुआ), भतीजे (भतीजा) और अन्य करीबी रिश्तों के बीच भी मनाया जाता है. यह त्योहार इन बंधनों की स्थायी और सुरक्षात्मक प्रकृति को दर्शाता है. रक्षाबंधन का त्योहार भारतीय संस्कृति में गहराई से निहित है और सदियों से मनाया जाता रहा है. यह परिवार, प्रेम, और एकता के मूल्यों को दर्शाता है.

रक्षाबंधन की शुरुआत को लेकर कई कहानियां और पौराणिक मान्यताएं प्रचलित हैं. ऐसा माना जाता है कि इस उत्सव की शुरुआत सतयुग में हुई थी और मां लक्ष्मी ने राजा बलि को रक्षासूत्र बांधकर इस परंपरा का शुभारंभ किया. पौराणिक कथाओं में पति-पत्नी के बीच भी राखी का त्योहार मनाने की परंपरा का वर्णन मिलता है. एक बार देवराज इंद्र और दानवों के बीच में भीषण युद्ध हुआ था तो दानवों की हार होने लगी थी. तब देवराज की पत्‍नी शुचि ने गुरु बृहस्पति के कहने पर देवराज इंद्र की कलाई पर रक्षासूत्र बांधा था.

रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है? जानिए इतिहास और महत्व – क्या है रक्षा बंधन का इतिहास … यह देखकर द्रौपदी ने खून रोकने के लिए अपनी साड़ी से कपड़े का एक टुकड़ा फाड़कर चोट पर बांध दिया। भगवान कृष्ण उनके हाव-भाव से बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने हमेशा उनकी रक्षा करने का वादा किया…

यह एक ऐसा पावन पर्व है जो भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को पूरा आदर और सम्मान देता है। सगे भाई बहन के अतिरिक्त अनेक भावनात्मक रिश्ते भी इस पर्व से बँधे होते हैं जो धर्म, जाति और देश की सीमाओं से परे हैं। रक्षाबन्धन का पर्व भारत के राष्ट्रपति और क्यों मनाया जाता है राखी का त्योहार, जानें इसे मनाने के पीछे का कारण व महत्व

31 अग॰ 2023 — रक्षाबंधन का सांस्कृतिक महत्व रक्षा बंधन का प्राथमिक महत्व भाइयों और बहनों के बीच के बंधन का उत्सव है. इस दिन, बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं, जो एक-दूसरे के प्रति उनके प्यार, देखभाल और सुरक्षा का प्रतीक है

रक्षाबंधन क्या है? राखी का अर्थ और महत्व –

इसलिए, यह त्योहार “सुरक्षा की गाँठ या बंधन” का प्रतीक है। रक्षा बंधन के दौरान, बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी नामक एक पवित्र धागा बाँधती हैं, जो उनके भाइयों की भलाई के लिए उनके प्यार और प्रार्थना का प्रतीक है। बदले में,

क्यों मनाया जाता है रक्षा बंधन? भारतीय संस्कृति में रिश्तों का महत्वपूर्ण स्थान है और यहाँ के पर्व-त्यौहार भी रिश्तों की महत्वपूर्णता को प्रकट करते हैं। रक्षा बंधन भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का सम्मान करने वाला एक…

रक्षा बंधन 2023: तिथि, इतिहास, महत्व और उत्सव |

28 अग॰ 2023 — रक्षाबंधन का महत्व भाई-बहन के रिश्तों को फिर से परिभाषित करना रक्षा बंधन भावनात्मक बंधनों के महत्व पर जोर देते हुए, रक्त संबंधों से परे है। … संरक्षण का प्रतीकवाद रक्षा बंधन का केंद्रीय विषय सुरक्षा का वादा है। … प्रेम और आ…

क्यों मनाया जाता है राखी का त्योहार, जानिए महत्व

29 अग॰ 2023 — राखी का धागा सिर्फ एक सजावटी तत्व नहीं है; यह गहरे अर्थ रखता है. राखी बांधकर बहनें अपने भाइयों से सुरक्षा की भावना जगाती हैं. बदले में, भाई अपनी बहनों को किसी भी नुकसान या कठिनाई से बचाने का वादा करते हैं. यह आदान-प्रदान…

रक्षाबंधन का त्योहार हर साल श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया ŕजाता है। इसके पहली वाली पूर्णिमा गुरु-पूर्णिमा थी, जो गुरु और शिक्षकों को समर्पित थी। उसके पहले बुद्ध पूर्णिमा और उसके भी पहले चैत्र-पूर्णिमा थी। तो इस पूर्णिमा को श्रावण-पूर्णिमा कहते हैं, रक्षा-बंधन

रक्षाबंधन क्‍यों मनाते हैं, जानें इससे जुड़ी ये …

1 दिन पहले — रक्षाबंधन का संबंध इंद्र से पौराणिक कथाओं में पति-पत्‍नी के बीच भी राखी का त्‍योहार मनाने की परंपरा का वर्णन मिलता है। एक बार देवराज इंद्र और दानवों के बीच में भीषण युद्ध हुआ था तो दानवों की हार होने लगी थी। तब देवराज …

राखी बांधने की सर्वप्रथम शुरूआत किसने की, जानें कैसे शुरू हुई रक्षाबंधन की परंपरा

6 दिन पहले — ऐसा माना जाता है कि इस उत्सव की शुरुआत सतयुग में हुई थी और मां लक्ष्मी ने राजा बलि को रक्षासूत्र बांधकर इस परंपरा का शुभारंभ किया. रक्षाबंधन की शुरुआत को लेकर

हिंदू धर्म में, रक्षा बंधन सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। इसमें बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी (पवित्र धागा) बांधती हैं, उनकी भलाई के लिए प्रार्थना करती हैं और बदले में, भाई अपनी बहनों की रक्षा करने की कसम खाते हैं। यह त्यौहार पारिवारिक समारोहों, दावतों और उपहारों के आदान-प्रदान द्वारा चिह्नित है।

 

हिन्दू धर्म में जिसे रक्षा बंधन भी कहा जाता है, पवित्र त्योहारों में से एक है जिसे भारत और अन्य देशों में भारतीयों द्वारा संजोया और मनाया जाता है। इस अगस्त में श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन, यह रंग-बिरंगा त्योहार वास्तव में भाई-बहनों के बीच प्यार, सुरक्षा और सम्मान की मजबूती और अस्थिरता का एक प्रतिष्ठित चित्रण है। यह रक्षाबंधन का दिन है, आइए इस विशेष अवसर के अर्थ और महत्व को जानने के लिए कुछ समय की कलाकृतियों और राखी के उपहारों के व्यापक महत्व और अथाह परंपरा को समझें।

रक्षा बंधन का अर्थ क्या है?

रक्षा बंधन, जिसे आमतौर पर राखी के नाम से जाना जाता है, एक प्रिय हिंदू त्योहार है जो भाई-बहनों के बीच के अनूठे बंधन का सम्मान करता है। “रक्षा बंधन” शब्द दो संस्कृत शब्दों में लिया गया है: “रक्षा,” जिसका अर्थ है सुरक्षा, और “बंधन,” जिसका अर्थ है छोड़ना। इसलिए, यह त्योहार “सुरक्षा की बाज़ार या बंधन” का प्रतीक है।

रक्षा बंधन के दौरान, बहनें अपने सैनिकों की कलाईयों पर राखी नामक एक पवित्र धागा जलाती हैं, जो उनके सहयोगियों के लिए उनके प्यार और प्रार्थना का प्रतीक है। बदले में, भाई जीवन भर अपनी मातृभूमि की रक्षा और समर्थन करने का वचन देते हैं। प्रेम और कर्तव्य का यह उत्सव केवल रक्त प्राप्त तक ही सीमित नहीं है; यह चतुर्थ भाई-बहनों, भाभी और भाभी, चाची (बुआ), पार्टनर (भतीजा) और अन्य करीबी रिश्तों के बीच भी मनाया जाता है। यह त्यौहार इन बंधनों की प्रतिष्ठित और सांस्कृतिक प्रकृति की सुंदरता से चित्रित है।

 

रक्षा बंधन का धार्मिक महत्व क्या है?

रक्षा बंधन, मुख्य रूप से एक हिंदू त्योहार है, जिसे धार्मिक मांगों को पार करके पूरे भारत में बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। जबकि इसकी उत्पत्ति हिंदू धर्म में निहित है, इसका सार प्रेम, सुरक्षा और पारिवारिक बंधन है जो विभिन्न धर्मों के लोगों के साथ प्रतिध्वनिित होता है। यहां बताया गया है कि भारत में विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच रक्षा बंधन को किस तरह देखा और मनाया जाता है:

 

हिन्दू धर्म

हिंदू धर्म में, रक्षा बंधन सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राख (पवित्र धागा) बांधती हैं, उनकी कीमत के लिए प्रार्थना करती हैं और बदले में, भाई अपने भाइयों की रक्षा करने की प्रार्थना करते हैं। यह उत्सव पारिवारिक समारोहों, दावतों और उपहारों के लिए प्रेरणा-स्रोत है।

 

जैन धर्म

जैन भी इसी तरह के उत्साह के साथ रक्षा बंधन बनाते हैं। उनके लिए, यह केवल भाई-बहनों के बीच नहीं बल्कि व्यापक समुदाय के अंदर भी सुरक्षा और प्रेम के बंधन का प्रतीक है। जैन अनुष्ठान करते हैं और राखी बांधते हैं, एक-दूसरे का समर्थन करते हैं और अपनी रक्षा करने की अपनी सीमा को मजबूत करते हैं।

 

सिख धर्म

सिख धर्म में रक्षा बंधन को “राखड़ी” या “राखड़ी” के रूप में जाना जाता है। सिख परिवार भाई-बहनों के बीच के बंधन का सम्मान करने के लिए फेमस हैं। रीति-रिवाज एक जैसे हैं, बहनें अपने कारीगरों की कलाई पर राखी बांधती हैं और भाई बहनों की रक्षा करने का अपना वचन देते हैं। यह उत्सव पारिवारिक पुनर्मिलन और उत्सव दोस्ती का अवसर है।

हालाँकि रक्षा बंधन एक पारंपरिक इस्लामी त्योहार नहीं है, लेकिन भारत में इस त्योहार में कई मुस्लिम भाग लेते हैं, खासकर उन क्षेत्रों में जहां हिंदू-मुस्लिम आबादी अधिक है। त्योहार की भावना – प्रेम, सुरक्षा और पारिवारिक संबंधों को मजबूत करना – धार्मिक विभाजन से लोगों को आकर्षित किया जाता है, जिससे यह सांस्कृतिक एकता का एक सुंदर उदाहरण बन जाता है।

 

ईसाई धर्म

भारत में ईसाई परिवार, विशेष रूप से बहु-धार्मिक समुदायों में रहने वाले, कभी-कभी रक्षा बंधन उत्सव में शामिल होते हैं। त्योहार के प्रेम और सुरक्षा के सार्वभौमिक विषय ईसाई कट्टरपंथियों के साथ प्रतिध्वनित होते हैं, और कुछ ईसाई बहनें और भाई राखी बांधने और प्राप्त करने की रस्मों में भाग लेते हैं।

रक्षा बंधन की उत्पत्ति और संबंध

रक्षा बंधन, जिसे अक्सर राखी के नाम से जाना जाता है, एक पारंपरिक हिंदू त्योहार है जिसकी गहरी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक जड़ें हैं। भाई-बहनों के बीच सुरक्षा के बंधन का जश्न मनाने वाले इस त्योहार की एक समृद्ध उत्पत्ति कथा है जो पौराणिक कथाओं, इतिहास और लोककथाओं में फोटोग्राफ हुई है। रक्षा बंधन से जुड़ी कुछ प्रमुख उत्पत्ति और किंवदंतियां इस प्रकार हैं:

 

पौराणिक उत्पत्ति

द्रौपदी और कृष्ण: रक्षा बंधन से जुड़ी सबसे लोकप्रिय किंवदंतियों में से एक भारतीय महाकाव्य महाभारत से द्रौपदी और भगवान कृष्ण की है। के अनुसार, द्रौपदी ने एक बार अपनी बारात का एक टुकड़ा और खून की प्रस्तुति से निषेध की कहानी के लिए कृष्ण की कलाई पर छोड़ दिया था। उनके भाव से प्रभावित होकर, कृष्ण ने अपनी रक्षा करने की पूरी ताकत लगायी और बाद में कौरव दरबार में अपने विनाश के समय इस वादे को पूरा किया।

इंद्र और इंद्राणी: वैदिक काल से एक और पौराणिक प्रसंग आता है। कहानी यह है कि देवताओं और राक्षसों के बीच युद्ध के दौरान देवताओं के राजा इंद्र हार गए थे। उनकी पत्नी इंद्राणी ने एक ताबीज (रक्षा) तैयार की और इंद्र की कलाई पर बांधा, ताकि वे युद्ध में अपनी रक्षा और सफलता प्राप्त कर सकें। ऐसा माना जाता है कि श्रावण की पूर्णिमा के दिन जाने वाला यह अनुष्ठान इस त्योहार की शुरुआत का कारण बनता है।

यम और यमुना: एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, मृत्यु के देवता यम की एक बहन का नाम यमुना था, जिनकी कलाई पर राख बांधी थी, जिससे उन्हें अमरता प्राप्त हुई थी। उसकी दोस्ती से बातचीत में यम ने घोषणा की कि जो भी अपने भाई बहन से राखी बांधेगा और उसे सुरक्षा प्रदान करेगा, उसे भी अमरता प्राप्त होगी।

ऐतिहासिक उत्पत्ति

रानी कर्णावती और सम्राट हुमायूं : मेवाड़ की रानी कर्णावती और मुगल सम्राट हुमायूं का एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक वृत्तांत है। बहादुर शाह के आक्रमण का सामना करते हुए, रानी कर्णावती ने हुमायूँ को कब्जे में ले लिया, जिसमें उनकी सुरक्षा छीन ली गई थी। हुमायूं, इस भाव से प्रभावित होकर, तुरंत अपने राज्य की रक्षा के लिए निकल पड़े, हालांकि उन्होंने बहुत देर से क्षेत्र पर आक्रमण किया। यह कहानी परिवार से जुड़ी सुरक्षा के बंधन को मजबूत करने में त्योहार की भूमिका को जोड़ती है।

अलेक्जेंडर ग्रेट और किंग पोरस: एक और ऐतिहासिक प्रसंग अलेक्जेंडर ग्रेट के भारत पर आक्रमण के समय से आता है। ऐसा कहा जाता है कि अलेक्जेंडर की पत्नी रोक्साना ने भारतीय राजा पोरस को एक पवित्र धागा मंगवाया था, जिसमें उसने युद्ध में अपने पति को नुकसान पहुंचाने के लिए कहा था। राखी के सम्मान में, पोरस ने अलेक्जेंडर को सीधे हमला करने के लिए नियुक्त किया।

सांस्कृतिक महत्व

रक्षा बंधन बौद्ध से विकसित होकर पूरे भारत में मनाया जाने वाला एक व्यापक सांस्कृतिक उत्सव बन गया है। अनुष्ठान के क्षेत्र के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन मुख्य विषय एक ही रहता है: एक बहन का अपने भाई की सहमति के लिए प्यार और प्रार्थना और एक भाई की अपनी बहन की रक्षा करने का संकल्प। इस त्यौहार को राखी बांधने, उपहारों के जोड़े-जोड़े और पारिवारिक समारोहों द्वारा मनाया जाता है, जो पारिवारिक बंधन और सामाजिक मेलजोल को मजबूत करता है।

 

राखी का सार

1. सुरक्षा का बंधन

“रक्षा” शब्द “सुरक्षा” शब्द से लिया गया है और “बंधन” शब्द का अर्थ “बंधन” से है। इसलिए रक्षा बंधन का अर्थ सुरक्षा है और ‘राखी’ के साथ सुरक्षा का सिद्धांत है कि सुरक्षा अच्छी तरह से सुरक्षित है। यह एक सिद्धांत है कि साल के इस दिन बहनें अपने उद्योगों की कलाकृतियों पर राखी के रूप में जाने वाले एक छोटा और पवित्र धागा बांधती हैं, ताकि वे अपने उद्योगों की सुरक्षा और कल्याण के लिए प्रार्थना कर सकें। बदले में, पुरुष प्रशिक्षकों का प्रतिनिधित्व करते हैं और हर समय अपनी जरूरतों की देखभाल करने का वचन देते हैं।

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2. सांस्कृतिक एवं एतिहासिक जड़ें

राखी का ऐतिहासिक महत्व और इसका वर्णन महाभारत और वाल्मिकी रामायण में किया गया है। इस दिन के साथ कई कहानियाँ जुड़ी हुई हैं और सभी कहानियों में से सबसे प्रसिद्ध चित्तौड़ की रानी कर्णावती और सम्राट हुमायूँ की कहानी है। बहादुर शाह से खतरे का सामना करते हुए, रानी कर्णावती ने सुरक्षा की मांग करते हुए हुमायूँ को राखी का सामान दिया। उनके व्यवहार से प्रभावित होकर, हुमायूँ ने राखी का सम्मान किया और उनकी सहायता की, जो उत्सव की रक्षा और एकता के सार को चित्रित करता है।

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