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ससुराल मे मन नहीं लगता तो सास से झगडकर मायके रहना कहां तक उचित?

ससुराल मे मन नहीं लगता तो सास से झगडकर मायके रहना कहां तक उचित

ससुराल में मन न लगना एक आम समस्या है, जिसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे नए माहौल का दबाव या आपसी तालमेल में कमी। इसे ठीक करने के लिए, पहले अपनी भावनाओं को समझें और फिर ससुराल वालों से सम्मानपूर्वक और खुले दिमाग से बात करें। बेहतर माहौल के लिए आप अपनी तरफ से भी प्रयास कर सकती हैं, जैसे परिवार के अन्य सदस्यों के साथ घुलना-मिलना, उनकी छोटी-छोटी बातों की तारीफ करना और उनके सांस्कृतिक मानदंडों को समझने की कोशिश करना।

 

सास से झगड़ा करके मायके में रह रही लड़की (पत्नी) के मामले में बता दें कि स्थिति को सुलझाने के लिए बातचीत से मध्यस्थता और कानूनी विकल्पों का सहारा लिया जा सकता है।

समाधान के तरीके है. पहला और सबसे अच्छा कदम पति-पत्नी, और दोनों परिवारों के बीच बैठकर शांति से बातचीत करना है। गुस्से के बजाय धैर्य और संवाद से हल निकालने की कोशिश करें।

यदि सीधी बातचीत से हल नहीं निकलता है, तो किसी सम्मानित परिवार के सदस्य, रिश्तेदार, या पेशेवर काउंसलर की मदद ली जा सकती है, जो दोनों पक्षों की बात सुनकर बीच का रास्ता निकालने में मदद करे। महिला संरक्षण अधिकारी/पुलिस की सहायता ले सकते हैं. यदि पत्नी को ससुराल में वास्तव में मानसिक या शारीरिक प्रताड़ना (घरेलू हिंसा) का सामना करना पड़ रहा है, तो वह स्थानीय पुलिस स्टेशन में या महिला हेल्पलाइन नंबर 1091 पर शिकायत दर्ज करा सकती है। घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत प्रोटेक्शन ऑफिसर भी मदद कर सकते हैं.

वैवाहिक अधिकारों की बहाली पति या पत्नी में से कोई भी, यदि दूसरा पक्ष बिना किसी वैध कारण के अलग रह रहा है, तो हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 9 के तहत फैमिली कोर्ट में याचिका दायर कर सकता है, ताकि उन्हें एक साथ रहने का आदेश मिल सके। यदि सभी प्रयास विफल हो जाते हैं और सुलह की कोई गुंजाइश नहीं बचती है, तो पति या पत्नी क्रूरता (मानसिक या शारीरिक) या परित्याग (बिना कारण घर छोड़ना) के आधार पर तलाक के लिए अर्जी दे सकते हैं। पत्नी को अपने माता-पिता के घर जाने और रहने का अधिकार है। हालांकि, वह पति को अपने माता-पिता से अलग रहने के लिए तब तक मजबूर नहीं कर सकती जब तक कि ससुराल में उसके साथ कोई क्रूरता या हिंसा न हो। यदि पत्नी किसी वैध कारण से अलग रह रही है (जैसे घरेलू हिंसा), तो वह पति से भरण-पोषण की मांग कर सकती है।यदि पति यह साबित कर दे कि पत्नी ने झूठे आरोप लगाए हैं और बिना किसी वैध कारण के घर छोड़ दिया है, तो यह कानूनी कार्यवाही में पति के पक्ष में जा सकता है और इसे मानसिक क्रूरता माना जा सकता है। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि मामले को शांति और आपसी समझ से सुलझाने का प्रयास किया जाए, क्योंकि कोर्ट-कचहरी का रास्ता लंबा और तनावपूर्ण हो सकता है।

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