कंपनी मालिक द्धारा श्रमिकों के साथ झूठ छल कपट पूर्ण व्यवहार करना अपराध
टेकचंद्र सनोडिया
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मुंबई। किसी भी भारी औधोगिक ईकाईयों मे कार्यरत अनुबंध ठेका श्रमिकों के साथ कंपनी मालिक द्धारा सरासर झूठ, छल कपट पूर्ण व्यवहार करना और श्रमिकमामले में (धोखाधड़ी) बेईमानी और भ्रष्टाचार करवाने के लिए बाध्य करना भारतीय दण्ड संहिता कानून के तहत एक गंभीर अपराध है। इसके लिए विभिन्न कानून की धारा के तहत सजा का प्रावधान है, जिसमें वित्तीय जुर्माना और जेल की सजा दोनों शामिल हैं। मुख्य कानूनी प्रावधान और सजाएं भी हो सकती है
भारतीय दंड संहिता, 1860 (Indian Penal Code – IPC): मालिक के खिलाफ धोखाधड़ी (IPC की धारा 415 से 420) और आपराधिक विश्वासघात (IPC की धारा 405 से 409) के तहत मामले दर्ज किए जा सकते हैं। इन धाराओं के तहत अपराध की गंभीरता के आधार पर जुर्माना और कारावास (कुछ मामलों में 7 साल तक या उससे अधिक) की सजा हो सकती है।
कंपनी अधिनियम, 2013 (Companies Act, 2013) के संबंध मे बतादें कि यदि धोखाधड़ी कंपनी के मामलों से संबंधित है, तो कंपनी अधिनियम की धारा 447 के तहत सजा का प्रावधान है।
गंभीर धोखाधड़ी (₹10 लाख या कंपनी के टर्नओवर का 1% से अधिक) भुगतानकरना पड सकता है. और कम से कम 6 महीने की जेल भी हो सकती है. जिसे अतिरिक्त 10 साल तक बढ़ाया जा सकता है, और जुर्माना जो धोखाधड़ी की राशि का 1 से 3 गुना तक हो सकता है।
छोटी धोखाधड़ी (₹10 लाख या टर्नओवर का 1% से कम): 5 साल तक की जेल, या ₹50 लाख तक का जुर्माना, या दोनों। यदि धोखाधड़ी में जनहित शामिल है, तो न्यूनतम कारावास 3 साल है।
श्रम कानून (Labour Laws):
अन्यायपूर्ण श्रम प्रथाएं (Unfair Labour Practices): यदि मालिक को अन्यायपूर्ण श्रम प्रथाओं (जैसे वेतन का भुगतान न करना, झूठे वादे करना) का दोषी पाया जाता है, तो उसे 6 महीने तक की जेल या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
मजदूरी भुगतान अधिनियम/वेतन संहिता (Payment of Wages Act/Code on Wages Act): न्यूनतम वेतन से कम भुगतान करने पर जुर्माना हो सकता है। बार-बार उल्लंघन करने पर 3 महीने तक की कैद और ₹1 लाख तक का जुर्माना हो सकता है।
श्रमिक क्या कर सकते हैं?
यदि कोई श्रमिक इस प्रकार के व्यवहार का सामना करता है, तो वह निम्नलिखित कदम उठा सकता है:
श्रम विभाग (Labour Department) में शिकायत दर्ज कराना।
स्थानीय पुलिस स्टेशन में IPC के तहत धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराना।औद्योगिक न्यायाधिकरण (Industrial Tribunal) या श्रम न्यायालय (Labour Court) में जाना।
कंपनी धोखाधड़ी के मामलों में कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (Ministry of Corporate Affairs) या गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (Serious Fraud Investigation Office – SFIO) से संपर्क किया जा सकता है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सजा मामले की विशिष्ट परिस्थितियों और भारतीय कानून के तहत स्थापित तथ्यों पर निर्भर करेगी. किसी कंपनी मालिक द्धारा अपने बचाव पक्ष मे श्रमिकों से कोरे स्टांप पेपर मे माफीनामा और मामला पीछे लेने के लिए लिखबा लेना जो श्रमिकों के हित के विरुद्ध है. दोषी कंपनी मालिक को कठोर आर्थिक दंड और सश्रम कारावास की सजा का पात्र है.
सहर्ष सूचनार्थ नोट्स:-
उपरोक्त समाचार सामान्य ज्ञान पर अधारित श्रम कानून की सुरक्षा व्यवस्था के हित मे प्रस्तुत है.इसमे किसी की भावनाओं को आहत करना हमारा उद्देश्य नहीं है.अपितु श्रमिक औधोगिक विवाद अधिनियम के तहत कानून की रक्षा करना हमारा दायित्व बनता है.
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