Breaking News

बवासीर Piles के रोगियों के लिए भी रामबाण है जिमीकंद की सब्जी? किसान भी खती से हो रहे मालामाल

बवासीर Piles के रोगियों के लिए भी रामबाण है जिमीकंद की सब्जी? किसान भी खती से हो रहे मालामाल

टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

देहरादून। जमीकंद-सूर्य की फसल के लिए न ही सिंचाई और न ही कोई खाद उर्वरक की आवश्यकता होती है. इसकी खेती छह महीने मे खत्म हो जाती है.

उत्तराखंड राज्य के मृदा और कृषि विभाग के शोध में एक ऐसी सब्जी पर सफलता मिली है जो न केवल खाने में स्वादिष्ट है बल्कि सेहत के लिए भी लाभकारी है. इस सब्जी की खेती कर किसान निःसंकोच रूप से मालामाल बन सकते हैं. सबसे ख़ास बात यह है कि इसकी खेती बड़ी आसानी से की जा सकती है. इस सब्जी को सूरन -जिमीकंद (गजेंद्र 01 प्रजाति) के नाम से जानते है. इस फसल को संपन्न करने के लिए न ही सिंचाई और न ही कोई खाद उर्वरक की आवश्यकता होती है. इसकी खेती छः महीने मे संपन्न हो जाती है.

 

 

कृषि विशेषज्ञ प्रो. अशोक कुमार सिंह बताते हैं कि यह गजेंद्र 01 प्रजाति का सूरन है जो खाने के लिए बहुत अच्छा है. इसकी खेती कर किसान मालामाल बन सकते हैं. बिना खाद उर्वरक इसकी खेती होती है. यह 6 महीने की खेती किसानों के लिए बड़ा ही लाभदायक सिद्ध होगी. शोध में बिना खाद उर्वरक यह सूरन लगभग साढे चार किलो तक का पाया गया है.

 

ये है इस खास प्रजाति के सूरन की उत्तराखंड खासियतकृषि एवं मृदा विभाग के विभागाध्यक्ष टी.डी कॉलेज बलिया के प्रो. अशोक कुमार सिंह ने कहा कि कृषि के तकनीकी और शिक्षा पर हम लोग 18 सालों से काम कर रहे हैं. परिसर में शोध के लिए जो सूरन की खेती की गई है. वह गजेंद्र 01 प्रजाति की है. यह खाने के लिए बहुत अच्छी प्रजाति है. इसको खाने से गले में किसी प्रकार की खुजली नहीं होती है. सूरन बवासीर के रोगियों के लिए भी रामबाण औषधि के रूप में जाना जाता है. 200 ग्राम के टुकड़े लगभग दो-दो फीट की दूरी पर 06 इंच के गहराई में लगाए जा सकते हैं.

 

किसानों के लिए लाभकारीयह 6 महीने की फसल है. इसमें जो हमने खेती में पाया वह एक सूरन की साइज लगभग साढे चार किलो तक है. इसमें किसी प्रकार का कोई खाद्य उर्वरक का प्रयोग भी नहीं किया गया. एक हेक्टेयर से लगभग 300 से 400 क्विंटल सूरन पैदा किया जा सकता है. इसमें बीज भी बहुत ज्यादा नहीं लगता है. एक हेक्टेयर के लिए लगभग 20 से 25 कुंतल बीज पर्याप्त होता है. यह जो अपने शोध में पाया गया कि बिना खाद उर्वरक के प्रयोग इसका उत्पादन बहुत अच्छा और प्राकृतिक हुआ है.

 

किसान बन सकते हैं इस फसल से मालामालयह कहने में जरा भी संकोच नहीं होगा कि इसकी खेती कर किसान भाई मालामाल बन सकते हैं. आज कल बजार में इसकी कीमत लगभग ₹40 प्रति किलो है यानी 1 बीघा में 100 क्विंटल सूरन का उत्पादन किया जा सकता है. जिसकी कीमत कम से कम 4 लाख रुपए तक होगी.

बाबासीर( Piles) से लेकर कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों का रामबाण इलाज है ये सब्जी!,

अगर आप सूरन नहीं खाते तो ये खबर आपके लिए अहम हो जाती है. लक्षण तो समझें पेट में हैं कींडे नष्ट हो जाते हैं।

आज हम आपके लिए लेकर आए हैं जिमीकंद की सब्जी के फायदे. इस सब्जी को सूरन भी कहा जाता है. इसकी खेती जमीन के भीतर होती है, जिसमें कई तरह के औषधीय तत्व रहते हैं. सूरन खाने में बेहद स्वादिष्ट होता है. सूरन का सेवन करने से कई गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है. नीचे पढ़िए सूरन खाने के फायदे….

 

क्या पाया जाता है सूरन में

 

सूरन- जिमीकंद में फाइबर, विटामिन सी, विटामिन बी6, विटामिन बी1 और फोलिक एसिड होता है. साथ ही पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, कैल्शियम और फॉस्फोरस भी पाया जाता है, जो बवासीर से लेकर कैंसर जैसी भयंकर बीमारियों से बचा सकता है.

 

कैंसर से बचाता है सूरन

 

सूरन कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से बचाता है. इसमें एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन सी और बीटा कैरोटीन पाया जाता है, जो कैंसर पैदा करने वाले फ्री रैडिकल्स से लड़ने में सहायक होता है.

 

ब्लड सर्कुलेशन ठीक करता है

 

सूरन ब्लड सर्कुलेशन ठीक करता है. इसमें मौजूद एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुणों के कारण यह गठिया और अस्थमा रोगियों के लिए भी अच्छा होता है. जिमीकंद में पाया जाने वाला कॉपर लाल रक्त कोशिकाओं को बढ़ाकर शरीर में ब्लड के फ्लो को दुरुस्त करता है और आयरन ब्लड सर्कुलेशन को ठीक करने में मदद भी करता है.

 

माग तेज करता है सूरन

 

सूरन दिमाग तेज करने में भी मददगार है. इसे खाने से मेमोरी पावर बढ़ती है. साथ ही यह अल्जाइमर रोग होने से भी बचाता है.

 

इन रोगों से रखता है दूर

 

बवासीर, सांस रोग, खांसी, आमवात और कृमिरोगों के उपचार में सूरन का उपयोग किया जाता है. जिन लोगों को लीवर या यकृत में समस्या है, उनके लिए डॉक्टर भी जिमीकंद खाने की सलाह देते हैं.

 

पाचन क्रिया भी रहती है ठीक

 

जिमीकंद में पोटैशियम मौजूद रहता है, जो पाचन क्रिया को दुरुस्त करने में मदद करता है. इसे नियमित खाने से कब्ज और कॉलेस्ट्रॉल की समस्या दूर हो जाती है।

निसंतानता की समस्या? कुल्वर्धक के साथ करे संतान प्राप्ति के सपने को साकार

 

ये लोग न करें सेवन

 

जिन लोगों को त्वचा-विकार, ह्रदयरोग, रक्तस्राव एवं कुष्ठ रोग है वो सूरन का सेवन न करें. इसे खाने से यदि मुंह आना, कंठदाह या खुजली जैसा हो तो नींबू अथवा इमली का सेवन करें.

 

कैसे बनाएं सूरन की सब्जी

 

सूरन की सब्जी बेहद स्वादिष्ट होती है. इसको बनाना भी आसान होता है. इसके लिए सबसे पहले सूरने को छीलकर उसके पतले-पतले टुकड़े कर लें. इसके बाद इसे कुकर में डालकर थोड़ी देर पका लें. इसके बाद कड़ाही में जैसे सब्जी बनाते हैं, उसी प्रकार मसाला डालकर इसे अन्य सब्जियों की तरह बना लें.

सहर्ष सूचनार्थ नोट्स:-

उपरोक्त लेख सामान्य ज्ञान की दृष्टीकोण से वनस्पति विज्ञान वनौषधीय और आयुर्वेदिक ग्रन्थों और आयुर्वेदाचार्यों के प्रवचन से संकलित किया गया है। उक्त वनौषधीय का उपयोग करने से पूर्व किसान आयुर्विज्ञान चिकित्सीय विशेषज्ञों की सलाह अनिवार्य है।

About विश्व भारत

Check Also

राज्यातील आरोग्य कर्मचाऱ्यांची लाखो रुपयांनी फसवणूक

आरोग्य विभागात स्थायी नोकरी मिळवून देण्याचे आमिष दाखवून जिल्ह्यातील शेकडो आरोग्य कर्मचाऱ्यांची फसवणूक करण्यात आल्याचा …

आंघोळ विवस्त्र होऊन करत असाल तर…! : कारण जाणून घ्या

हिंदू धर्मात अनेक रिती नियम सांगण्यात आलंय. त्यासोबत प्रत्येक समाजाच्या आपल्या पंरपरा आणि प्रथा असतात. …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *