मध्य प्रदेश सरकार द्धारा भीख मागने पर पाबंदी का बड़ा फैसला
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार ने भीख मागने पर पाबंदी लगा रही है। इस फैसले से जनता-जनार्दन में हर्ष की लहर है।
1 जनवरी 2025 से भीख मांगना पूरी तरह से बैन कर दिया जाएगा। इतना ही नहीं, अगर कोई व्यक्ति भीख मांगने वालों को पैसे देता है, तो उसके खिलाफ भी FIR दर्ज किया जा सकता है।
यह कदम गरीबी से लड़ने और सार्वजनिक स्थानों को बेहतर बनाने के लिए उठाया गया है, लेकिन इसके असर पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
कुछ चौंकाने वाले आंकड़े:
मध्य प्रदेश की जनसंख्या 70.7 मिलियन (2021 की जनगणना) है, और राज्य की गरीबी दर 32.6% है, जो कि राष्ट्रीय औसत 21.9% से अधिक है।देखा जाए तो अच्छे हट्टे कट्टे युवाओं को भीख मांगते देखा और पकडा जा सकता है।
भारत में करीब 4 लाख भिखारी हैं, जिनमें मध्य प्रदेश उन शीर्ष राज्यों में शामिल है जहां लोग अवसरों की कमी के कारण भीख मांगने पर मजबूर हैं। भीख मागने की मुख्य वजह यह है कि लोगों में मेहनत मजदूरी नहीं करने की मानसिकता घर कर ली है।
बाल भिखारी समस्या बेहद गंभीर है। NGO रिपोर्ट्स के मुताबिक, 60% से ज्यादा बच्चे संगठित भिखारियों के रैकेट के शिकार हैं। यह एक बड़ी प्रणालीगत समस्या को उजागर करता है।
पहले भी बैन के प्रयास (जैसे तेलंगाना और दिल्ली में) हुए हैं, लेकिन संसाधनों और सही योजना की कमी के कारण इनका असर कम रहा।
सबसे बड़ा सवाल:
आगे क्या होगा?
भीख पर बैन लगाने से सार्वजनिक स्थान सुंदर हो सकते हैं और शोषण रुक सकता है