मीट बैन पर महाराष्ट्र सरकार की दिलचस्पी : CMफडणवीस का बयान
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
मुंबई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राज्य में 15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस पर मीट बैन को गैर जरूरी करार दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि सरकार लोगों के खाने-पीने की आजादी को नियंत्रित करने में कोई रुचि नहीं रखती है। कल्याण-डोंबिवली महानगरपालिका के आदेश पर महाराष्ट्र में मीट बैन का मुद्दा राजनीतिक हो गया था।
मुंबई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने साफ किया है कि सरकार लोगों लोगों के खाने-पीने के विकल्पों को नियंत्रित करने में रुचि नहीं रखती है। मुख्यमंत्री स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर कुछ शहरों में कसाईखानों और मांस की दुकानों के बंद होने को लेकर चल रही विवादास्पद बहस को अनावश्यक करार दिया है। सीएम फडणवीस ने स्वतंत्रता दिवस समेत कुछ अवसरों पर कसाईखाने बंद करने की अनुमति देने वाले 37 साल पुराने जीआर की मौजूदगी से भी अनभिज्ञता जाहिर की। सीएम ने कहा कि ऐसे फैसले नगर निगम खुद लेते हैं। सीएम ने कहा मीट बैन के बारे में उन्हें मीडिया से पता चला। अधिकारियों ने मुझे पिछली उद्धव ठाकरे सरकार के आदेश की कॉपी भी भेजी है। उसे जल्द मीडिया के सामने दिखाऊंगा। महाराष्ट्र के पांच नगर निगमों की तरफ से 15 अगस्त को मीट पर बैन का आदेश जारी किया जा चुका है। इनमें कल्याण डोंबिवली, नागपुर, छत्रपति संभाजीनगर, मालेगांव और नासिक नगर निगम शामिल हैं।
मीट बैन पर सीएम फडणवीस का दो टूक बयान
नपुंसक होने की बात बकवास
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि राज्य सरकार इस बात में दिलचस्पी नहीं रखती कि कौन क्या खाता है। हमारे सामने कई अन्य महत्वपूर्ण मुद्दे हैं, हालांकि सीएम ने उस बयान की निंदा की जिसमें कुछ लोगों ने यहां तक कह दिया कि शाकाहारी लोग नपुंसक होते हैं। फडणवीस ने कहा कि ऐसी बकवास बातें तुरंत बंद होनी चाहिए। मुंबई मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र (MMR) में आने वाले कल्याण-डोंबिवली महानगर पालिका ने सबसे पहले 15 अगस्त को मीट बैन के संबंध में आदेश जारी किया था। इसके बाद छत्रपति संभाजीनगर (औरंगाबाद), नागपुर और मालेगांव में यह आदेश सामने आया था। इस आदेश का एमवीए के घटना दलों ने तीखा विरोध किया था। उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने भी इस गलत करार दिया था।
संजय राउत ने जताई थी नाराजगी
महराष्ट्र बीजेपी के मुख्य प्रवक्ता केशव उपाध्ये को कहना है कि यह आदेश सबसे पहले तब लागू हुआ था जब राज्य के मुख्यमंत्री शरद पवार थे। स्वतंत्रता दिवस पर मांस और मछली की दुकानों को बंद रखने के मुद्दे पर संजय राउत ने महायुति सरकार को कड़े शब्दों में घेरा था। उन्होंने कहा था कि देवेंद्र फडणवीस को यह दिखावा बंद करना चाहिए। छत्रपति शिवाजी महाराज का महाराष्ट्र मर्द मराठों का महाराष्ट्र है। क्या इस राज्य को शाकाहारी राज्य घोषित कर दिया गया है? किसके दबाव में ये सब हो रहा है? यह दिन शौर्य का दिन है, हमें स्वतंत्रता मिली है और वह स्वतंत्रता नरेंद्र मोदी, अमित शाह या देवेंद्र फडणवीस की वजह से नहीं मिली है। शिवसेना (उद्धव गुट) के सांसद संजय राउत ने इस मसले पर बड़ा बयान देते हुए कहा कि आप महाराष्ट्र को नपुंसक बना रहे हैं। दाल-चावल, श्रीखंड-पूरी खाकर युद्ध नहीं लड़ा जाता है। उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने कहा है कि खाने पीने की चीजों पर पहरेदारी उचित नहीं है. इस तरह के प्रतिबंध आमतौर पर आषाढ़ी एकादशी, महाशिवरात्रि, महावीर जयंती आदि जैसे मौकों पर धार्मिक संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए लगाए जाते हैं. महाराष्ट्र में लोग शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह का भोजन करते हैं।