जनता का ध्यान भटकाने भगवान विष्णु पर टिप्पणी व CJI पर जूता काण्ड
टेकचंद्र शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
नई दिल्ली। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी का कार्यकाल समाप्त होने और नया चेहरा PM पद पर आरुढ करने की उलझन तथा कांग्रेस नेता राहुल गांधी की मोदी सरकार के खिलाफ वोटचोर की टिप्पणी को लेकर देश भर में माहौल गर्म चल रहा था.वहीं एन वक्त पर खजुराहो मंदिर मे भगवान विष्णू की मूर्ती पर CJI गवई के मुंह से आपत्तिजनक टिप्पणी करवाना और वरिष्ठ वकील किशोर के हाथों मुख्य न्यायाधीश गवई पर जूता फेकना वातावरण परिवर्तित हो गया.दरअसल मे देश की सत्ता पर PM मोदी ही सत्ता पर काबिज रहें इसके लिए यह एक सुनियोजित साजिश के तहत मूर्ती का अपमान और जूता काण्ड करवाया गया प्रतीत हो रहा है.
सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई पर जूता फेंकने के प्रयास की एक घटना हुई है, जिसने जनता का ध्यान खींचा है। यह घटना 6 अक्टूबर 2025 को हुई थी, जब वकील राकेश किशोर ने अदालत में यह हरकत की थी। इस घटना से जुड़े कुछ प्रमुख तथ्य और विवाद नीचे दिए गए हैं. जूता फेंकने वाले वकील राकेश किशोर ने दावा किया कि उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वह सीजेआई की एक टिप्पणी से नाराज़ थे, जिसमें उन्होंने एक धार्मिक मामले के संबंध में याचिकाकर्ता से भगवान से प्रार्थना करने के लिए कहा था। किशोर ने आरोप लगाया कि सीजेआई की टिप्पणी “सनातन धर्म” का अपमान थी और कहा, “सनातन का अपमान, नहीं सहेंगे हिंदुस्तान”।
न्यायालय की प्रतिक्रिया: सीजेआई गवई ने इस घटना पर कोई बड़ी प्रतिक्रिया नहीं दी और इसे एक “भूला हुआ अध्याय” बताया। उन्होंने कहा कि उनके लिए यह मामला अब खत्म हो गया है और उन्होंने इस घटना को तूल न देने की बात कही। इस घटना के बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने आरोपी वकील राकेश किशोर का लाइसेंस रद्द कर दिया। इस घटना के बाद कुछ राजनीतिक नेताओं ने इसे एक बड़े विवाद का हिस्सा बताया जा रहा है. कांग्रेस अध्यक्ष. मल्लिकार्जुन खडगे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की घटना और सीजेआई के अपमान की सभी को निंदा करनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि जिन लोगों ने मनुस्मृति और सनातन धर्म के नाम पर दूसरों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया, उन्हें शिक्षित किया जाना चाहिए। आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया कि यह घटना बीजेपी की चाल है और वे न्यायपालिका को खत्म करना चाहते हैं। ओवैसी ने पुलिस द्वारा कार्रवाई न होने पर सवाल उठाए है, जबकि रामदास अठावले ने इसे दलित सीजेआई पर हमला बताते हुए एससी/एसटी एक्ट के तहत कार्रवाई की मांग की है। इस घटना के बाद जनता और सोशल मीडिया पर इस पर काफी बहस हुई है, जिसमें कुछ लोगों ने इसे असंतोष व्यक्त करने का एक तरीका बताया, जबकि अधिकांश ने इसे न्यायपालिका का अपमान मानते हुए इसकी निंदा की है।
यह घटना निश्चित रूप से एक बड़ा मुद्दा बन गई है और इसके पीछे के मकसद को लेकर अलग-अलग राजनीतिक और सामाजिक तबकों में अलग-अलग राय है। कुछ लोग इसे जनता का ध्यान भटकाने का एक राजनीतिक हथकंडा भी मान रहे हैं, लेकिन इसका कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है। फिलहाल, यह एक विवादित मुद्दा बना हुआ है.
दरअसल में कांग्रेस राहुल गांधी द्धारा केंद्र और महाराष्ट्र की सत्तारूढ के खिलाफ वोटचोरी का माहौल को समाप्त करना और केंद्रीय सरकार की सत्ता मे नया चेहरा आरुढ को लेकर सत्तारूढ राजनैतिक दल मे भारी खींचतान और नोक-झोंक चल रही थी?इन पेचीदा मुद्धों पर विराम लगाने और देश की आम जनता-जनार्दन का ध्यान परिवर्तित करने के लिए यह ड्रामेबाजी की गई है?