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(भाग:220)संसार में जन्‍म लेने के साथ ही समस्त प्राणियों की मौत का समय भी निश्चित हो जाता है

भाग:220)संसार में जन्‍म लेने के साथ ही समस्त प्राणियों की मौत का समय भी निश्चित हो जाता है

टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

गरुण पुराण के अनुसार जब आपको यह महसूस हो जाए कि आपकी जिंदगी अब कुछ ही पलों की या कुछ ही साल या महिनों की है तो उनका वह अनुभव अदभूत होता है। लोगों को यह जानने की जिज्ञासा कम नहीं होती कि आखिर मृत्‍यु के बाद क्‍या होता है।
जीवन का शाश्वत सत्य है मृत्यु ही है जन्म लेने के साथ ही व्यक्ति के मौत का समय भी तय हो जाता है। मौत से हर कोई डरता है लेकिन मौत का अनुभव व्यक्ति को जीवन की सच्चाई बता जाता है। लोगों को यह जानने की जिज्ञासा कम नहीं होती कि आखिर मृत्यु के बाद क्या होता है। ऐसे लोग भी हुए हैं जिन्हें मृत्यु का पहले से ही आभास हो गया होता है। यहां आपको ऐसे आभासों और अनुभवों के बारे में बताने जा रहे हैं जो कि मृत्यु के तुरंत पहले महसूस किए जाते हैं। जब आपको यह महसूस हो जाए कि आपकी जिंदगी अब कुछ ही पलों की है तो उनका वह अनुभव अदभूत होता है। क्योंकि चराचर जगत के सभी जीवधारी प्राणियों होनहार जडजीव चेतन्य जीव और अचेतन जीव धारियों के पीछे मृत्यू बडी तेजी से पीछा कर रही है।

मृत्यु पूर्व आभासों के बारे में अलग-अलग तरह से उल्लेख मिलते है। बहुत लोग मृत्युपूर्व आभासों को नहीं मानते। लेकिन मेडीकल साइंस ने इस बात पर मुहर लगा दी है कि मरने के कुछ पल पहले इंसान कुछ सोचता है या य नहीं।

वैज्ञानिकों द्वारा किए सर्वे के मुताबिक मौत के पास पहुंचकर जो अनुभव होते हैं वे एक व्यक्ति का भौतिक दुनिया से जुड़ाव तो कम करते ही हैं साथ ही उसे उस रास्ते पर चलने के लिए भी प्रेरित करते हैं जो आत्मा को गंन्तव्य स्थान तक पहुंचाता है।

मौत के करीब पहुंच से व्यक्ति शरीर के साथ आत्मा के मरने का भी अनुभव करते है। कई बार ऐसी घटनाएं घटित होती हैं जब मौत के मुंह में पहुंचने के बाद व्यक्ति को जीवनदान मिल जाता है। आपने ऐसे भी कई किस्से सुने होंगे जब अंतिम संस्कार के समय ही व्यक्ति दोबारा जीवित हो उठता है। इन्हीं लोगों के साक्षात्कार के आधार पर प्राप्त परिणामों को वैज्ञानिकों ने अपने शोध की स्थापनाएं बनाया है।

आत्मा को उड़ते देखा

ऐसे कुछ किस्सों में से एक है अमेरिका में रहने वाली क महिला जोकि वेंटिलेटर पर अपनी आखिरी सांसे ले रही थी। इस महिला की आंखों की रोशनी बहुत कमजोर थी, बावजूद इसके उसने महसूस किया कि अपने पीछे रखी मशीन पर लिखे अंक देख पा रही है। यही नहीं उसने खुद को ऊपर की ओर उड़ता हुआ देखा। कुछ देर बाद उसकी आत्मा ने फिर से शरीर में प्रवेश कर लिया। डॉक्टरों के अनुसार वह किसी भी क्षण मर सकती थी लेकिन मृत्यु के समीप पहुंचकर वापस आ गई। इसे विज्ञान की भाषा में आउट ऑफ बॉडी एक्सपीरियेंस कहा जाता है।

मायने रखता है माहौल

वैज्ञानिकों के अनुसार व्यक्ति जिस वातावरण में पला-बढ़ा है, उसका धर्म और धार्मिक मान्यताएं, उसके मौत के निकट पहुंचकर होने वाले अनुभवों को बयां करते है। एक वयस्क जब नीयर डेथ एक्सपीरियंस का अनुभव करता है तो इस अनुभव में उसका मौत का डर, सामाजिक और धार्मिक वातावरण बहुत मायने रखता है। लेकिन जब एक छोटा बच्चा इन अनुभवों से गुजरता है तो उसे कैसा महसूस होता है, क्योंकि उसे ना तो मौत का अर्थ पता होता है और ना ही उसे किसी प्रकार से धर्म का कोई जुड़ाव होता है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि पांच से सात साल तक के बच्चे मृत्यु को नहीं समझते और ना ही उन्हें पूर्वजन्म की अवधारणा से कुछ लेना-देना होता है इसलिए उनके भीतर किसी प्रकार का भय नहीं होता। उन्हें भी कुछ ऐसे ही अनुभव होते हैं जो किसी वयस्क को हो सकते हैं।

स्वर्ग-नरक का फेर

हर धर्म में आत्मा के दो गंन्तव्य स्थानों का जिक्र किया गया है, एक नरक और दूसरा स्वर्ग। ऐसा कहा जाता है कि जीवन में अच्छे कर्म करने वाले लोगों की आत्माएं स्वर्ग की ओर प्रस्थान करती हैं वहीं बुरे कर्म करने वाली आत्माएं नर्क जाती हैं। व्यक्ति बहुत अच्छे से जानता है कि जीवनभर उसके कर्म अच्छे थे या बुरे। शायद उससे बेहतर कोई और यह बात जान भी नहीं सकता, इसलिए जब मौत उसके निकट होती है तब उसकी आत्मा अपने कर्मों के आधार पर ही स्वर्ग या नरक जाने की यात्रा शुरू कर देती है।

ऐसी भी मान्यताएं

मौरो के अनुसार हिंदुओं में अजीब मान्यता है। वे स्वर्ग को एक विशाल नौकरशाही के तौर पर देखते हैं। भैंसे को कर्मों का हिसाब रखने वाले मृत्यु देव यमराज की सवारी माना जाता है इसलिए हिन्दू धर्म से जुड़े ऐसे लोग जिन्होंने मौत को बहुत नजदीकी से देखा है, का कहना है कि वह एक भैंसे के ऊपर बैठकर अपनी अंतिम यात्रा कर रहे थे। बौद्ध धर्म से जुड़े लोग, जिन्होंने नीयर डेथ एक्सपीरियंस किया है उनके अनुसार उनकी अंतिम यात्रा काले पहाड़ों, गहरे समुद्र और आसपास रंगीन फूलों के रास्ते से गुजरती है। उन्होंने इस दौरान महात्मा बुद्ध को अपने साथ देखा। वहीं हिन्दू धर्म के लोगों ने रास्ता तो यही बताया लेकिन उन्होंने बुद्ध को नहीं बल्कि कृष्ण को देखा था।

जीवित व्यक्तियों के मृत्यु के निकट होने जैसे आभास को समझने के बाद यह कहा जा सकता है कि जीवित अवस्था में आपके विचार, विश्वास, मरने के बाद आपकी यात्रा को बहुत प्रभावित करते हैं और इन सभी में धर्म भी एक बड़ा रोल निभाता

इतना ही नहीं मरने से पहले ही निर्धारित हो चुका है सबका अगला जन्म, गरुड़ पुराण से जानें किस रूप में होगा पुनर्जन्म के बारे में भी अहसास होता है।
मृत्यु के बाद अगला जन्म किसी न किसी रूप में होता है. आपका अगला जन्म किस रूप में होना है, यह पहले ही निर्धारित हो चुका है और इसका निर्धारण आपने स्वयं अपने कर्मों के आधार पर किया है.
धर्म शास्त्रों के अनुसार, इस संसार में मनुष्य योनि में हमारा जन्म हमारे कर्मों के आधार पर ही हुआ है और हमारा अगला जन्म भी कर्मों के आधार पर ही होगा. गरुड़ पुराण के अनुसार व्यक्ति के अच्छे या बुरे कर्मों के आधार पर उसका अगला जन्म होता है.

मृत्यु को लेकर गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि जन्म और मृत्यु जीवन का ऐसा चक्र है, जिससे हर किसी को गुजरना पड़ता है. इसलिए संसार में जिसने जन्म लिया है, उसकी मृत्यु भी निश्चित है और यह अटल सत्य है.

गीता में यह भी कहा गया है कि मृत्यु के बाद केवल शरीर नष्ट होता है आत्मा नहीं. आत्मा पुराने शरीर को छोड़कर नए शरीर को धारण करती है. गरुड़ पुराण में कुल 84 लाख योनियों के बारे में बताया गया है. इसमें मनुष्य योनि को सबसे श्रेष्ठ योनि माना गया है. गरुड़ पुराण में कर्मों के आधार पर जन्म लेने वाले योनि के बारे में बताया गया है. यानी मृत्यु के बाद आपका जन्म किस योनि में होगा, यह पहले से ही निर्धारित है. क्योंकि आप अपने जीवन में जिस तरह का कर्म करेंगे मृत्यु पश्चात उसी के आधार पर आपका अगला जन्म भी होगा. जानते हैं ऐसे पांच कर्मों के बारे में जिससे अगला जन्म निर्धारित होता है.

धर्म का अपमान करने वाले: जो व्यक्ति धर्म, वेद, पुराण जैसे धार्मिक ग्रथों का अपमान करता है. ईश्वर के प्रति श्रद्धाभाव नहीं रखता और पूजा-पाठ नहीं करता है, वह नास्तिक कहलाता है. गरुड़ पुराण के अनुसार ऐसे लोगों का अगला जन्म श्रान यानी कुत्ते के रूप में होता है.
मित्र के साथ छल करने वाले: दुनिया में मित्रता का रिश्ता सबसे खूबसूरत होता है. लेकिन कुछ लोग मित्र के रूप में शत्रु बने रहते हैं. गरुड़ पुराण के अनुसार ऐसे लोग जो मित्रों के साथ शत्रु बनकर छल करते हैं उनका अगला जन्म गिद्ध के रूप में होता है.
लोगों को मूर्ख बनाने वाले: कुछ लोग चालाक और होशियार होते हैं. अपनी चालाकी से जो लोग दूसरों को मुर्ख बनाकर उनका लाभ उठा लेते हैं या काम निकलवा लेते हैं. ऐसे लोगों को मरने के बाद नरक में स्थान मिलता है. साथ ही ऐसे लोग अगले जन्म में उल्लू के रूप में जन्म लेते हैं.
गाली-गलौच करने वाले: कहा जाता है कि कंठ में मां सरस्वती वास करती हैं. इसलिए जिन लोगों की वाणी में मधुरता नहीं होती और जो दूसरों को बुरा-भला कहते हैं या हमेशा गाली-गलौच करते हैं उनका अगल जन्म बकरे के रूप में होता

क्या आत्मीय जो के सपने में आते हैं स्वर्गीय

जानिए क्या मृत्यु के बाद संबंध समाप्त हो जाते हैं?
जिसको कभी आपने देखा नहीं, सुना नहीं उससे आप जीते जी सारी उम्र संबंध बनाने का प्रयत्न करते रहे (परमात्मा) और जिसके साथ आपने एक उम्र गुजारी उसके मृत्यु पश्चात आप उससे कैसे संबंध समाप्त कर सकते हैं l

ये मृत्यु क्या है ?

क्या मृत्यु के बाद भी कोई और जीवन होता है?
मृत्यु के बाद क्या कोई जीवन होता है? क्या हमारा कोई अपना मृत्यु के बाद भी हमारी रक्षा करता है? मैं खुद इस तरह के अंधविश्वास नही मानता पर
कभी-कभी ऐसे प्रत्यक्ष लोग मिलते हैं कि समझ कम पड़ जाती है। एक बार सपने मे पत्नि कहती है कि मै अभी अपने “मायके” के दौरे पर हूँ। इस बार मध्यप्रदेश की “ग्रीष्मकालीन राजधानी” पचमढ़ी घूमने का तय हुआ।

खंडवा में लगभग 20 साल पहले हमारे एक पड़ोसी थे, वो अंकल मेरे पापा को बड़ा भाई मानते थे जबकि आंटी मेरी मम्मी को दीदी बोलती थी। बहुत अच्छी दोस्ती थी।

अंकल bsnl में अच्छे पद पर थे, कुछ सालों बाद उनका ट्रांसफर पास ही एक शहर होशंगाबाद हो गया। अंकल बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे, जबकि आंटी ग्रेजुएट तो थी पर गृहिणी थी। पति बहुत एक्टिव हो कई गृहिणियां पिछड़ी रह जाती हैं, इधर ऐसा ही था।उनको दुनियादारी की कोई समझ न थी। प्रेम विवाह था तो आंटी को ससुराल में कोई पसंद नही करता था,सास को तो विशेष समस्या थी।

दुर्भाग्य से होशंगाबाद आने के एक साल में ही अंकल की सड़क दुर्घटना हो गई। सिर पर चोट लगी तो एक महीने बेहोश icu में रहे पर बच न सके। जमा पूंजी उनके इलाज में लग गई, आंटी को ससुराल से कोई भी मदद नही मिली। मायके वाले भी सीधे साधे थे।

दुर्घटना थी तो अंकल किसी को कुछ बता भी न पाए, lic पालिसी या बाकी निवेश का भी आंटी को कुछ पता नही था न ही उनको ये सब समझ थी। 35 साल की उम्र में विधवा होने का दुख था, आगे का जीवन अंधकार पूर्ण दिख रहा था। ससुराल वालों ने इस समय जो खराब व्यवहार किया वो तो अलग उत्तर में लिखने लायक है।

Bsnl में पति की जगह अनुकंपा नियुक्ति की बात चली तो उसके लिए कुछ कागज़ चाहिए थे, आंटी को कुछ पता नही था, न ही उनको पूरा घर छानने के बाद भी वो कागज़ मिले।

ऐसी ही भयंकर निराशा की स्थिति में एक रात वो बहुत रोते हुए सोई। रात को अचानक उनको लगा कि अंकल सामने खड़े हैं ,अंकल ने कहा कि अपनी अलमारी में सबसे नीचे एक छुपा हुआ ड्रावर है( पुरानी लोहे/स्टील की अलमारियों में इसको तलघर बोलते थे)। उसमे मेरी एक फ़ाइल है उसमें सब कागज़ मिल जाएंगे।

आंटी ने घड़ी देखी तो रात के दो बजे थे, उन्होंने तुरंत अलमारी के नीचे वाले तलघर में देखा तो वाकई कपड़े में लिपटी एक फ़ाइल मिली। उसमे lic पालिसी, कुछ दूसरे निवेश और उनकी नौकरी से जुड़े सब कागज मिले। पति की कमी तो कभी पूरी नही हो सकती पर आर्थिक चिंता तो दूर हुई।उनकी नौकरी में लग गई।

आंटी मम्मी से सम्पर्क में रही,पिछले साल मम्मी और मेरी धर्मपत्नी उनसे मिलने भी गए थे। उनको अभी भी मम्मी से बहुत प्रेम है।उन्होंने इस साल आग्रह से हमको अपने घर होशंगाबाद बुलाया और साथ पचमढ़ी घूमने भी चली । सालों बाद मिलना हुआ, तब उन्होंने ये सब बातें बताई।

उनको अंकल दिखे इस बात को सपना बता सकते हैं, subconcious mind की अगड़म-बगड़म बातें बता सकते हैं या ये मान सकते हैं कि उनको अत्यधिक परेशान देखकर वाकई वो मदद करने आये ।उनको और भी कई बार अंकल की उपस्थिति महसूस हुई थी।मेरी सास की मृत्यु के कई साल बाद तक मेरी पत्नी भी बोलती रही कि उसको कभी-कभी ऐसा लगता है कि मम्मी आस-पास ही है?
गरुण पुराण के अनुसार जिस व्यक्ति ने अपने जीवन काल में धन और सत्ता पाने के लिए झूठ छल कपट विश्वासघात चोरी चुगलखोरी जलनखोरी बेईमानी और भ्रष्टाचार का सहारा लिया है उसकी अचानक किसी भी क्षण जनमानस की अभिषाप की ज्वाला भडकने की वजह से खतरनाक अकाल मृत्यू सुनिश्चित है।

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