संसार में बेदाग,निष्कलंक, निष्पाप जीवन यापन से नव युवा महिलाएं-पुरुषगण निसर्ग के लिए वरदान
टेकचंद्र शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
मानव समाज की होनहार नव युवा पीढी जिन महिलाएं एवं पुरुषगणों का जीवन काल बेदाग,निष्कलंक और निष्पाप रहा है ऐसे भगवतप्रिय गण धरती माता के लिए वरदान से कम नहीं हैं।निष्कलंक और निष्पाप किशोरी युवक युवतियों पर कभी भी किसी भी प्रकार की अनिष्ट महापाप ग्रह नजर दोष या भविष्य घातक व्याधिदोष आक्रमण कर ही नहीं सकता है?
समाज में जिसका जीवन काल बेदाग निष्कलंक और निष्पाप रहा हैं उन महिलाओं की पंहचान यह है कि सिर पर लंबे,घने और काले बाल,उठे हुए वक्षस्थल(ब्रेस्ट) ,ललाट और सुंदर ग्रीवा के कारण उनका ठीक समय पर मनचाहा जीवन साथी के संग विवाह होना तय है? इसके अलावा साल पश्चात ऐसे ग्रहस्तों मे बालक-बालिकाओं की किलकारियां गूंजने लगती हैं? यह पहचान है बेदाग, निष्कलंक और निष्पाप महिला-पुरुषो के वर्तमान और भविष्य काल की व्याख्या के बारे मे ज्ञातव्य है कि यदि जिनका जीवन काल दोषयुक्त और अनिष्ट महापाप ग्रह व्याधिदोष से लिप्त है?
उनमे कार्मिक अधिभौतिक और अधिदैविक प्रकोप के चलते मांगलिक दोष, कालसर्प दोष तथा अनिष्ट महापाप ग्रह व्याधिदोष का आक्रामक हुआ है? यह सब जीवन काल बेदाग, निष्कलंक और निष्पाप नहीं रहने का मुख्य कारण माना गया है। इसीलिए कृपया
“अपना भरसक प्रयास करो कि अंततः वह तुम्हें बेदाग, निष्कलंक, निष्पाप और शांति से मिलने के लिए क्या करना चाहिए?
बेदाग निष्कलंक और निष्पाप शांति क्या है?
जो निष्कलंक और निष्पाप नहीं हैं स्वर्ग में आत्मिक प्राणियों का वर्णन यह कहते हुए कहा गया है:
जिनका जीवन काल का संभावित मूल अर्थ है बेदाग निष्कलंक और निष्पाप”उज्ज्वल या पवित्र स्वच्छ होना” है। हालाँकि, धर्मग्रंथों में इन शब्दों का प्रयोग मुख्य रूप से सदाचार नैतिक या आध्यात्मिक अर्थ में किया जाता है। शास्त्रों में विशिष्टता, या पवित्रीकरण का विचार बताती है। यूनानी धर्मग्रंथों में भी, “पवित्र” और “पवित्रता” शब्द ईश्वर से अलगाव को दर्शाते हैं। इनका उपयोग भगवान के भक्तों के गुण के रूप में पवित्रता के साथ-साथ किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत आचरण में शुद्धता या पूर्णता को संदर्भित करने के लिए भी किया जाता है। अतः पवित्रता का अर्थ है स्वच्छता, पवित्रता और पवित्रता है क्योकि परमेश्वर, निष्कलंक निष्पाप और बेदाग सर्वशक्तिमान है”? यह परमेश्वर को पवित्रता, अतिशयोक्तिपूर्ण स्तर की शुद्धता बताता है! इसलिए, वह निष्कलंक और निष्पाप युवा किशोरियों को “परम पवित्रीकरण और शुद्ध उपासना का पात्र बनाता है। तदनुसार,परमपिता परमेश्वर ने यह कहने का निर्देश दिया: “तुम अपने आपको निष्कलंक और निष्पाप और पवित्र साबित करो, क्योंकि मैं तुम्हारा परमपिता परमेश्वर पवित्र हूं। यहां अपनी गलतियों को छुपाने की आवश्यकता नहीं है? क्योंकि जाने अनजाने में हूई गलतियों और प्रदूषित और वर्जित कर्मों को छुपाया गया तो और भी अनिष्ट महापाप ग्रह व्याधिदोष का प्रकोप बढ सकता है।
जो कोई भी अशुद्धता( पथभ्रष्टता)को स्वीकार्य करके विशुद्ध सेवा करने का दावा करता है, वह उसकी दृष्टि में घृणित नहीं है, क्योंकि केवल ईश्वरीय बुद्धि और पवित्रता से ही स्वीकार्य रूप से उसकी पूजा-अर्चना और अनिष्ट महापाप ग्रह व्याधिदोष की विधि-विधान से शांति करवाने के लिए कृत संकल्पित रहना चाहिए है।
धर्म शास्त्रों मे परमपिता परमेश्वर ने भविष्यवाणी की कि वह अपने निर्वासित लोगों की शुद्धता के लिए पवित्रतम अनुष्ठान के लिए लौटने का मार्ग साफ़ कर दिया है, तो उसने कहा: “यह पवित्रता और शुद्धता का मार्ग है। अशुद्ध व्यक्ति उस पर से होकर नहीं गुजरेगा।”
उन्होंने पवित्र उद्देश्यों से ऐसा किया, ताकि “परम पवित्र” और शुद्धीकरण की सच्ची पूजा बहाल हो सकती है।इसलिए शास्त्रों की आज्ञा मानकर पवित्र साबित हो सकते है। और उसके दृष्टिकोण से पवित्र, निष्कलंक निष्पाप और बेदाग बने रहने में असफल होंगे।
ज्ञात हो कि जिन मौकापरस्त और झूठे लोगों के गलत संगत के बहकावे मे आकर आपकी और आयर्न पावन नष्ट हुआ है। उसे धर्मानुरागी आयुर्विज्ञान विशेषज्ञ ज्योतिष विज्ञान विशेषज्ञ के सानिध्य में रहकर अपनी खोई हूई ऊर्जावान शक्ति और आयर्न पावर पुन: प्राप्त कर सकते हैं। जो गलत मार्ग अपनाया था? उसे सर्वथा त्याग कर देना चाहिए। विशेषज्ञों के साथ जुड़ते समय ‘कलंक और दोष’ जो भ्रामक दोस्तों से सतर्क रहना चाहिए और किसी भी झूठे और कलंकित विषयों को दृढ़ता से त्याग कर देना चाहिए