निष्ठापूर्वक महामृत्युंजय मंत्र जाप से अनिष्ठ व्याधिदोष,नवग्रह शांति और शुद्धीकरण अनुष्ठान से सफलता का योग
टेकचंद्र शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
संसार भर में गलत राह में भटकने और नैसर्गिक नियम विरुद्ध आचरण और कार्यप्रणालियों की वजह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से जुडी अक्षमताओं को अनिष्ठ सूतक पातक महापाप ग्रह व्याधिदोष कहते हैं।। अपवाद रुप मै ऐसा भी संभव है कि परिस्थिति या पार्टनर विशेषज्ञ मनोनुकूल नही होने से भी बाधाएं और असफलताएं हो सकती है किन्तु इसे आजीवन अविवाहित रहने, बांझपन और नपुंसकता नहीं कहा जा सकता है। इस गंभीर समस्या का समाधान किसी आयुर्विज्ञान विशेषज्ञ और ज्योतिष विज्ञान विशेषज्ञ से एकांत मे मार्गदर्शन और परामर्श लेकर समस्या का समाधान निकाला जा सकता है। इसके लिए एकांत और पवित्र स्थल में सबा 5 लाख महामृत्युंजय मंत्र का जप, नवग्रह शांति और शुद्धीकरण अनुष्ठान भी अत्यंत जरुरी है।आयुर्विज्ञान(मेडीकल सांइंस) और ज्योतिष विज्ञान के अनुसार पवित्र और शुद्धीकरण हुए बिना बेदाग निष्कलंक और निष्पाप नही हुआ जा सकता है।
सविस्तार सामान्य ज्ञान चर्चा के अनुसार आप ने सही समझा। आपने अपने जीवन में बहुत बार ऐसा देखा है। लोग Counceling के लिए आते है। वे समझते है की उनके तन में व्याधिदोष है। मगर जब हम व्याधिदोष की तह तक जाने की कोशिश करते ही नहीं है तो सभी व्याधिदोष के कारण अचेतन मन में पैदा होते है और वहीं से व्याधिदोष की जड़ है जिसका महामृत्युंजय मंत्र जप और शांति अनुष्ठान और निदान संभव भी है।
इस संबंध में जातक के शरीर और मन की गहराई में कोई नहीं जांच करना चाहता। क्योंकि वहाँ वह सब कुछ दबा हुआ होता है जिसे हम खुद भी सोचना नहीं चाहते। दूसरों के साथ बात करने की तो बात ही छोड़ो। इसी कारण से कोई भी Counselor or Life Coach वहाँ जा ही नहीं सकता जहाँ गलत संगत के कारण से सब व्याधियां उत्पन्न होती है। हर व्यक्ति उस हिस्से को लोकलाज और इज्जत के डर से दबाकर और छुपाकर रखता है। इसी कारण से व्याधिदोष और अधिक बढ जाता है।
शरीर और मन के भीतर जाकर भी देखिए
व्याधिदोष ग्रस्त अनेक महिलाएं आजीवन अविवाहित और जिसे हम स्थाई बांझ कहते हैं वो एक शारीरिक व्याधिदोष है। जोकि आयुर्विज्ञान और ज्योतिषाचार्य परीक्षण से जांची जा सकती है। ये जन्मकालिक या उपार्जित दोनो प्रकार की होती है।
लेकिन अस्थाई आजीवन अविवाहित, बांझपन मानसिक व शारीरिक सूतक पातक महापाप ग्रह व्याधिदोष के कारण दोनो प्रकार की हो सकती है।
इस तरह की शारीरिक व्याधिदोष में आमतौर पर टेस्टॉस्टेरॉन लेवल घट् हुआ पाया जाता है और इसका मुख्य कारण शारीरिक कार्यो से भागने की प्रकृति और आराम का जीवन होता है।
दूसरी शारीरिक और मानसिक बांझपन और नपुंसकता आमतौर पर बड़े किशोर अवस्था में सैक्सी/ पोर्न फिल्मों द्वारा फैलाये गये भ्रमजाल या सेक्स से भागने वाली प्रकृति के चलते आती है।
अनिष्ठ सूतक महापाप ग्रह व्याधिदोष का निवारण और व्याधिदोष को शांत करने व्याधिदोष निदान और उपचार की विधि अत्याधिक महत्वपूर्ण और गोपनीय है? इसे तो आयुर्विज्ञान विशेषज्ञ,ज्योतिष विज्ञान विशेषज्ञ और तांत्रिक विशेषज्ञ ही अच्छी तरह समझा सकते और प्रायोगिक (प्राक्टीकल) रुप से आनन्दानुभूति पूर्वक गंभीर समस्या का समाधान कर सकते है।
मानसिक व शारीरिक सूतक महापाप ग्रह व्याधिदोष के लक्षण क्या हैं? क्या जिसका इलाज सम्भव है? शारीरिक व मानसिक के 5 लक्षण क्या हैं? शारीरिक व
मानसिक रुप मे भी बांझपन और नपुसंक होता है , लेकिन इसे शारीरिक व्याधिदोष ही कहना चाहिए । एक आदमी य औरत शारीरिक रुप से महिला य पुरुष होते हुए भी मानसिक व शारीरिक कमजोरी के कारण कभी कभी बांझपन और नपुंसकता हावी हो जाता है ।
प्राइवेट पार्ट में पर्याप्त तनाव न आने या पर्याप्त तनाव आने के बाद भी सही तरीके से सहवास न कर पाने को नपुंसकता कहा जा सकता है। आजकल नपुंसकता या इम्पोटेंसी की बजाय इरेक्टाइल डिसफंक्शन (सही तनाव का अभाव) कहा जाता है।
पुरुष य स्त्रियों के सेक्स चक्र यानी गर्भनाल में चार चरण होते हैं। कामेच्छा, इंद्रिय में पर्याप्त तनाव, स्त्री जननांग में प्रवेश और चरम सीमा। कई बार कामेच्छा की कमी तो कई बार नर्वस सिस्टम की गड़बड़ी की वजह से उत्तेजना में कमी आ सकती है। 25-30 साल की उम्र के बाद कई बार महिला-पुरुष हॉर्मोंस की कमी से भी यह समस्या उठ खड़ी होती है। एक आदमी को एक अवस्था में पर्याप्त उत्तेजना आती है जैसे कि सुबह के वक्त, पेशाब करते समय या मास्टरबेशन के वक्त, पर उसे दूसरी अवस्था में उत्तेजना नहीं आती तो यह समस्या मानसिक व्याधिदोष मानी जाएगी, शारीरिक नहीं। विशेष रूप से डायबीटीज के मरीजों में यह समस्या अक्सर पाई जाती है।शुगर बांझपन-नपुंसकता का एक बड़ा कारण है। डायबीटीज के मरीजों के सेक्स चक्र में कामेच्छा और चरम/ स्खलन अवस्था तो नॉर्मल ही बनी रहती है, पर प्राइवेट पार्ट के तनाव में अक्सर कमी आ जाती है। ऐसे मरीजों को शुगर कंट्रोल में करनी चाहिए ताकि समस्या ज्यादा न बढ़े। अगर शुगर के कंट्रोल में होने के बाद भी तनाव में हुई कमी बनी रहती है तो ऐसी अवस्था में देसी गिलोय सत्व और महायोग योगराज गुग्गल कारगर साबित हो सकता है। यह गोली 50 या 100 मिलीग्राम की मात्रा में उपलब्ध है, जिसे सहवास से एक घंटा पहले लेना चाहिए। खाली पेट यह गोली ज्यादा कारगर साबित होती है। चौबीस घंटों में यह गोली ज्यादा-से-ज्यादा एक बार ही लेनी चाहिए। कई बार शारीरिक बांझपन व नपुंसकता के साथ-साथ मानसिक और शारीरिक चिकित्सक से जुड़ी रहती है। यह गोली दोनों अवस्थाओं में काम करती है।
व्याधिदोष निदान और विधिवत उपचार
इस जटिल समस्या का समाधान और उपचार के लिए विशेषज्ञों को चाहिए कि एकांत स्थान मे आरामदायक बिस्तर में लिटाकर उसकी भलीभांति जांच पड़ताल और परीक्षण करना जरुरी है। अनुष्ठान विशेषज्ञ द्धारा पवित्रीकरण मंत्रोचार द्धारा उदर-नाभि स्थल,गर्भाशय और यौनांग में धीरे धीरे बादाम रोगन तेल की मालिश करेंंगे। बाद में अनिष्ठ सूतक पातक महापाप ग्रह व्याधिदोष का शुद्धीकरण जरुरी है। ऐसा करते ही मूत्र मार्ग से नीले काले रंग का पानी निकलता है। निकल जाने दीजिए। तत्पश्चात विधिवत मंत्रोच्चार द्धारा मालकांगनी और चालमौंगरा तेल से स्तन ब्रेस्ट की धीमी धीमी मालिश कीजिए। ब्रेस्ट नारियल और पपीता जैसे सुडौल हो जाते हैं। शुद्धीकरण होने के बाद शरीर निष्कलंक और निष्पाप हो जाएगा।
उज्जवल भविष्य की कामनाओं के साथ।
व्याधिदोष निदान के पूर्व यौनांग छिद्र से नाभी की दूरी मापन जरुरी है। यदि 8-9 इंच है तो व्याधिदोष निवारण फलदायक है। इसकी दूरी अधिक है तो लेप लगाकर मंत्रोच्चार द्धारा गर्भनाल मे धीरे धीरे यंत्रीकरण से आनंददायक क्लीन यानी शुद्धीकरण कर सकते है। इस विषय मे एकांत स्थान मे गोपनीय पद्धती से होना चाहिए सामाजिक इज्जत और लोक मर्यादा की दृष्टिकोण से जरुरी होगा। अन्यथा पश्चाताप के अलावा कुछ भी नही मिलने वाला है। क्षमस्व