कालमुद्रा के अभ्यास से संभवत: नकारात्मक शक्तियां नष्ट
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
कालमुद्रा करने से आंतरिक बदलाव शुरू हो जाते हैं.
कालमुद्रा करने से समय, मृत्यु, और जीवन में व्यवहारों पर विचार करने में मदद मिलती है.
कालमुद्रा का अभ्यास कम से कम तीन मिनट तक करना बहुत फ़ायदेमंद रहता है.
कालेश्वर मुद्रा एक तरह की हस्त मुद्रा है, जिसके निरंतर अभ्यास से व्यक्ति के भीतर की नकारात्मक शक्ति नष्ट हो जाती है. ये मामूली सी दिखने वाली मुद्रा इतनी प्रभावी है की इस मुद्रा को करने से आपके भीतर आंतरिक बदलाव शुरू हो जाएंगे. योग पद्धति (Yoga Method) में कालेश्वर मुद्रा का विशेष महत्व होता है.
कालमुद्रा क्या है, इससे क्या आने वाली मौत का भी पता लगाया जा सकता है?
कालेश्वर मुद्रा क्या होती है?
मौत! यानि मृत्यु. जिसने जन्म लिया है उसे मरना ही होगा. यही सत्य है. लेकिन उसे कब मरना होगा. या मौत कब आएगी ये किसी को पता नहीं है. लेकिन फिर भी लोगों को ये डर सदैव सताता रहता कि मौत उनका पता ढूंढ़ रही है. लोगों की कल्पना में हमेशा से ही मौत का समय से पहले पता लगाने के विचार मंडराते रहते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि ये संभव भी है. यानि मौत का पता समय से पहले भी लगाया जा सकता है.
हमारे ऋषिमुनियों को इसका ज्ञान था. ये एक प्रकार की योग क्रिया थी, जिसके नियमित अभ्यास से ऋषि मुनी मौत की आहट को बहुत पहले से सुन लेते थे.
भारतीय तंत्र और योग ग्रंथों में मृत्यु के संदर्भ में काफी कुछ देखने को मिल जाता है. प्राचीन ऋषि मुनि और विद्या या योग की मदद से मौत के समय का अंदाजा लगा लेते थे. इसके लिए ऋषि-मुनि तंत्र विद्या, ज्योतिष विद्या, योग-ध्यान और वेद पुराणों की सहायता लेते थे. इन्हीं में से योग-ध्यान की विद्या में एक ऐसी विद्या भी है, जिसकी सहायता से ऋषि-मुनि मौत का पता लगा लेते थें.
पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जोधपुर के निदेशक डा. अनीष व्यास बताते हैं कि इसके जानकार अपनी मृत्यु का 6 महीने पहले ही आभास कर लेते थे. इस विद्या को काल मुद्रा या कालेश्वर के नाम से जाना जाता है.
कालेश्वर मुद्रा एक तरह की हस्त मुद्रा है, जिसके निरंतर अभ्यास से व्यक्ति के भीतर की नकारात्मक शक्ति नष्ट हो जाती है. ये मामूली सी दिखने वाली मुद्रा इतनी प्रभावी है की इस मुद्रा को करने से आपके भीतर आंतरिक बदलाव शुरू हो जाएंगे.
योग पद्धति में कालेश्वर मुद्रा का विशेष महत्व होता है. इस मुद्रा को करने से आपके मस्तिष्क की क्षमता में वृद्धि होती है. सभी तरह के विकारों से छुटकारा मिलता है. इस मुद्रा को कम से कम 3 मिनट तक करना आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. कालेश्वर मुद्रा या काल मुद्रा कैसे की जाती है ?
कालेश्वर मुद्रा एक हस्त मुद्रा है, जिसे योग और साधना पद्धति में विशेष महत्व दिया जाता है.
इस मुद्रा को करने से पहले शांति से एक जगह बैठ जाएं और दोनों आंखों को बंद कर लें. इसके बाद अपने दोनों हाथों को नमस्ते की मुद्रा में लाएं.अब आप अपने दोनों अंगूठे को नीचे की तरफ ले जाकर त्रिकोणीय आकार का बना लें.इसके बाद अपनी इंडेक्स फिंगर, रिंग फिंगर और लिटिल फिंगर को अंगूठे के आकार का बना लें.
मुद्रा ग्रहण करने के बाद धीरे-धीरे सांस अंदर-बाहर करें. पनी क्षमता के मुताबिक आप इस योग को कर सकते हैं. कालेश्वर मुद्रा का जिक्र किसी भी पुराणों में नहीं है. लेकिन तंत्र-मंत्र विद्या का उल्लेख आपको पुराणों में देखने को मिल जाता है. काल मुद्रा योग के बारे में कहा जाता है कि निरंतर इस योग को करने से जिस दिन बीच की उंगली आपस में स्पर्श न हो तो इसका मतलब है कि व्यक्ति की मौत 6 महीने बाद निश्चित है. हालांकि इसको लेकर किसी भी तरह की कोई प्रमाणिक साक्ष्य नहीं है.