महाराष्ट्र में राज्यसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस में बढा तनाव? रंग लाएगा BJP का गणित प्लान
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
मुंबई। कांग्रेस के 45 में से एक विधायक पूर्व मंत्री सुनील केदार के मतदान अधिकार को लेकर अभी भी स्थिति साफ नहीं है, क्योंकि बैंक घोटाले में उन्हें सजा सुनाए जाने के बाद वह जमानत पर बाहर तो हैं पर अब तक उनकी विधानसभा की सदस्यता या मतदान अधिकार पूर्ववत नहीं हुआ है।
महाराष्ट्र की विधानसभा से भरी जाने वाली राज्यसभा की 6 सीटों के लिए 27 फरवरी को चुनाव होना है। कांग्रेस के 45 में से एक विधायक पूर्व मंत्री सुनील केदार के मतदान अधिकार को लेकर अभी भी स्थिति साफ नहीं है।
महाराष्ट्र की विधानसभा से भरी जाने वाली राज्यसभा की 6 सीटों के लिए 27 फरवरी को होने वाले चुनाव में भाजपा द्वारा चौथा उम्मीदवार खड़ा किए जाने की आशंका ने महाराष्ट्र कांग्रेस के बड़े नेताओं की परेशानी बढ़ा दी है। रविवार को दादर के तिलक भवन में हुई प्रदेश कांग्रेस की कोर कमिटी में इस मुद्दे को लेकर काफी लंबी चर्चा में इस बात पर चिंता व्यक्त की गई कि अगर सभी 6 सीटों के लिए निर्विरोध चुनाव नहीं हुआ तो कांग्रेस के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती है। हालांकि कांग्रेस के पास 45 विधायक हैं और चुनाव जीतने के लिए 41 विधायकों के वोट की जरूरत है। लेकिन कांग्रेस का डर यह है कि अगर बीजेपी ने चौथा उम्मीदवार खड़ा किया और मतदान के दिन कोई राजनीतिक खेल हो गया तो लेने के देने पड़ जाएंगे।
कांग्रेस के 45 में से एक विधायक पूर्व मंत्री सुनील केदार के मतदान अधिकार को लेकर अभी भी स्थिति साफ नहीं है, क्योंकि बैंक घोटाले में उन्हें सजा सुनाए जाने के बाद वह जमानत पर बाहर तो हैं पर अब तक उनकी विधानसभा की सदस्यता या मतदान अधिकार पूर्ववत नहीं हुआ है। दूसरी तरफ कांग्रेस के एक अन्य विधायक मुंबई के जीशान सिद्दीकी को लेकर भी कांग्रेस नेताओं के बीच असमंजस की स्थिति है। उन्हें लग रहा है कि जीशान के पिता और कांग्रेस के पुराने नेता बाबा सिद्दीकी हाल ही में एनसीपी में शामिल हो गए हैं। ऐसे में अगर जीशान सिद्दीकी एन वक्त पर बीमार हो गए या अनुपस्थित हो गए तो कांग्रेस के लिए मामला मुश्किल हो जाएगा।
कांग्रेस के नेताओं को इस बात का डर भी सता रहा है कि बीजेपी अगर अपना चौथा उम्मीदवार उतरती है तो वह कांग्रेस के दो चार विधायकों को चुनाव से गैर-हाजिर करा सकती है। ऐसे में कांग्रेस के उम्मीदवार का चुनाव जीतना मुश्किल हो जाएगा। रविवार को हुई प्रदेश कांग्रेस कोर कमिटी की बैठक में इस मुद्दे पर काफी विचार विमर्श हुआ, हालांकि कोई ठोस रणनीति नहीं बन पाई।
उद्धव और शरद पवार के विधायकों पर भी पेंच
कांग्रेस के लिए मामला इसलिए भी मुश्किल हो गया है, क्योंकि चुनाव आयोग द्वारा एनसीपी पार्टी का अधिकार और चुनाव चिन्ह अजीत पवार गुट को दे दिया गया है। इसी तरह शिवसेना का चुनाव चिह्न और पार्टी का अधिकार एकनाथ शिंदे गुट को मिल गया है। ऐसे में शरद पवार और उद्धव ठाकरे के साथ जो विधायक बचे हैं, वे एनसीपी और शिवसेना के चुनाव चिह्न पर जीत कर आए हैं, लिहाजा उन पर भी अजीत गुट और एकनाथ शिंदे गुट की विप लागू होगी।
दिखाकर करना होता है वोट
सभा चुनाव में यह व्यवस्था है कि जब चुनाव होते हैं तो विधायकों को अपनी पार्टी के चीफ विप को दिखाकर उसी उम्मीदवार के पक्ष में वोट करना होता है, जिसके पक्ष में वोट करने के लिए पार्टी विप जारी करती है। अगर विधायक पार्टी विप का उल्लंघन कर वोट देते हैं तो उनका वोट अमान्य किया जा सकता है। ऐसे में अब तक यह साफ नहीं है कि उद्धव गुट और शरद पवार गुट के विधायकों की भूमिका राज्यसभा चुनाव के दौरान क्या होगी?
महाराष्ट्र से राज्यसभा की 6 सीटें हो रही खाली महाराष्ट्र से राज्यसभा की जो 6 सीटें खाली हो रही हैं, उनमें से बीजेपी की तीन कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना की एक-एक सीट खाली हो रही है। कांग्रेस-शिवसेना की सीट इस बार अजीत और शिंदे गुट को मिल जाएगी, क्योंकि उनके पास 41 से ज्यादा विधायक हैं और अपने-अपने दूसरे गुट के विधायकों को डराने के लिए विप का अधिकार भी है। वहीं कांग्रेस को कोई सीट न मिले, इसलिए बीजेपी चौथा उम्मीदवार खड़ा कर राजनीतिक खेल कर सकती है।