मनचाहा वर प्राप्त करने के लिए जरुरत मंद उपासक एवं उपासिकाएं निम्न मंत्र का जाप कर सकते हैं
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
वैदिक सनातन धर्म के अनुसार मनचाहा वर प्राप्ति के लिए इस मंत्र का जाप कर सकते है। हर किसी का सपना होता है कि उसे एक अच्छा जीवनसाथी मिले। जो उसका ख्याल रखे उसकी देखभाल करे उसे प्यार करे उसकी बात माने। वैसे तो हमारे देश में अधिकतर लोगों की शादी उनके घर वालों की मर्जी से होती है लेकिन ऐसा नहीं है कि जो शादी हमारे घरवालों की मदद से हो वही शादी सफल शादी मानी जाएगी वह हमारी मनपसंद का जीवनसाथी हो। कई लोग किसी ना किसी से प्रेम करते हैं और चाहते हैं कि उनका विवाह उसी से हो जिससे वो प्रेम करते हैं। कुछ कारणों से ऐसा असंभव होता है और मनपसंद प्रेमी मिल जाने के बाद भी प्यार चाहे पति-पत्नी के बीच का हो, या प्रेमी-प्रेमिका के दिल में बना ही रहे। इसे सदा के लिए बनाए रखना कोई सहज खेल नहीं है। प्रेम की सच्चाई और प्रगाढ़ता जीवन में कई बातों पर निर्भर करती है, जिसे परिस्थितियों के माहौल के अनुरूप सहेजना-संभालना पड़ता है। हम आपको कुछ ऐसे टोटके या उपाय बताते हैं जो आपको आपकी पसंद का जीवनसाथी दिलाने में मदद करेंगे। अगर आप मनचाहा पति पाना चाहती हैं तो इसके लिए आप इस मंत्र का जाप कर सकती हैं। इस मंत्र का जाप आपको प्रतिदिन प्रातःकाल 108 बार करना है।
*”ॐ नमो मोहिनी महा मोहिनी अमृत वासिनी स्वाहा”*
सच्चे प्रेम की प्राप्ति सोलह सोमवार के व्रत से भी संभव है। नियमपूर्वक इस व्रत को करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और सुयोग्य, सुंदर और सदा प्रेम करने वाला जीवन साथी मिलता है, जिसका प्रेम भाव कभी कम नहीं होता। प्रेम की शुरुआत, या कहें दिल में किसी के प्रति चाहत की सुगबुगाहट तभी होती है जब प्रेम करने वालों के बीच अद्भुत आकर्षण पैद हो। इसके लिए उन्हें बीज मंत्र का प्रयोग करना चाहिए।
*”ॐ क्लीं नमः”*
इसी के साथ आकर्षण शक्ति को इस मंत्र के जाप से भी बढ़ाया जा सकता है। “ॐ क्लीं कृष्णाय गोपीजन वल्लभाय स्वाहः” इस मंत्र का जाप राधा-कृष्ण का चित्र या प्रतिमा के सामने 108 बार प्रत्येक शुक्रवार को किया जाना चाहिए। प्रेमी या पति के खो जाने या प्रेमी या पति के रूठ जाने की आशंका बनी रहती है। प्यार को सुरक्षित बनाए रखने के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
*”ॐ ह्रीं नमः”*
इस मंत्र के जाप को एक सप्ताह तक प्रतिदिन 1000 बार करना चाहिए। जाप के समय लाल कपड़ा पहनें और रक्तचंदन की माला धारण करें। इसके प्रभाव के बारे में बताया गया है कि यह प्रेमी या पति को प्रेमजाल में बांधकर रखने के लिए उपयोगी है। प्रेमियों या दंपती के बीच प्रेम-संबंध की मधुरता बनी रहे इसके लिए कामदेव के शाबर मंत्र की सहायता से प्रसन्न रखना आवश्यक है। जिसके लिए इस मंत्र का जाप करें।
*”ॐ कामदेवाय विद्य्महे। रति प्रियायै धीमहि। तन्नो अनंग प्रचोदयात्”*
इस मंत्र जाप से दांपत्य जीवन में प्रेम की रसधारा के प्रवाह में गति आ जाती है।
*”ॐ नमो भगवते कामदेवाय यस्य यस्य दृश्यो भवामि यस्य यस्य मम मुखं पश्यति तं तं मोहयतु स्वाहा।”*
इस मंत्र के जाप से मानसिक और शारीरिक आकर्षण में तीव्रता आ जाती है। वशीकरण और प्रेमियों के बीच आपसी आकर्षण बनाए रखने तथा यौन क्षमता बढ़ाने के लिए शुक्र मंत्र का जाप करें।
*”ॐ द्रां, द्रीं, द्रौं सः शुक्राय नमः”*
इस मंत्र का जाप बताए गए विधिनुसार करना चाहिए। इससे खोया हुआ प्यार भी वापस मिल जाता है या रूठे प्रेमी को मनाया जा सकता है।
विनायक चतुर्थी: इस शुभ मुहूर्त में करें गणपति बप्पा की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त गणेश चतुर्थी 13 फरवरी 2024, मंगलवार को है संकल्प के बाद षोडशोपचार पूजन करना चाहिए
*ॐ गणेशाय नम:”*
मंत्र का जाप करना चाहिए डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिन्दू धर्म में भगवान गणेश जी को प्रथम पूज्य देव के रूप में जाना जाता है। कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य बप्पा की पूजा-अर्चना के बिना शुरू नहीं होता। लेकिन, विशेष मौकों पर श्री गणेश की विशेष आराधना भी होती है। इनमें हर माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि खास होती है। हर माह को विनायक चतुर्थी, वसंत पंचमी, दीपावली तथा गणेश जयंती को विधिवत जाप और अनुष्ठान कर जो भी व्यक्ति इस दिन पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ भगवान गणेश की पूजा करते हैं उन्हें जीवन में कोई कष्ट नहीं रहता है। इस दिन गणेश की उपासना करने से घर में सुख-समृद्धि, धन-दौलत, आर्थिक संपन्नता के साथ-साथ ज्ञान एवं बुद्धि की प्राप्ति भी होती है। आइए जानते हैं पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि… यह भी पढ़े -कलाशांति ज्योतिष साप्ताहिक राशिफल 12 फरवरी से 18 फरवरी 2024 तक शुभ मुहूर्त तिथि आरंभ: 12 फरवरी 2024, सोमवार शाम 05 बजकर 44 मिनट से तिथि समापन: 13 फरवरी 2024, मंगलवार दोपहर 02 बजकर 41 मिनट से पूजा का शुभ समय: 13 फरवरी सुबह 11 बजकर 29 मिनट से दोपहर 01 बजकर 42 मिनट तक यह भी पढ़े -कब है माघ गणेश जयंती? जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि महत्व पूजा विधि – पूजा के समय अपने सामर्थ्य के अनुसार सोने, चांदी, पीतल, तांबा, मिट्टी अथवा सोने या चांदी से निर्मित गणेश प्रतिमा स्थापित करें। – इसके बाद श्री गणेश की मूर्ति पर सिन्दूर चढ़ाएं। – अब गणेश का प्रिय मंत्र- “ॐ गं गणपतयै नम:” बोलते हुए 21 दूर्वादल चढ़ाएं। – श्री गणेश को बूंदी के 21 लड्डुओं का भोग लगाएं। इनमें से 5 लड्डुओं का ब्राह्मण को दान दें तथा 5 लड्डू श्री गणेश के चरणों में रखकर बाकी को प्रसाद स्वरूप बांट दें। – पूजन के समय श्री गणेश स्तोत्र, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक गणेश स्त्रोत का पाठ करें। यह भी पढ़े -कब है कुंभ संक्रांति, क्या है इसका महत्व और कैसे करें पूजा? यहां जानें – संध्या के समय गणेश चतुर्थी कथा, श्रद्धानुसार गणेश स्तुति, श्री गणेश सहस्रनामावली, गणेश चालीसा, गणेश पुराण आदि का स्तवन करें। – संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करके श्री गणेश की आरती करें तथा *”ॐ गणेशाय नम:”* मंत्र की माला का जाप करें।
निष्कर्ष:- इस संबंध में साधक, उपासक एवं उपासिनाएं अनिष्ट सूतक महापाप व्याधिदोष से मुक्त और जीवन काल में बेदाग निष्कलंक और निष्पाप होना जरुरी है
सहर्ष सूचनार्थ नोट्स:-
इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग वैदिक सनातन धर्म शास्त्रों के अध्ययन और संत महात्माओं के प्रवचन के आधार पर दी गई है।