कांद्री खदान हादसा : मृतक के परिवार को 25 लाख का मुआवजा मिलेगा
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
रामटेक। मॉयल की कांद्री खदान हादसे में जान गंवाने वाले मजदूर चेतन राऊत (30) के परिवार को करीब 25 लाख रुपये का मुआवजा मिलेगा। इसमें से मॉयल की ओर से 23,25,900 रुपए दिए जाएंगे, जिसमें बीमा दावा, कामगार क्षतिपूर्ति, भविष्य निधि और विधवा पेंशन की राशि शामिल होगी। इसके अतिरिक्त मजदूर की नियोक्ता मेसर्स बीआर हुलडे की ओर से 1,70,000 रुपए दिए जाएंगे। इसमें चेतन की पत्नी लोकेश्वरी राऊत को एक साल तक प्रतिमाह दस-दस हजार रुपए वेतन, डिलीवरी का खर्च 30,000 रुपए एवं चेतन के अंतिम संस्कार के लिए 20,000 रुपए शामिल हैं। इस समय चेतन की पत्नी गर्भवती हैं। मुआवजे के संबंध में मॉयल एवं मेसर्स बीआर हुलडे ने लिखित सूचना जारी की है। मॉयल ने यह भी कहा है कि वह चेतन की पत्नी लोकेश्वरी राऊत को डिलीवरी के एक साल बाद ठेका कामगार की नौकरी देगी।
चेतन के परिवार को समय पर मुआवजा उपलब्ध कराने के लिए कांग्रेस नेता उदयसिंह उर्फ गज्जू यादव ने अहम भूमिका निभाई। यादव ने पत्र लिखकर केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव को मामले से अवगत कराया। साथ ही कांद्री माइन की खराब स्थिति की जानकारी दी। उन्होंने मृतक के परिवार को उचित मुआवजा तथा मॉयल की ओर से उत्तराधिकारी को नौकरी दिलाने का अनुरोध किया। दुर्घटना की जांच कर दोषियों पर उचित कार्रवाई की मांग की।
बता दें कि चेतन राऊत रामटेक तहसील के हेटीटोला के निवासी थे। वे मेसर्स बीआर हुलडे के अंतर्गत मॉयल की कांद्री माइन अंडरग्राऊंड डेवलपमेंट क्षेत्र में मजदूर के रूप में कार्यरत थे। रविवार को दोपहर 12:00 बजे कार्यस्थल पर भूस्खलन हुआ। मैंगनीज के मलबे में दबने से चेतन की मौत हो गई।
कांद्री खदान की भूगर्भीय स्थिति की जांच कराएं : गज्जू यादव
उदयसिंह उर्फ गज्जू यादव ने केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को लिखे पत्र में निवेदन किया कि खान सुरक्षा महानिदेशालय की ओर से कांद्री माइन की भूगर्भीय स्थिति की जांच की जाए। यहां अंडरग्राउंड का पत्थर काफी कच्चा है। इसलिए यहां हमेशा भूस्खलन से दुर्घटनाएं होती है। यह बात अक्सर स्थानीय मॉयल प्रबंधन दबा देता है। खान सुरक्षा महानिदेशालय, कार्यालय नागपुर की ओर से भी जो अधिकारी दुर्घटना की जांच के लिए आते हैं, वे भी खानापूर्ति कर चले जाते हैं। दुर्घटनाग्रस्त होने पर कामगार को कामठी के आशा हॉस्पिटल ले जाया जाता है। आशा हॉस्पिटल के पास मृत घोषित करने की अनुमति (डेथ डिक्लेयर लाइसेंस) नहीं है। इसलिए आशा हॉस्पिटल मृतक के शव को कामठी के उपजिला रुग्णालय में भेज देता है। वहां शव विच्छेदन के लिए मृतक के परिवार को कामठी रुग्णालय एवं पुलिस अधिकारियों को मिन्नतें करनी पडती हैं। अपनी गलतियां छुपाने के लिए मॉयल प्रबंधन दुर्घटनाग्रस्त कामगार को 30 किलोमीटर दूर कामठी भेजता है। इससे दुर्घटनाग्रस्त कामगार के परिवार परेशान होते हैं। यह निंदनीय है। यादव ने पत्र की प्रतियां उप मुख्य श्रम आयुक्त (केंद्रीय) श्रम व रोजगार मंत्रालय, नागपुर, उप खान सुरक्षा महानिदेशक, पश्चिम क्षेत्र, नागपुर एवं अध्यक्ष तथा सहप्रबंधक मैंगनीज ओर इंडिया लिमिटेड, मुख्यालय, नागपुर को भी भेजीं। इसके बाद मॉयल प्रबंधन हरकत में आया। मॉयल प्रबंधन ने मृतक के परिवार के लिए मुआवजे की घोषणा की