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महाराष्ट्र सरकार के निकम्मेपन का नतीजा विदर्भ वैधानिक विकास मंडल का अस्तित्व फाइलों में कैद

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महाराष्ट्र सरकार के निकम्मेपन का नतीजा विदर्भ वैधानिक विकास मंडल का अस्तित्व फाइलों में कैद

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टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

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नागपुर । विदर्भ वैधानिक विकास निगम का अस्तित्व फाइलों में कैद होने से विदर्भ का करीबन साढे सात हजार रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ है।

विदर्भ वैधानिक विकास निगम का कार्यकाल 30 अप्रैल 2020 को समाप्त कर दिया गया। इसके बाद महाराष्ट्र की तत्कालीन अघाडी सरकार या राज्यपाल ने अब तक विदर्भ विकास निगम का कार्यकाल आगे बढ़ाने में रुचि नहीं दिखाई है।  विदर्भ विकास के सभी काम ठंडे बस्ते में पड़े हैं।विदर्भ विकास के संबंध मे न कोई नया अध्ययन हो रहा है और न क्षेत्र संबंधित बैकलॉग के आंकड़े सामने आ रहे हैं। विदर्भ के हिस्से को मिलने वाली अनुशेष निधि का पैसा अन्यत्र खर्च किया जा रहा है।इतना ही नहीं विदर्भ वैधानिक विकास निगम के कर्मचारियों का कार्यकाल भी 31 अगस्त 2020 को खत्म हो गया है। उक्त कार्यालय में कर्मचारी नहीं होने से वैधानिक विकास निगम के रिकॉर्ड का रख-रखाव, विशेष निधि का इस्तेमाल बाबत उपयोगिता प्रमाणपत्र, लेखा परीक्षण आदि काम सभी अटक गए हैं। फिलहाल रिकॉर्ड अपडेट रखने आदि काम के लिए सरकार ने नए 17 अस्थायी पदों को मंजूरी दी है, ताकि उसकी जानकारी सरकार को मिलती रहे।

 

वैधानिक विकास निगम के 51 पदों की दी मंजूरी

 

समय-समय पर विदर्भ विकास और बैकलॉग के अध्ययन के जरिए सरकार ने निगमों को विशेष निधि अनुशेष प्रदान करने की योजनाएं बनाई थी? इसके लिए तत्कालीन राज्यपाल भी खुद इस पर नजर बनाए रखते थे। यह पहला मौका है, जब विदर्भ वैधानिक विकास निगम का कार्यकाल खत्म हुए ढाई साल से अधिक समय हो गया है, लेकिन सरकार या राज्यपाल ने कार्यकाल बढ़ाने को लेकर कोई चर्चा नहीं की है। परिणामस्वरूप विदर्भवादियों में रोष व्याप्त है। तत्कालीन अघाडी बनाम अनाडी सरकार पर तरह तरह के गंभीर आरोप लग रहे हैं। अब तो 31 अगस्त को कर्मचारियों की मान्यता भी खत्म हो गई। कार्यालयीन कामकाज देखते हुए सरकार ने विदर्भ के 17 अस्थायी पदों सहित मराठवाड़ा, खानदेश विकास मंडल के 51 अस्थायी पदों को मंजूरी दी थी। विदर्भ वैधानिक विकास निगम का अस्तित्व खतरे मे पडने से विदर्भ को बड़े पैमाने पर आर्थिक नुकसान हुआ है

विदर्भ वैधानिक निगम के माध्यम से विकास कार्यों पर निगरानी और नियंत्रण रहता था, लेकिन निगम की मियाद 30 अप्रैल 2020 को खत्म होने के बाद से अब विदर्भ विकास को लेकर कोई गंभीर नहीं है। न कोई अध्ययन हो रहा है और न किसी तरह की निधि मिल रही है। विकास और बैकलॉग के आंकड़े भी आने बंद हो गए हैं। इससे विदर्भ को बड़ा नुकसान होगा। विदर्भ वैधानिक विकास निगम के पूर्व विशेषज्ञ सदस्य के अनुसार वर्तमान भाजपा-सेना नीत सरकार के मुख्य मंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्य मंत्री देवेंद्र फडणवीश तथा भारतीय जनता पार्टी के ऊर्जावान प्रदेशाध्यक्ष एवं न विधान परिषद सदस्य श्री चंद्रशेखर वावनकुले ने विदर्भ वैधानिक विकास निगम का अस्तित्व के पुनर्गठन के लिए उचित पहल करने की नितांत आवश्यकता है।

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