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(भाग:275) जानिए राम नाम की महिमा कई अर्थ छिपे हैं इस दो अक्षर के नाम में

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भाग:275) जानिए राम नाम की महिमा कई अर्थ छिपे हैं इस दो अक्षर के नाम में

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टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

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नई दिल्ली। शास्त्रों में ऐसे कई श्लोक मिलते हैं, जिसमें राम नाम के अर्थ और महिमा का वर्णन किया गया है। शास्त्रों में निहित एक श्लोक के अनुसार, “रमन्ते योगिनः अस्मिन सा रामं उच्यते”। जिसका अर्थ है कि योगी ध्यान में जिस शून्य में रमते हैं उसे राम कहते हैं।

वैदिक सनातन हिंदू धर्म में मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम साक्षात् भगवान नारायण के मानव अवतार माना गया है। “राम” यह दो अक्षर का नाम कोई साधारण नाम नहीं है बल्कि इसके पीछे कई बड़े-बड़े और गूढ़ अर्थ छिपे हुए हैं। कहा भी जाता है कि राम से बढ़ा राम का नाम। ऐसे में

 

भगवान विष्णु के मानव माने जाते हैं प्रभु श्री राम।

हिंदुओं के आस्था का केंद्र हैं भगवान श्री राम।

दो अक्षर के राम नाम में छिपे हुए हैं कई अर्थ।

 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जिस घर में राम जी की श्रद्धापूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है, उस घर में सुख-समृद्धि का वास बना रहता है। दो अक्षर के राम नाम के कई अर्थ हैं। अलग-अलग धर्म ग्रंथों में नाम की अलग-अलग तरीके से व्याख्या की गई है। हिंदू धर्म में राम को केवल एक नाम नहीं, बल्कि एक महामंत्र माना गया है, जिसका जाप करने से व्यक्ति को समस्त दुखों से मुक्ति मिल सकती है।

इस श्लोक में मिलता है अर्थ

तैत्तरीय आरण्यक नामक ग्रंथ में दिए गए एक श्लोक के अनुसार, राम शब्द का अर्थ होता है पुत्र राम। वहीं, ब्रह्मण संहिता में कहा गया है कि राम नाम का अर्थ है – जो सभी जगह राम हुआ है। आप इस बात का वर्णन इस श्लोक में देख सकते हैं – ‘रमन्ते सर्वत्र इति रामः।’

 

राम नाम की महिमा

शास्त्रों में ऐसे कई श्लोक मिलते हैं, जिसमें राम नाम के अर्थ और महिमा का वर्णन किया गया है। शास्त्रों में निहित एक श्लोक के अनुसार, “रमन्ते योगिनः अस्मिन सा रामं उच्यते”। जिसका अर्थ है कि योगी ध्यान में जिस शून्य में रमते हैं उसे राम कहते हैं।

 

ये भी है एक अर्थ

कई विद्वानों ने राम नाम का अर्थ मनोज्ञ भी माना है। यहां मनोज्ञ का अर्थ है – जो मन को जानने वाला हो। वहीं, कई व्याख्याकारों ने राम नाम का अर्थ बताया है कि जो आनंद लेने वाला हो या फिर जो संतुष्टि देने वाला हो वही राम है।

संधि विच्छेद से जानें अर्थ

राम नाम का संधि विच्छेद किया जाए तो इस प्रकार अर्थ निकलता है – र+आ+म

 

“र” से रसातल

“आ” से आकाश

“म” से मृत्यु लोक

अर्थात जो पाताल, आकाश और धरती का स्वामी है वही राम है। वहीं संस्कृत की दृष्टि से देखा जाए तो, रम् धातु में घम प्रत्यय जोड़कर राम बना है। यहां रम् का अर्थ है रमण, रमना या निहित होना, निवास करना और घम का अर्थ है ब्रह्माण का खाली स्थान। इस प्रकार राम का अर्थ पूरे ब्रह्मांड में निहित या रमा हुआ तत्व अर्थात स्वयं ब्रह्म

राम नाम की महिमा: राम से बड़ा राम का नाम

भगवान राम के जन्म से पूर्व इस नाम का उपयोग ईश्वर के लिए होता था, अर्थात् ब्रह्म, परमेश्वर, ईश्वर आदि की जगह पहले ‘राम’ शब्द का ही उपयोग होता था, इसलिए इस शब्द की महिमा और बढ़ जाती है, तभी तो कहते हैं कि राम से बड़ा राम का नाम की मंहिमा

शास्त्रों के अनुसार बलशालियों में सर्वाधिक बलशाली राम हैं, लेकिन राम से भी बढ़कर राम का नाम है। असंख्य संत-महात्माओं ने राम का नाम जपते-जपते मोक्ष पा लिया। राम भक्त हनुमान, लक्ष्मण, सुग्रीव, से लेकर कबीर, तुलसी और गांधीजी तक सभी राम का नाम ही जपते रहे हैं, यही नहीं रावण ने भी अपने अंतिम समय में राम का नाम पुकारकर अपना लोक-परलोक सुधारा। राम नाम की महिमा के प्रभाव से पत्थर भी तैरने लगते हैं।

 

जब लंका तक पहुंचने के लिए सेतु बनाया जा रहा था, तब सभी को संशय था कि क्या पत्थर भी पानी पर तैर सकते है, क्या तैरते हुए पत्थरों का बांध बन सकता है ? तब ऐसे में इस संशय को मिटाने के लिए प्रत्येक पत्थर पर राम नाम लिखा गया। सेतु बनने से पूर्व हनुमान जी भी सोच में पड़ गए कि बिना सेतु के मैं लंका कैसे पहुंच सकता हूं, लेकिन राम का नाम लेकर वह एक ही फलांग में समुद्र पार कर गए।

 

 

प्रभु श्रीरामलला का प्राण-प्रतिष्ठा दिवस

 

पौष शुक्ल द्वादशी, विक्रम संवत् 2080, सोमवार के शुभ दिन, मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के बाल रूप नूतन विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी, इस क्षण का वर्षों से राम भक्त बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। इस दिन सभी राम भक्तों को चाहिए कि वे अपने-अपने क्षेत्र के मंदिर अथवा घर के मंदिर में देवी-देवताओं का भजन, कीर्तन, आरती, पूजन करें तथा ‘श्री राम जय राम जय जय राम’ विजय महामंत्र का कम से कम 108 बार जप एवं भजन अवश्य करें।

 

इसी के साथ हनुमान चालीसा, सुन्दरकांड का पाठ, रामरक्षा स्तोत्र का पाठ करना शुभ फलप्रद रहेगा। जहां राम नाम की गूंज होती है, वहां का वातावरण सात्विक एवं राममय हो जाता है। इस दिन सायंकाल सूर्यास्त के बाद राम भक्त देवी-देवताओं की प्रसन्नता के लिए घी के दीपक अवश्य जलाएं।

मर्यादा मतलब राम – मर्यादा शब्द का स्मरण आते ही सर्वप्रथम भगवान राम याद आते हैं। यूं तो हिन्दु धर्म में 33 कोटि देवी-देवताओं की मान्यता है, परन्तु केवल भगवान राम को ही मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया है।

 

मर्यादा में रहने वाला पुरुष न केवल इस लोक में बल्कि परलोक में भी सुख का भागी होता है। सूर्य, चन्द्रमा सहित समस्त नवग्रह अग्नि, पृथ्वी, वायु, जल, आकाश सभी की अपनी-अपनी मर्यादाएं हैं। जिस दिन मर्यादाओं का उल्लघ्घन होगा, वह दिन पृथ्वी का आखिरी दिन होगा। जैसे, अगर समुद्र अपनी मर्यादा त्याग दे तो समस्त भूलोक जलमग्न हो जाएगा, इसलिए भगवान ने प्रत्येक की मर्यादा की सीमा निश्चित की है।

अज्ञानतावश जीव स्वयं को कर्ता समझ लेता है, कर्ता तो केवल प्रभु हैं, यह जगत उन्हीं की लीला है। राम उस असीम ऊर्जा का नाम है जो महाजालरूपी ब्रह्माण्ड की केन्द्रीय प्राणशक्ति है। अध्यात्म की शक्ति से मनुष्य हर युग में अपना कायाकल्प करता आया है। सनातन धर्म की शक्ति, परमात्मा का ज्ञान, राम की प्रेरणा, वह शक्ति है, जो हर बाधाओं को दूर कर सकती है, जो प्रकृति के सभी रहस्यों को उजागर करती है। विश्व में मर्यादा स्थापित करने के लिए ‘राम’ का आह्वान आवश्यक है।

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