RSS का गढ नागपुर से भाजपा के कद्दावर नेता नितिन गडकरी की हैट्रिक : लेकिन…!
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
नागपुर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का गढ कहा जाने वाले नागपुर से केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की हैट्रिक को लेकर भाजपा मे हर्ष व्याप्त है।
नितिन गडकरी के साथ पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे साथ आ सकते हैं।
नागपुर में जीत की हैट्रिक लगा रहे हैं नितिन गडकरी।
लोकसभा में किसकी सरकार, कौन आगे, कौन पीछे, हर
लोकसभा चुनावों में जहां बीजेपी को झटका लगा है, तो वहीं दूसरी ओर नागपुर लोकसभा सीट से बीजेपी के नेता और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी बढ़त बनाए हुए हैं। वे 70 हजार वोटों से आगे हैं। नितिन गडकरी कांग्रेस के कैंडिडेट विकास ठाकरे से काफी आगे चल रहे हैं। नागपुर से उनकी जीत निश्चित मानी जा रही है। ऐसे में जब बीजेपी को अपने बूते पर स्पष्ट बहुमत नहीं मिल रहा है। तब क्या नितिन गडकरी प्रधानमंत्री बन सकते हैं? क्योंकि नितिन गडकरी के हमेशा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से हमेशा अच्छे रिश्ते रहे हैं। यह भी संयोग है कि वह जिस लोकसभा का प्रतिनिधित्व करते हैं। संघ का मुख्यालय भी उसी में आता है। इस बर चुनावों में नितिन गडकरी नए संकल्प के साथ मैदान में उतरे थे। उन्होंने कहा बिना पोस्टर लगाए हुए चुनाव प्रचार किया था। नितिन गडकरी बीजेपी के ऐसे नेता है जिनके नाम पर विपक्ष के कुछ दल भी समर्थन दे सकते हैं। महाराष्ट्र से पीएम बनाए जाने की शर्त पर शिवसेना यूबीटी भी साथ आ सकती है। ऐसा करके संघ और बीजेपी शरद पवार की संभावित गुगली को बेकार कर सकती है। शिवसेना यूबीटी नेता संजय राउत ने चुनावों के बाद देवेंद्र फडणवीस को नितिन गडकरी के जरिए ही निशाने पर लिया था। राउत ने कहा था कि फडणवीस ने वहां पर सही से समर्थन नहीं दिया। फडणवीस भी नागपुर से आते हैं। वे नागपुर से ही विधायक हैं।
हैट्रिक की ओर गडकरी
नितिन गडकरी पहली बार 2014 में चुने गए तब ऐसा माना गया था कि मोदी लहर के चलते उन्होंने कांग्रेस के नेता विलास मुत्तेमवार काे हराया। 2019 लोकसभा चुनावों में नितिन गडकरी ने महाराष्ट्र कांग्रेस के मौजूदा अध्यक्ष नाना पटोले को शिकस्त दी थी। उस चुनाव में गडकरी जीते थे लेकिन उनकी जीत का मार्जिन 2014 की तुलना में घट गया था। गडकरी 2.16 लाख वोटों के अंतर से जीते थे। गडकरी के सामने जहां लगातार तीसरी बार न सिर्फ जीत की चुनौती है बल्कि अंतर भी बढ़ाने का दबाव है, तो वहीं कांग्रेस उलटफेर की कोशिश की थी। नितिन गडकरी ने चुनावों के पूर्व एक कार्यक्रम में कहा कि काम वाले का नाम कम होता है। वह कई मौकों पर विपक्ष की तालियां बटोर चुके हैं।
नितिन गडकरी बीजेपी के उन नेताओं में शामिल हैं। जिनका मुरीद विपक्ष भी है। विपक्ष के कई नेता खुले तौर पर नितिन गडकरी की तारीफ कर चुके हैं। नितिन गडकरी अपनी साफगोई के लिए जाने जाते हैं। विपक्ष उनके कद को कम करने को लेकर विपक्ष पर निशाना साधता आया है। कांग्रेस ने जब 2024 के चुनावों के लिए पहली हुंकार भरी थी तब पार्टी की ओर से नागपुर में बढ़ी रैली की गई थी। राहुला गांधी ने इस रैली में सीधे-सीधे आरएसएस को निशाने पर लिया था। ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है कि अगर बीजेपी को अपने बूते पर बहुमत नहीं मिला तो क्या नरेंद्र मोदी तीसरी बार पीएम बनेंगे। उसके अब के करियर को देखें तो उन्होंने कभी अल्पमत की सरकार का नेतृत्व नहीं किया है। ऐसे में चर्चा सामने आ रही है लोकसभा चुनावों के परिणामों में अपेक्षित नंबर नहीं मिलने पर आरएसएस चिंतन और मंथन की मुद्रा में आ गया। सिर्फ आरएसएस सक्रिय नहीं हुआ है बल्कि महाराष्ट्र में शरद पवार के भी एक्टिव होने की बात कही जा रही है। ऐसे में जो पार्टी पहले मराठा कार्ड खेलेगी, वह बाजी मार सकती है।