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कांग्रेस और उद्धव ठाकरे की सेना में तनातनी! शिंदे गुट और भाजपा में चर्चा

कांग्रेस और उद्धव ठाकरे की सेना में तनातनी! शिंदे गुट और भाजपा में चर्चा

टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

मुंबई। महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के बाद INDIA और NDA के घटक दलों के बीच तमाम तरह की अंदरूनी चर्चाएं हो रही हैं। महाराष्ट्र के सियासी गलियारों में इस वक्त सबसे ज्यादा चर्चा विधान परिषद के शिक्षक स्नातक एमएलसी को लेकर हो रही है।

महाराष्ट्र कांग्रेस और उद्धव ठाकरे की शिवसेना के बीच अंदरूनी तौर पर मनमुटाव बढ़ने लगा है। पार्टी के नेता सियासी नफा नुकसान का आकलन करते हुए आगे की सियासी राह की भी चर्चा करने लगे हैं। जानकारों का मानना है कि अगले कुछ दिनों के भीतर महाराष्ट्र में सियासी तौर पर कुछ बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम हो सकता है। यह घटनाक्रम जरूरी नहीं कांग्रेस और उद्धव ठाकरे की शिवसेना के बीच हो। चर्चा जितनी INDIA के घटक दल के बीच आपसी तनातनी की हो रही है, उतनी ही चर्चा NDA के घटक दलों के बीच मनमुटाव की सामने आ रही है। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि महाराष्ट्र की सियासत में अंदरूनी तौर पर बहुत कुछ हो रहा है।

दरअसल, महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के बाद INDIA और NDA के घटक दलों के बीच तमाम तरह की अंदरूनी चर्चाएं हो रही हैं। महाराष्ट्र के सियासी गलियारों में इस वक्त सबसे ज्यादा चर्चा विधान परिषद के शिक्षक स्नातक एमएलसी को लेकर हो रही है। दरअसल, महाराष्ट्र में होने वाले एमएलसी के चुनाव को लेकर उद्धव ठाकरे की शिवसेना और कांग्रेस आमने-सामने आ गए हैं। कांग्रेस पार्टी से जुड़े नेताओं का कहना है कि जब गठबंधन में उद्धव ठाकरे की शिवसेना और कांग्रेस दोनों हैं, तो एमएलसी के चुनाव में प्रत्याशी का चयन भी पूछताछ के साथ होना चाहिए था। लेकिन हुआ यह कि महाराष्ट्र में एमएलसी की सीटों पर उद्धव ठाकरे की सेना ने चारों प्रत्याशी उतार दिए। जानकारी के मुताबिक कांग्रेस पार्टी ने ऐसी असहज स्थिति में आलाकमान से भी चर्चा की है।

महाराष्ट्र के सियासी गलियारों में चर्चा इस बात की है कि जिस तरीके से INDIA गठबंधन में उद्धव की सेना को ज्यादा सीटें देने के बाद भी उस तरह के परिणाम नहीं आए, उस पर घटक दलों के बीच अंदरूनी चर्चाएं हो रही हैं। सियासी जानकार बताते हैं कि कहा यह तक जा रहा है कि कम सीटों के बाद भी कांग्रेस ने जिस तरीके का प्रदर्शन महाराष्ट्र में किया है, वह सबसे बेहतर है। ऐसे में गठबंधन के घटक दलों को कांग्रेस के साथ मिल बैठकर आगे की सियासत पर बात करनी चाहिए। हालांकि यह बात INDIA गठबंधन से पहले ही कही जा चुकी है कि जो गठबंधन हुआ था वह लोकसभा के चुनावों के मद्देनजर ही था। ऐसे में अगर घटक दलों के बीच का कोई भी राजनीतिक दल अपने प्रत्याशी उतरता आगे कोई भी चुनाव में उतारता है, तो वह अब ऐसा करने में स्वतंत्र है।

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